FPI की ₹34,574 करोड़ की जबरदस्त बिकवाली, क्या मार्च में बाजार संभलेगा या गिरावट और बढ़ेगी?

संक्षेप:-
फरवरी 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने ₹34,574 करोड़ की भारी बिकवाली की, जिससे भारतीय शेयर बाजार दबाव में आ गया। ऊंचे वैल्यूएशंस, कमजोर अर्निंग्स और वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते यह ट्रेंड जारी है। हालांकि, मजबूत घरेलू फंड फ्लो और तकनीकी सपोर्ट लेवल्स के कारण मार्च में बाजार में सुधार की संभावना बनी हुई है। निवेशकों को सतर्क रहते हुए लंबी अवधि की रणनीति अपनाने की जरूरत है।

भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट के बीच एक चिंतित निवेशक स्क्रीन पर स्टॉक ग्राफ को देखते हुए।
फरवरी में FPI की ₹34,574 करोड़ की बिकवाली से बाजार में गिरावट, क्या मार्च में रिकवरी संभव?

फरवरी 2025 भारतीय शेयर बाजार के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने इस महीने ₹34,574 करोड़ की भारी बिकवाली की, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ गया। इससे पहले जनवरी में भी FPI ने ₹78,027 करोड़ के शेयर बेचे थे, जिससे यह लगातार दूसरा महीना रहा जब विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी बाजार से दूरी बनाए रखी। इस साल अब तक कुल FPI आउटफ्लो ₹1,12,601 करोड़ तक पहुंच चुका है, जो पिछले कुछ वर्षों में सबसे अधिक है।

इस जबरदस्त बिकवाली का असर बाजार के प्रमुख सेक्टर्स पर भी दिखा। आईटी, ऑटोमोबाइल और फार्मास्युटिकल कंपनियों के शेयरों में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई। फरवरी में निफ्टी 5.9% गिरकर अपने कई महत्वपूर्ण सपोर्ट स्तरों को तोड़ चुका है, जो कोविड महामारी के बाद सबसे बड़ी मासिक गिरावट रही। बाजार के इस प्रदर्शन ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है कि क्या आने वाले महीनों में भी यह ट्रेंड जारी रहेगा, या फिर इसमें कोई सुधार देखने को मिलेगा?

FPI की बिकवाली क्यों जारी है?

विदेशी निवेशकों की इस भारी बिकवाली के पीछे कई अहम कारण हैं, जिनमें भारतीय शेयर बाजार के ऊंचे वैल्यूएशंस, कॉर्पोरेट अर्निंग्स की अनिश्चितता और वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई अस्थिरता शामिल हैं।

  1. भारतीय शेयर बाजार के ऊंचे वैल्यूएशंस – पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बाजार ने जबरदस्त तेजी दिखाई है, जिससे कई विदेशी निवेशकों को यह ओवरवैल्यूड लग रहा है। जब शेयर बाजार बहुत अधिक महंगा हो जाता है, तो निवेशक मुनाफा बुक करने लगते हैं, और यही इस बार भी देखने को मिला है।

  2. अर्निंग्स ग्रोथ में सुस्ती – कंपनियों की तिमाही आय (Q3 FY25) उम्मीद के मुताबिक नहीं रही, जिससे निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है। कुछ बड़े ब्रोकरेज हाउस ने कंपनियों की भविष्य की ग्रोथ को लेकर अपने अनुमानों में कटौती की है। जब कंपनियों की कमाई उम्मीद से कम होती है, तो विदेशी निवेशक ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते और वे बिकवाली शुरू कर देते हैं।

  3. ग्लोबल फैक्टर्स का असर – अमेरिका में ब्याज दरें ऊँची बनी हुई हैं, जिससे डॉलर मजबूत हो रहा है और उभरते बाजारों से पूंजी बाहर जा रही है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के रुख से यह संकेत मिला है कि ब्याज दरों में कटौती फिलहाल जल्दी नहीं होगी, जिससे भारतीय बाजार जैसे उभरते हुए बाजारों से विदेशी पूंजी का बहाव जारी रह सकता है।

  4. अन्य उभरते बाजारों में आकर्षक अवसर – भारतीय बाजार में लगातार तेजी और ऊंचे वैल्यूएशंस के चलते कई विदेशी निवेशकों ने अपने फंड्स को चीन, ब्राजील और अन्य उभरते बाजारों की ओर मोड़ दिया है, जहां उन्हें बेहतर वैल्यूएशन और निवेश के अधिक अनुकूल अवसर मिल रहे हैं।

राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता की भूमिका

2024 में होने वाले आम चुनावों को लेकर भी निवेशक सतर्क हैं। चुनावी साल में अक्सर बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ जाता है, जिससे FPI अपने निवेश को लेकर सतर्क रुख अपनाते हैं। इसके अलावा, सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर भी विदेशी निवेशक अभी इंतजार करने की रणनीति अपना रहे हैं।

भारत में राजनीतिक स्थिरता और नीतिगत स्पष्टता विदेशी निवेशकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। अगर चुनावों से पहले कोई बड़ा आर्थिक सुधार या स्थिरता का संकेत नहीं मिलता, तो FPI निवेशकों का रुझान बाजार से बाहर निकलने की ओर बना रह सकता है।

मार्च में बाजार में सुधार की उम्मीद?

हालांकि फरवरी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, लेकिन मार्च में कुछ सकारात्मक संकेत भी दिख सकते हैं। भारतीय बाजार में मजबूत घरेलू फंड फ्लो बना हुआ है, जिससे गिरावट को सीमित किया जा सकता है।

  • निफ्टी अपने सपोर्ट लेवल्स के पास है – टेक्निकल एनालिस्ट्स का मानना है कि निफ्टी 21,800-22,000 के आसपास एक मजबूत सपोर्ट बना सकता है, जिससे बाजार में उछाल देखने को मिल सकता है।
  • इतिहास से संकेत – ऐतिहासिक रूप से मार्च महीना भारतीय शेयर बाजार के लिए सकारात्मक रहा है। पिछले वर्षों में, जब फरवरी में बड़ी गिरावट हुई है, तो मार्च में सुधार देखने को मिला है।
  • घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) का समर्थन – भारतीय म्यूचुअल फंड्स और घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) बाजार में मजबूती बनाए रखने के लिए लगातार खरीदारी कर रहे हैं, जिससे विदेशी निवेशकों की बिकवाली को संतुलित करने में मदद मिल सकती है।
  • वैश्विक कारकों का प्रभाव – यदि अमेरिका में ब्याज दरों को लेकर कुछ राहत मिलती है या फेडरल रिजर्व अपने रुख में बदलाव करता है, तो विदेशी निवेशकों की धारणा भी सकारात्मक हो सकती है।

निवेशकों के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए?

बाजार में बढ़ती अस्थिरता के बीच निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है। हालांकि गिरावट के बाद अक्सर निवेश के अच्छे मौके बनते हैं, लेकिन निवेशकों को कुछ प्रमुख रणनीतियों का पालन करना चाहिए:

  1. लंबी अवधि के निवेशकों के लिए – अगर आप लॉन्ग-टर्म निवेशक हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। बाजार में गिरावट को अवसर के रूप में देखें और मजबूत कंपनियों में निवेश बनाए रखें।
  2. शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स के लिए – बाजार अभी भी अस्थिर रह सकता है, इसलिए स्टॉप लॉस का ध्यान रखें और स्विंग ट्रेडिंग रणनीतियों पर फोकस करें।
  3. स्मार्ट सेक्टर पिक्स – बैंकिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और डोमेस्टिक कंजंप्शन आधारित कंपनियों में मजबूती बनी रह सकती है, इसलिए इन सेक्टर्स में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है।
  4. गिरावट में SIP जारी रखें – अगर आप म्यूचुअल फंड निवेशक हैं, तो SIP जारी रखना एक समझदारी भरा फैसला होगा, क्योंकि यह बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है।

क्या FPI का रुख मार्च में बदल सकता है?

फरवरी में भारतीय शेयर बाजार को भारी बिकवाली का सामना करना पड़ा, लेकिन मार्च में सुधार की संभावनाएं बनी हुई हैं। अगर वैश्विक कारकों में सुधार आता है, अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपने रुख में बदलाव करता है, और भारतीय कंपनियों की परफॉर्मेंस में सुधार देखने को मिलता है, तो FPI का रुझान बदल सकता है।

हालांकि, निवेशकों को सावधानी बरतने की जरूरत है और बिना सोचे-समझे बाजार में प्रवेश नहीं करना चाहिए। मार्च का महीना महत्वपूर्ण रहेगा, और यह तय करेगा कि क्या विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में वापसी करेंगे या फिर बिकवाली का दौर जारी रहेगा।

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