क्रेडिट कार्ड लोन बकाया ₹2.9 लाख करोड़ तक पहुंचा, PSU बैंकों पर बढ़ता दबाव
संक्षेप
जनवरी 2025 तक भारत में क्रेडिट कार्ड लोन बकाया ₹2.9 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो 13% सालाना वृद्धि दर्शाता है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बैड लोन अनुपात 12.7% तक बढ़ गया, जबकि निजी बैंकों का सिर्फ 2.1% है। फिनटेक प्रतिस्पर्धा, आसान लोन नीतियों और RBI की सख्ती के चलते PSU बैंकों को आगे और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

सरकारी बैंकों के लिए क्रेडिट कार्ड बैड लोन एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। सितंबर 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक, सरकारी बैंकों का क्रेडिट कार्ड बैड लोन अनुपात 12.7% तक पहुंच गया है, जो निजी बैंकों के 2.1% से कहीं ज्यादा है। यह समस्या खासकर सितंबर 2021 से अक्टूबर 2023 के बीच जारी किए गए कार्ड्स में देखी जा रही है। यह वह दौर था जब फिनटेक कंपनियों के बढ़ते प्रतिस्पर्धी दबाव में बैंकों ने अपने ग्राहक आधार को तेजी से बढ़ाने की कोशिश की।
क्यों बढ़ रहा है बैड लोन?
कैरे रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर संजय अग्रवाल के मुताबिक, सरकारी बैंकों ने क्रेडिट कार्ड्स का वितरण ज्यादा आक्रामक तरीके से किया। इन बैंकों ने वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इन्क्लूजन) को बढ़ावा देने के लिए कम क्रेडिट हिस्ट्री वाले लोगों को भी कार्ड दिए, जबकि निजी बैंकों ने बेहतर क्रेडिट प्रोफाइल वाले ग्राहकों को टार्गेट किया। इसका नतीजा यह हुआ कि सरकारी बैंकों के क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो में बैड लोन का स्तर बढ़ गया।
कुछ अहम आंकड़े
देश में क्रेडिट कार्ड बकाया राशि जनवरी 2025 तक 2.9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जो पिछले साल के मुकाबले 13% ज्यादा है। सरकारी बैंकों का कुल क्रेडिट कार्ड्स में हिस्सा 24% है, जो कुल 10.9 करोड़ कार्ड्स में से है। इनमें से SBI कार्ड्स, BoB कार्ड्स, और केनरा बैंक मिलकर सरकारी बैंकों के कुल क्रेडिट कार्ड आउटस्टैंडिंग का 94% हिस्सा रखते हैं।
कोविड के बाद का बूम और उसके नतीजे
कोविड के बाद के दौर में अनसिक्योर्ड लोन (बिना गारंटी के कर्ज) में तेजी आई। फिनटेक कंपनियों ने ई-कॉमर्स के लिए “चेक-आउट फाइनेंसिंग” और “बाय नाउ, पे लेटर” जैसे नए क्रेडिट प्रोडक्ट्स लॉन्च किए, जिससे खर्चों में बढ़ोतरी हुई। सरकारी बैंकों ने भी मेट्रो शहरों से आगे बढ़कर छोटे शहरों में अपनी ब्रांच नेटवर्क के जरिए नए ग्राहक जोड़े। हालांकि, निजी बैंकों ने इस दौरान सतर्कता बरती और केवल अपने मौजूदा ग्राहकों को ही कार्ड जारी किए।
RBI का कदम और उसका असर
नवंबर 2023 में RBI ने अनसिक्योर्ड लोन पर जोखिम भार (रिस्क वेट) बढ़ा दिया। इसके अलावा, फिनटेक कंपनियों पर नियमों को सख्ती से लागू किया गया। इसका असर यह हुआ कि 50,000 रुपये से कम के क्रेडिट कार्ड वाले ग्राहकों को कर्ज चुकाने में दिक्कत होने लगी। एक मिड-साइज प्राइवेट बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस श्रेणी में अभी भी दबाव बना हुआ है।
क्या समस्या खत्म होगी?
विश्लेषकों का मानना है कि सरकारी बैंकों के लिए यह समस्या अभी खत्म नहीं हुई है। DSP म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर धवल गाडा का कहना है कि सरकारी बैंकों के क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो में क्रेडिट कॉस्ट अभी अपने चरम पर नहीं पहुंचा है। इस बीच, मिड-साइज बैंकों ने क्रेडिट कार्ड जारी करने की गति को धीमा कर दिया है ताकि जोखिम को कम किया जा सके।

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