BSE के शेयरों में 17% की जोरदार तेजी, NSE ने सोमवार एक्सपायरी योजना टाली
संक्षेप
NSE ने सोमवार एक्सपायरी योजना टाल दी, जिससे BSE के शेयरों में 17% की तेजी आई। SEBI ने सुझाव दिया कि एक्सपायरी केवल मंगलवार या गुरुवार को होनी चाहिए, जिससे BSE की बाजार हिस्सेदारी सुरक्षित रह सकती है। ब्रोकरेज फर्म Jefferies ने BSE के लिए ‘होल्ड’ रेटिंग दी और ₹5,250 का टार्गेट प्राइस रखा।

शेयर बाजार में आज बड़ा उलटफेर देखने को मिला। BSE के शेयरों ने 28 मार्च को 17% की जबरदस्त बढ़त दर्ज की। इसकी बड़ी वजह यह रही कि NSE ने अपने डेरिवेटिव्स एक्सपायरी को गुरुवार से बदलकर सोमवार करने की योजना को फिलहाल टाल दिया है। यह फैसला तब आया जब SEBI ने एक कंसल्टेशन पेपर जारी कर सुझाव दिया कि सभी इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपायरी केवल मंगलवार या गुरुवार को होनी चाहिए, जिससे बाजार में संतुलन बना रहे।
क्या था मामला?
NSE ने पहले घोषणा की थी कि वह अपने साप्ताहिक, मासिक और तिमाही डेरिवेटिव्स की एक्सपायरी को गुरुवार से बदलकर सोमवार करेगा। इस खबर के बाद BSE के शेयरों में गिरावट आई थी क्योंकि निवेशकों को लगा कि इससे BSE की ट्रेडिंग वॉल्यूम और लिक्विडिटी प्रभावित होगी।
लेकिन अब SEBI ने हस्तक्षेप किया और एक्सचेंजों को निर्देश दिया कि वे फिलहाल एक्सपायरी दिन में कोई बदलाव न करें। सूत्रों के अनुसार, NSE जल्द ही एक आधिकारिक सर्कुलर जारी कर सकता है, जिसमें वह मौजूदा स्थिति बनाए रखने की घोषणा करेगा।
BSE के शेयरों को क्यों मिला फायदा?
NSE की योजना के कारण पहले BSE के शेयरों में 9% की गिरावट आई थी, क्योंकि Sensex डेरिवेटिव्स की एक्सपायरी मंगलवार को होती है। अगर NSE ने सोमवार को एक्सपायरी शिफ्ट कर ली होती, तो ट्रेडर्स के पास नए ट्रेड सेटअप के लिए कम समय बचता, जिससे BSE पर ट्रेडिंग वॉल्यूम और बाजार हिस्सेदारी प्रभावित हो सकती थी।
लेकिन अब SEBI की ओर से मिले आश्वासन के बाद BSE को राहत मिली है। विदेशी ब्रोकरेज फर्म Jefferies के मुताबिक, अगर NSE गुरुवार को ही एक्सपायरी रखता है और BSE अपनी मंगलवार की एक्सपायरी जारी रखता है, तो BSE की बाजार हिस्सेदारी पर खतरा कम होगा। Jefferies ने यह भी अनुमान लगाया है कि BSE के संभावित EPS (प्रति शेयर आय) पर 12% का असर पड़ सकता था, लेकिन अब यह जोखिम कम हो गया है।
ब्रोकरेज फर्मों का क्या कहना है?
ब्रोकरेज फर्म Nuvama का मानना है कि NSE की सोमवार एक्सपायरी की योजना से इंडस्ट्री वॉल्यूम पर नकारात्मक असर पड़ता क्योंकि रिटेल ट्रेडर्स के लिए ट्रेडिंग विकल्प कम हो जाते। वहीं, Jefferies ने कहा कि अब जब एक्सपायरी को लेकर स्थिति स्पष्ट हो गई है, तो BSE के शेयरों पर दबाव कम होगा और यह बाजार में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
Jefferies ने BSE के लिए ‘होल्ड’ रेटिंग दी है और इसका टार्गेट प्राइस ₹5,250 रखा है, जो मौजूदा स्तर से 12% ऊपर है।
आगे क्या हो सकता है?
BSE के शेयरों में मौजूदा तेजी से यह साफ है कि निवेशकों को राहत मिली है। लेकिन एक्सपायरी नियमों को लेकर SEBI की अंतिम गाइडलाइन क्या होगी, इस पर नजर बनी रहेगी। अगर BSE की ट्रेडिंग वॉल्यूम और मार्केट शेयर में सुधार होता है, तो यह शेयर लंबी अवधि में और मजबूती दिखा सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह सीख मिलती है कि रेगुलेटरी फैसले बाजार को कितना प्रभावित कर सकते हैं। निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे इन बदलावों को बारीकी से समझें और अपने निवेश निर्णय सोच-समझकर लें।

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