जाति जनगणना को राष्ट्रीय जनगणना में शामिल करने का फैसला, केंद्र सरकार ने दी मंज़ूरी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए घोषणा की कि आगामी राष्ट्रीय जनगणना में जाति आधारित गणना को भी शामिल किया जाएगा। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति (CCPA) ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है।
सर्वेक्षण नहीं, अब अधिकारिक जनगणना में होगी जातिगत गिनती
वैष्णव ने स्पष्ट किया कि अब तक जो भी आंकड़े जातियों से जुड़े सामने आए हैं, वे केवल राज्य सरकारों द्वारा कराए गए सर्वेक्षणों के माध्यम से प्राप्त हुए हैं। लेकिन अब पहली बार, यह जानकारी राष्ट्रीय जनगणना का हिस्सा बनेगी। उन्होंने कहा कि “जनगणना एक संवैधानिक विषय है, जो केवल केंद्र सरकार द्वारा किया जा सकता है। संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, यह विषय यूनियन लिस्ट में है।”
विपक्ष पर लगाया जाति मुद्दे का ‘राजनीतिक इस्तेमाल’ करने का आरोप
कैबिनेट मंत्री ने विपक्षी दलों विशेषकर कांग्रेस और INDIA गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि वे जाति जनगणना को केवल चुनावी मुद्दा बनाकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “कुछ राज्यों ने जातिगत सर्वे ठीक तरीके से किए हैं, लेकिन कई जगह यह पूरी तरह से राजनीतिक मकसद से और अपारदर्शी तरीके से किया गया है, जिससे समाज में भ्रम की स्थिति बनी।”
चार साल से टली है जनगणना, अब जल्द होगी शुरुआत
भारत में हर 10 साल में जनगणना की परंपरा रही है। पिछली जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी, जबकि अगली जनगणना 2021 में होनी थी। हालांकि कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हो गई। अब उम्मीद की जा रही है कि चार साल की देरी के बाद 2025 में यह प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी, जिसमें इस बार जाति आधारित आंकड़ों को भी शामिल किया जाएगा।
OBC आरक्षण पर असर और 2026 का परिसीमन
विशेषज्ञों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना से न केवल सामाजिक न्याय की योजनाओं में पारदर्शिता आएगी, बल्कि यह OBC वर्ग को मिलने वाले आरक्षण के दावों को मजबूत आधार भी प्रदान करेगा। गौरतलब है कि वर्तमान में OBC आरक्षण 1931 की जातिगत जनगणना पर आधारित है। वहीं, 2026 में होने वाला संसदीय परिसीमन भी अब नई जनगणना के आंकड़ों पर आधारित होगा, जिससे लोकसभा सीटों के पुनर्वितरण की संभावना जताई जा रही है।
2011 की जनगणना: एक झलक
पिछली जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 1.21 अरब थी, जिसमें 68.84% लोग ग्रामीण क्षेत्रों में और 31.16% शहरी क्षेत्रों में रहते थे। उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य था, जबकि लक्षद्वीप सबसे कम जनसंख्या वाला केंद्रशासित प्रदेश रहा।