SEBI घोटाला: SEBI ने मुंबई कोर्ट के FIR आदेश पर उठाए सवाल, माधबी पुरी बुच और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पर ऐतराज
संक्षेप:-
मुंबई की ACB कोर्ट ने SEBI की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और तीन अधिकारियों समेत BSE के दो वरिष्ठ पदाधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। आरोप है कि उन्होंने Cals Refineries की लिस्टिंग में अनियमितताएं कीं। SEBI ने इस आदेश को “गलत और आधारहीन” बताते हुए उच्च अदालत में चुनौती देने की बात कही है।

आरोप क्या हैं?
यह विवाद Cals Refineries नाम की कंपनी के स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने से जुड़ा है। आरोप है कि SEBI के कुछ अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी करते हुए इस कंपनी को शेयर बाजार में लिस्टिंग की मंजूरी दी। शिकायतकर्ता का कहना है कि यह कंपनी शेयर बाजार के नियमों को पूरा नहीं करती थी, फिर भी इसे लिस्ट कर दिया गया, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।
इसके अलावा, आरोप यह भी है कि SEBI के कुछ अधिकारियों ने जानबूझकर धोखाधड़ी को नजरअंदाज किया और कंपनी के प्रमोटरों को पैसे गबन करने का मौका दिया।
SEBI की सफाई और कानूनी जवाब
SEBI ने इस आदेश का विरोध किया है और कहा है कि शिकायतकर्ता पहले भी कई झूठे केस दर्ज कर चुका है। SEBI का कहना है कि अदालत ने यह आदेश बिना उनका पक्ष सुने ही जारी कर दिया, जो सही नहीं है।
SEBI का यह भी कहना है कि उसके अधिकारी पूरी ईमानदारी से अपने काम करते हैं और उन पर लगाया गया आरोप बिल्कुल गलत और आधारहीन है। इसलिए SEBI इस आदेश को उच्च अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।
इससे शेयर बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
जब किसी देश का शेयर बाजार नियामक संस्था ही सवालों के घेरे में आ जाए, तो इसका सीधा असर निवेशकों के विश्वास पर पड़ता है। विदेशी और भारतीय निवेशक सोचने लगते हैं कि अगर SEBI के अधिकारी खुद अनियमितताओं में शामिल हो सकते हैं, तो बाजार में पारदर्शिता कैसे बनी रहेगी?
अगर यह मामला आगे बढ़ता है और SEBI के अधिकारियों पर आरोप साबित होते हैं, तो इसका असर पूरे शेयर बाजार पर पड़ सकता है। इससे निवेशक डरे हुए रहेंगे और बाजार में अस्थिरता (volatility) बढ़ सकती है।
इसका मतलब आम निवेशकों के लिए क्या है?
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो यह मामला आपके लिए भी महत्वपूर्ण है। यह बताता है कि शेयर बाजार में पारदर्शिता बनाए रखना कितना जरूरी है। अगर नियामक संस्था खुद सवालों के घेरे में आ जाए, तो छोटे निवेशकों का पैसा जोखिम में पड़ सकता है।
आगे क्या होगा?
अब SEBI इस आदेश को उच्च अदालत में चुनौती देगा और अदालत में यह साबित करने की कोशिश करेगा कि उसके अधिकारी निर्दोष हैं। दूसरी तरफ, अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह भारत के शेयर बाजार के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
यह मामला सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि यह तय करेगा कि भारत का वित्तीय बाजार कितना पारदर्शी और भरोसेमंद है। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत का फैसला क्या आता है और इसका निवेशकों पर क्या असर पड़ता है।

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