एलआईसी का मुनाफा 16% बढ़ा, लेकिन प्रीमियम कमाने में आई गिरावट – निवेशकों के लिए क्या संकेत?
एलआईसी ने वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में जबरदस्त 16% मुनाफा बढ़ाकर ₹11,009 करोड़ का आंकड़ा छू लिया, लेकिन नेट प्रीमियम अर्निंग 9% गिरकर ₹1,07,302 करोड़ पर सिमट गई। तिमाही-दर-तिमाही आधार पर भी प्रीमियम कम हुआ, जबकि निवेशित एसेट्स (AUM) में 10.29% की बढ़त देखी गई। दूसरी ओर, एलआईसी के शेयर तिमाही नतीजों से पहले गिरावट के साथ ₹811 पर बंद हुए, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ सकती है।

एलआईसी ने वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में शानदार मुनाफा दर्ज किया, जहां कंपनी का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 16% बढ़कर ₹11,009 करोड़ पर पहुंच गया। हालांकि, इस बढ़त के बावजूद, नेट प्रीमियम अर्निंग में 9% की गिरावट देखने को मिली, जो ₹1,07,302 करोड़ पर सिमट गई। यह संकेत देता है कि कंपनी का लाभ बढ़ा है, लेकिन प्रीमियम संग्रह में आई गिरावट चिंता का विषय बन सकती है।
तिमाही-दर-तिमाही प्रदर्शन देखें तो टैक्स के बाद का मुनाफा (PAT) 42% बढ़कर ₹7,729 करोड़ से ₹11,009 करोड़ हो गया, लेकिन नेट प्रीमियम अर्निंग 11% घट गई। पिछले वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में यह ₹1,20,326 करोड़ थी, जो अब घटकर ₹1,07,302 करोड़ रह गई। ऐसे में कंपनी को प्रीमियम ग्रोथ में आई सुस्ती से निपटने की रणनीति पर काम करना होगा।
शेयर बाजार में एलआईसी के नतीजों का मिला-जुला असर रहा। नतीजों की घोषणा के दिन एनएसई पर एलआईसी का शेयर ₹811 पर बंद हुआ, जो पिछले दिन के मुकाबले 2.15% कम था। इससे निवेशकों की भावनाओं पर असर पड़ सकता है, खासकर तब जब कंपनी की प्रीमियम कमाई में गिरावट दर्ज हो रही है।
कंपनी के राजस्व की बात करें तो पहले साल के प्रीमियम से ₹7,334 करोड़ की आय हुई, जो कि पिछली तिमाही के ₹11,245 करोड़ से काफी कम है। वहीं, रिन्यूअल प्रीमियम में मजबूती रही, जो ₹64,923 करोड़ तक पहुंच गई। हालांकि, सिंगल प्रीमियम सेगमेंट में गिरावट दर्ज की गई, जो ₹35,172 करोड़ पर आ गया, जबकि पिछली तिमाही में यह ₹46,998 करोड़ था।
एलआईसी का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 10.29% की बढ़त के साथ ₹54,77,651 करोड़ तक पहुंच गया, जो इसकी मजबूत निवेश स्थिति को दर्शाता है। हालांकि, पॉलिसीधारकों के फंड पर निवेश पर यील्ड में मामूली गिरावट आई है, जो 8.82% रह गई, जबकि पिछले वर्ष यह 9.14% थी। यह दर्शाता है कि निवेश से मिलने वाला रिटर्न थोड़ा कमजोर हुआ है।
कंपनी के खर्चों में भी सुधार देखने को मिला, जहां समग्र व्यय अनुपात 231 बेसिस प्वाइंट घटकर 12.97% रह गया। यह संकेत देता है कि एलआईसी अपने परिचालन को अधिक कुशल बना रही है और लागत नियंत्रण पर ध्यान दे रही है।
इन नतीजों से यह साफ है कि एलआईसी का मुनाफा बढ़ रहा है, लेकिन कंपनी को अपने प्रीमियम संग्रह को फिर से मजबूत करने की जरूरत है। निवेशकों के लिए यह संकेत है कि एलआईसी लंबी अवधि के लिए अभी भी मजबूत स्थिति में है, लेकिन निकट भविष्य में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।
आने वाले समय में, एलआईसी की रणनीति प्रीमियम ग्रोथ को दोबारा गति देने और निवेशकों का भरोसा बनाए रखने पर केंद्रित हो सकती है। अगर कंपनी अपने प्रीमियम कलेक्शन को स्थिर कर पाती है, तो यह न केवल इसके शेयरधारकों के लिए बल्कि पूरे बीमा उद्योग के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा।
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