RBI के 4% लक्ष्य से नीचे आई महंगाई दर, फरवरी में मुद्रास्फीति 3.61% दर्ज
संक्षेप:-
फरवरी 2025 में भारत की महंगाई दर 3.61% पर आ गई, जो कि भारतीय रिज़र्व बैंक के 4% लक्ष्य से कम है। यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों और दालों की कीमतों में नरमी के कारण हुई। इससे RBI के लिए ब्याज दरों में आगे कटौती की संभावनाएँ बढ़ सकती हैं।

खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी
खाद्य महंगाई 3.75% रही, जिसमें सब्जियों के दाम सालाना 1.07% गिरे, जबकि जनवरी में इनमें 11.35% की वृद्धि हुई थी। इसी तरह, दालों की कीमतों में भी 0.35% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि जनवरी में इनकी कीमतें 2.59% बढ़ी थीं। अनाज और इससे जुड़े उत्पादों की कीमतों में भी मामूली कमी देखी गई। बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषकों के मुताबिक, अक्टूबर 2024 से सब्जियों की अधिक आपूर्ति ने कीमतों को नियंत्रित किया है, विशेष रूप से आलू और टमाटर के मामले में।
ब्याज दरों में कटौती की संभावना
महंगाई में आई नरमी और आर्थिक विकास दर में गिरावट को देखते हुए RBI आगे और ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। फरवरी में RBI ने लगभग पांच सालों में पहली बार अपनी रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती की थी, जिससे यह 6.25% पर आ गई। भारत की जीडीपी विकास दर भी उम्मीद से कमजोर 6.2% रही, जबकि पूरे वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह 6.5% दर्ज की गई, जो पिछले साल के 9.2% से काफी कम है।
वैश्विक अनिश्चितताओं का असर
हालांकि, भारतीय रिज़र्व बैंक अभी भी वैश्विक बाजारों में जारी उथल-पुथल को लेकर सतर्क है। व्यापार युद्ध, डॉलर की मजबूती और भू-राजनीतिक तनाव जैसी चुनौतियाँ उभरते बाजारों के लिए जोखिम बनी हुई हैं। लेकिन बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषकों का मानना है कि RBI अब आर्थिक विकास को समर्थन देने की नीति अपना रहा है, क्योंकि मध्यम अवधि में महंगाई 4% के आसपास बनी रहने की उम्मीद है।
बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान है कि RBI साल के अंत तक 100 आधार अंकों की कटौती कर सकता है, जिससे रेपो दर 5.50% तक आ सकती है। इससे न केवल लोन लेना सस्ता होगा, बल्कि बाजारों में तरलता भी बढ़ेगी, जिससे विकास को नई रफ्तार मिल सकती है। हालाँकि, गर्मी और मौसम से जुड़ी चुनौतियाँ एक बार फिर महंगाई को ऊपर धकेल सकती हैं, इसलिए स्थिति पर करीबी नजर बनाए रखना जरूरी होगा।
भारत में महंगाई दर की यह गिरावट आम जनता के लिए राहत की खबर हो सकती है, लेकिन क्या यह ट्रेंड लंबे समय तक बना रहेगा? इसका जवाब आने वाले महीनों में मौसम, सरकारी नीतियों और वैश्विक परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।

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