FPI ने 2025 के पहले हफ्ते में की बिकवाली, जनवरी के पहले 3 दिनों में ₹4285 करोड़ के शेयरों की निकासी
FPI बिकवाली की वजह से घरेलू बाजार में दबाव बना हुआ है, क्योंकि विदेशी निवेशक उच्च मूल्यांकन के कारण शेयर बेच रहे हैं। वहीं, निवेशकों ने चीनी शेयर बाजार में आकर्षक मूल्य पर निवेश करना शुरू किया है। डॉलर इंडेक्स 109 के आसपास है और 10 साल के बॉन्ड की यील्ड 4.5 प्रतिशत से अधिक हो गई है, जो वैश्विक निवेश पर असर डाल रहा है।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने जनवरी के पहले तीन कारोबारी सत्रों में भारतीय शेयर बाजारों से करीब 4,285 करोड़ रुपये निकाले हैं, जो डिपॉजिटरी के आंकड़ों से सामने आया है। इससे पहले दिसंबर में FPI ने भारतीय शेयरों में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था, लेकिन अब वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के बीच FPI की धारणा में बदलाव दिख रहा है। यह एक संकेत है कि निवेशकों के नजरिए में बदलाव हो रहा है, खासकर बाजार की स्थिति और वैश्विक वित्तीय संकेतकों को देखते हुए।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक डॉलर मजबूत रहेगा और अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड आकर्षक रहेगी, तब तक FPI की बिकवाली जारी रह सकती है। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार का कहना है कि इस समय डॉलर इंडेक्स 109 के आसपास है और 10 साल के बॉंड पर यील्ड 4.5 प्रतिशत से ऊपर है, जो FPI निकासी को बढ़ावा दे रहा है। ऐसे में, विदेशी निवेशकों की बिकवाली का सिलसिला जारी रह सकता है, जो भारतीय शेयर बाजारों को प्रभावित कर सकता है।
कंपनियों की तीसरी तिमाही नतीजों से पहले निवेशकों का सतर्क रुख
मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, विदेशी निवेशकों ने कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजों से पहले सतर्क रुख अपनाया है। इसके अलावा, अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित नीतियों और वैश्विक बाजारों पर उनके प्रभाव ने भी निवेशकों को सतर्क बना दिया है। इन सभी कारकों ने निवेशकों के आत्मविश्वास को प्रभावित किया है, जो अब बेहद सतर्क होकर निर्णय ले रहे हैं।
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट ने FPI की धारणा को और कमजोर किया है, क्योंकि मुद्रा जोखिम ने भारतीय निवेश को कम आकर्षक बना दिया है। वहीं, घरेलू मोर्चे पर, FPI मुख्य रूप से उच्च मूल्यांकन के कारण बिकवाली कर रहे हैं। निवेशकों ने चीनी शेयर बाजार में आकर्षक मूल्य पर निवेश किया है, और चीन द्वारा आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए प्रोत्साहन उपायों ने इस बदलाव को और तेज किया है। इन बदलावों का असर भारतीय शेयर बाजार पर साफ दिखाई दे रहा है।
बीते साल की तुलना में एफपीआई की खरीदारी में 99 फीसदी की कमी
पिछले साल की तुलना में भारतीय बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की खरीदारी में 99 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है, लेकिन दिसंबर महीने में स्थिति थोड़ी बेहतर रही। दिसंबर में FPI ने शुद्ध रूप से 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो कि एक सकारात्मक संकेत था। हालांकि, 2024 का समापन हरे निशान पर हुआ, लेकिन भारतीय इक्विटी बाजार में FPI की शुद्ध खरीद मूल्य 427 करोड़ रुपये कम हो गया। इस गिरावट के बावजूद, दिसंबर में हुए निवेश ने निवेशकों को कुछ राहत दी, जो वैश्विक और घरेलू अनिश्चितताओं के बीच बाजार में सतर्कता बनाए रखे हुए थे।