"भारत ने टैरिफ कम करने पर सहमति जताई है क्योंकि अब उन पर सवाल उठ रहे हैं" - डोनाल्ड ट्रंप

संक्षेप:-
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ कम करने पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि भारत, चीन और यूरोपीय संघ लंबे समय से अमेरिका के साथ व्यापारिक अन्याय कर रहे हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ओवल ऑफिस में प्रेस को संबोधित करते हुए, भारत के टैरिफ में कटौती पर बयान देते हुए।

वॉशिंगटन: अमेरिका और भारत के व्यापारिक संबंधों में बड़ा मोड़ आ सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को दावा किया कि भारत अब अमेरिकी उत्पादों पर लगने वाले भारी-भरकम टैरिफ को कम करने के लिए तैयार हो गया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला तब आया जब उनकी सरकार ने भारत की व्यापारिक नीतियों की पोल खोलनी शुरू की। ट्रंप ने इसे अपनी जीत बताते हुए कहा कि अब तक कई देशों ने अमेरिका का आर्थिक शोषण किया है, लेकिन अब यह बंद होगा।

ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि भारत अमेरिका पर “बड़े पैमाने पर टैरिफ” लगाता है, जिससे अमेरिकी कंपनियों के लिए वहां व्यापार करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा, “भारत ने अब टैरिफ कम करने पर सहमति जताई है क्योंकि पहली बार कोई उनकी असलियत उजागर कर रहा है।” ट्रंप ने चीन और यूरोपीय संघ को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि वे अमेरिका के साथ व्यापारिक अन्याय कर रहे हैं।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ बढ़ाए हैं। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन रूस पर भी नए बैंकिंग प्रतिबंध और टैरिफ लगाने पर विचार कर रहा है, जब तक कि यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं हो जाता।

अमेरिकी वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक ने भी भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि भारत की ऊंची टैरिफ दरें उसके अमेरिका के साथ रिश्तों को प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर भारत अमेरिका के साथ अपने संबंध मजबूत करना चाहता है, तो उसे व्यापक व्यापार समझौते पर विचार करना होगा। सूत्रों के अनुसार, अमेरिका भारत में टेस्ला की एंट्री को आसान बनाने के लिए कारों पर आयात शुल्क को शून्य करने की योजना बना रहा है।

विश्लेषकों का मानना है कि अगर भारत टैरिफ में कटौती करता है, तो इसका सीधा लाभ Apple, Tesla, और अन्य अमेरिकी कंपनियों को मिलेगा। इससे अमेरिकी उत्पाद भारतीय बाजार में सस्ते हो जाएंगे, जिससे घरेलू उद्योगों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।

हालांकि, भारत सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन ट्रंप के दावे से यह साफ संकेत मिल रहा है कि अमेरिका अब भारत पर अपने व्यापारिक नियमों में ढील देने का दबाव बढ़ा रहा है। अब देखना यह होगा कि भारत इस दबाव को मानता है या अपनी व्यापारिक संप्रभुता बनाए रखने के लिए कोई अलग रणनीति अपनाता है।

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