Adani और Wilmar का रिश्ता टूटेगा , Adani Enterprises 44% हिस्सेदारी $2 बिलियन में बेचेगा!

Adani Enterprises Limited (AEL) ने सोमवार को ऐलान किया कि वह Adani Wilmar Limited (AWL) से अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचकर बाहर निकलने की योजना बना रहा है। इस प्रक्रिया के तहत, कंपनी $2 बिलियन से अधिक की राशि जुटाएगी, जिससे उसे अपनी मुख्य व्यवसाय रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।
31% हिस्सेदारी Wilmar International को बेची जाएगी
Wilmar International, जो Adani Wilmar का सह-भागीदार है, ने Adani Enterprises से 31% हिस्सेदारी खरीदने पर सहमति दी है। इसके अतिरिक्त, Adani Enterprises सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों को पूरा करने के लिए अपनी 13% अतिरिक्त हिस्सेदारी भी बेचेगा। इस तरह, Adani Wilmar में अडानी समूह की 44% हिस्सेदारी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
समझौते के विवरण
Adani Enterprises, Adani Commodities LLP (AEL की सहायक कंपनी) और Lence Pte Ltd (Wilmar International की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी) ने इस सौदे को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते के तहत, Lence Pte Ltd Adani Wilmar के सभी भुगतान किए गए इक्विटी शेयरों का अधिग्रहण करेगी। यह प्रक्रिया अधिकतम 31.06% मौजूदा भुगतान की गई इक्विटी शेयर पूंजी तक सीमित रहेगी।
संग्रहित धन का उपयोग
Adani Group ने इस धनराशि को अपनी मुख्य इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं और उद्योग-सम्बंधित व्यवसायों के विकास में निवेश करने की योजना बनाई है। इसमें ऊर्जा, परिवहन, लॉजिस्टिक्स और अन्य प्राथमिक उद्योग शामिल हैं।
कंपनी ने एक बयान में कहा, “इस बिक्री से प्राप्त धन Adani Enterprises को भारत के प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अपनी स्थिति को और मजबूत करने में मदद करेगा। AEL अपनी भूमिका भारत के सबसे बड़े सूचीबद्ध प्लेटफॉर्म इनक्यूबेटर के रूप में जारी रखेगा, जो भारत की विकास यात्रा से जुड़े प्रमुख मैक्रो विषयों को समर्थन देता है।”
बोर्ड में बदलाव और नाम परिवर्तन
Adani Group के इस फैसले के बाद, Adani Wilmar के बोर्ड में उनके नामांकित निदेशक इस्तीफा देंगे। इसके साथ ही, अडानी के बाहर निकलने के बाद कंपनी के नाम में बदलाव किया जाएगा। इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक कदम जल्द ही उठाए जाएंगे।
Adani Wilmar की यात्रा और प्रभाव
Adani Wilmar Limited, जो भारत में खाद्य तेल और अन्य उपभोक्ता उत्पादों की प्रमुख निर्माता है, का गठन 1999 में Adani Group और Wilmar International के संयुक्त उद्यम के रूप में हुआ था। यह कंपनी “Fortune” ब्रांड के तहत अपने उत्पादों के लिए जानी जाती है और देश में एक अग्रणी FMCG कंपनी के रूप में उभरी है।
हालांकि, Adani Enterprises के इस जॉइंट वेंचर से बाहर निकलने का निर्णय कंपनी की रणनीतिक प्राथमिकताओं का हिस्सा है। समूह अब अपनी ऊर्जा, परिवहन और लॉजिस्टिक्स जैसी मुख्य इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है।
Adani Group की भविष्य की योजनाएं
Adani Enterprises ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि समूह की प्राथमिकता ऐसे व्यवसायों में निवेश करना है, जो भारत की विकास यात्रा को गति प्रदान करते हैं। समूह की योजना ऊर्जा और उपयोगिता, परिवहन और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने की है।
“हम इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने की योजना बना रहे हैं, जो न केवल Adani Group के लिए लाभदायक होंगे, बल्कि भारत की आर्थिक वृद्धि में भी अहम भूमिका निभाएंगे,” कंपनी ने कहा।
Adani Enterprises का Adani Wilmar से बाहर निकलना कंपनी की एक बड़ी रणनीतिक चाल है, जो इसे अपनी प्राथमिक परियोजनाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देगा। इस सौदे से जुटाई गई $2 बिलियन से अधिक की राशि Adani Group के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगी। वहीं, Adani Wilmar, जो भारत में खाद्य तेल और उपभोक्ता उत्पादों का बड़ा नाम है, Wilmar International के नेतृत्व में अपने व्यवसाय को नए आयाम तक पहुंचाएगी।