लाठीचार्ज और FIR के बाद पटना में छात्रों का गुस्सा: क्या छात्र आंदोलन से सरकार घबराई?
Summary:-
पटना में बीपीएससी छात्रों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया, जिससे कई छात्र घायल हो गए। प्रदर्शन के कारण 21 लोगों, including प्रशांत किशोर, पर FIR दर्ज की गई है। छात्र अपनी मांगों को लेकर सरकार से बातचीत की कोशिश कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए।

बिहार में बीपीएससी (BPSC) छात्रों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस कार्रवाई और उस पर उठे राजनीतिक विवादों ने राज्य में भारी हंगामा मचाया है। यह घटना 29 दिसंबर 2024 को पटना में घटी, जब छात्रों के एक बड़े समूह ने प्रशांत किशोर के नेतृत्व में बिहार सरकार से अपनी मांगों को लेकर सचिवालय की ओर मार्च किया। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य बीपीएससी परीक्षा में कथित धांधली और छात्रों की समस्याओं को लेकर सरकार से बातचीत करना था, लेकिन यह मार्च बिना प्रशासन की अनुमति के निकाला गया, जिसके बाद प्रशासन को बल प्रयोग करना पड़ा।
प्रदर्शन का कारण
पटना में बीपीएससी के अभ्यर्थियों द्वारा कई दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी था। छात्र इस बात से नाराज थे कि बिहार सरकार ने उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए उनसे कोई संवाद नहीं किया। छात्रों का कहना था कि उनकी मांगों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण उन्होंने अपने प्रदर्शन को तेज कर दिया। 29 दिसंबर को गांधी मैदान से छात्रों ने मार्च की शुरुआत की, जिसमें प्रशांत किशोर ने भी भाग लिया। छात्रों का उद्देश्य था कि वे सरकार से बात करके अपनी समस्याओं का समाधान करें।
जब वे गांधी मैदान से सचिवालय की ओर बढ़े, तो प्रशासन ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेड्स लगा दिए। छात्रों ने इन बैरिकेड्स को तोड़ते हुए आगे बढ़ने की कोशिश की। इसके बाद पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए वाटर कैनन और लाठीचार्ज का सहारा लिया। प्रदर्शनकारी अपनी जगह से हटने को तैयार नहीं थे, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।
FIR और पुलिस कार्रवाई
प्रशांत किशोर और उनके साथियों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की गई है, जिसमें कुल 21 लोग शामिल हैं। साथ ही 600 से 700 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। पुलिस ने यह आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों ने कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ दिया और प्रशासन की बातों को नजरअंदाज किया। पुलिस ने बार-बार प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्वक हटने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने इसे नकार दिया। इस दौरान सड़कों पर जाम लगने से आम जनता को भी परेशानी हुई।
पटना सेंट्रल SP, स्वीटी सहरावत ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के उग्र होने के बाद पुलिस को मजबूरन वाटर कैनन का उपयोग करना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन के साथ धक्का-मुक्की की और लाउडस्पीकर को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। इस स्थिति को काबू में लाने के लिए प्रशासन ने हल्का बल प्रयोग किया।
घायलों का इलाज
प्रदर्शन के दौरान कई छात्रों को लाठीचार्ज में चोटें आईं, और उन्हें अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया। पुलिस ने लाठीचार्ज के दौरान पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया, जिसके कारण ठंड के मौसम में छात्रों को और भी ज्यादा परेशानी हुई। इस घटना ने राज्य में गर्मागर्म बहस छेड़ दी है, और राजनीतिक दलों ने इसे लेकर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
विपक्ष का आरोप
इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने बिहार सरकार पर जमकर हमला बोला है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा कि छात्रों पर लाठियां बरसाना और उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार करना अत्याचार है। उन्होंने नीतीश कुमार से इस कार्रवाई को रद्द करने की मांग की और कहा कि छात्रों की समस्याओं का समाधान बातचीत से किया जाना चाहिए, न कि लाठीचार्ज से। कांग्रेस ने भी इस पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा की और इसे एक क्रूर कदम बताया। कांग्रेस ने यह आरोप लगाया कि सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले छात्रों के साथ सरकार ने बर्बरता की।
राजद नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री, तेजस्वी यादव ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि छात्रों पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन का प्रयोग अत्यधिक है, और यह उनकी आवाज को दबाने का एक प्रयास है। तेजस्वी ने कहा कि यह प्रदर्शन शांतिपूर्वक किया जा रहा था, और छात्रों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए था।
AISA का बिहार बंद
प्रदर्शन के बाद, छात्र संगठन AISA (आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) ने 30 दिसंबर 2024 को बिहार बंद और चक्का जाम का आह्वान किया है। इस बंद का समर्थन भाकपा और अन्य छात्र संगठनों ने भी किया है। AISA ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार से बातचीत के बिना छात्रों की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता है।
प्रशांत किशोर ने भी छात्रों के प्रदर्शन को समर्थन दिया और कहा कि इस संघर्ष को लंबे समय तक जारी रखना होगा। उन्होंने किसानों के आंदोलन का उदाहरण दिया और कहा कि जब तक छात्रों की समस्याओं का समाधान नहीं होता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। प्रशांत किशोर ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ छात्रों की नहीं है, बल्कि पूरे बिहार के लोगों की है, जो भ्रष्टाचार, नौकरियों में धांधली, और डोमिसाइल नीति में बदलाव के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रशासन ने इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी सफाई दी है। गांधी मैदान के प्रशासन ने बताया कि उन्हें जन सुराज पार्टी द्वारा छात्र संसद आयोजित करने के लिए अनुमति नहीं दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने कानून की अवहेलना करते हुए प्रदर्शन किया। प्रशासन ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने भीड़ नियंत्रण के लिए लगाए गए लाउडस्पीकर को भी नुकसान पहुँचाया, और बिना अनुमति के सड़क जाम कर दी। प्रशासन ने यह भी चेतावनी दी कि भविष्य में बिना अनुमति के ऐसे किसी प्रदर्शन को सहन नहीं किया जाएगा, और जो लोग कानून-व्यवस्था की स्थिति को भंग करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
भविष्य की दिशा
इस घटना के बाद, बिहार में छात्रों के आंदोलन का मुद्दा और भी गर्म हो गया है। विभिन्न छात्र संगठनों ने सरकार से छात्रों की समस्याओं का समाधान करने की मांग की है। इसके अलावा, प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज ने भी छात्रों के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई है, और उनका कहना है कि यह आंदोलन लंबे समय तक चलेगा, जब तक छात्रों के अधिकारों की रक्षा नहीं होती।
राजनीतिक दलों और छात्र संगठनों के समर्थन के बाद, यह देखा जाएगा कि बिहार सरकार इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और छात्रों के सवालों का समाधान कैसे करती है।