सेंसेक्स 950 अंक उछला, निफ्टी 22,780 के पार – जानिए इस जबरदस्त रैली के पीछे की 12 बड़ी वजहें
संक्षेप:-
भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखी गई, जहां सेंसेक्स 900 अंक और निफ्टी 267 अंक चढ़कर नए स्तरों पर पहुंचे। इस उछाल के पीछे वैश्विक बाजारों की मजबूती, विदेशी निवेशकों (FII) की खरीदारी, बैंकिंग-मेटल सेक्टर में तेजी और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड स्थिर रहने जैसी 12 प्रमुख वजहें रहीं।

भारतीय शेयर बाजार ने मंगलवार को शानदार प्रदर्शन किया, जिससे निवेशकों में जबरदस्त जोश देखने को मिला। सेंसेक्स 900 अंकों की जबरदस्त छलांग लगाकर 75,078 तक पहुंच गया, जबकि निफ्टी 267 अंक चढ़कर 22,776 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। इस तेजी की खास बात यह रही कि लगभग सभी सेक्टर्स में खरीदारी देखने को मिली, खासकर बैंकिंग और मेटल सेक्टर में जबरदस्त उछाल आया।
1) वैश्विक बाजारों में मजबूती का असर
अमेरिकी और एशियाई बाजारों में आई मजबूती का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा। हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स 2% चढ़कर तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर बढ़ती उम्मीदों ने निवेशकों का भरोसा मजबूत किया। जापान का निक्केई इंडेक्स भी 1.5% उछला, जिससे वैश्विक बाजारों में सकारात्मक माहौल बना।
2) चीन के प्रोत्साहन उपायों से बाजार में जोश
चीन ने घरेलू मांग को बढ़ाने के लिए बड़े आर्थिक उपायों की घोषणा की है, जिनमें बच्चों की देखभाल पर सब्सिडी और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष योजना शामिल है। इससे कमोडिटी सेक्टर में तेजी आई और मेटल कंपनियों के शेयर उछल गए। हिंदाल्को, वेदांता और टाटा स्टील के शेयर 2% से ज्यादा चढ़े।
3) अमेरिकी खुदरा बिक्री के मजबूत आंकड़े
अमेरिका में फरवरी महीने में खुदरा बिक्री 0.2% बढ़ी, जिससे मंदी की आशंका थोड़ी कम हुई। हालांकि यह वृद्धि उम्मीद से कम रही, लेकिन बाजार को इससे स्थिरता मिली। मजबूत उपभोक्ता खर्च के संकेत से वैश्विक बाजारों में भी सकारात्मकता आई।
4) कमजोर अमेरिकी डॉलर का फायदा
डॉलर इंडेक्स पांच महीने के निचले स्तर पर आ गया है, जिससे भारतीय रुपये को सहारा मिला। डॉलर कमजोर होने से विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी भारतीय बाजार में बनी रहती है, जिससे विदेशी निवेश (FII) का प्रवाह बढ़ता है।
5) वैल्यू खरीदारी से तेजी बनी
निवेशकों ने कम कीमत वाले मजबूत शेयरों की खरीदारी की, जिससे बाजार को मजबूती मिली। इसके अलावा, भारत की GDP ग्रोथ 6.2% रहने, औद्योगिक उत्पादन में 5.1% की बढ़ोतरी और महंगाई दर घटकर 3.6% तक आने से भी बाजार को सहारा मिला।
6) रूस-यूक्रेन संघर्ष पर सकारात्मक संकेत
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से संघर्ष-विराम पर चर्चा करने की योजना बनाई है। अगर इस दिशा में कोई सकारात्मक प्रगति होती है, तो यह वैश्विक बाजारों के लिए एक बहुत अच्छी खबर होगी।
7) विदेशी निवेशकों (FII) की जबरदस्त खरीदारी
सोमवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजारों में ₹4,682 करोड़ का निवेश किया। जब विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों में खरीदारी बढ़ाते हैं, तो बाजार में मजबूती आती है।
8) बैंकिंग सेक्टर में शानदार तेजी
बैंकिंग सेक्टर में मजबूती देखने को मिली, जिसमें HDFC Bank, ICICI Bank और SBI के शेयरों में 2-3% की बढ़त आई। RBI की स्थिर मौद्रिक नीति और मजबूत लोन ग्रोथ के कारण बैंकिंग स्टॉक्स में तेजी बनी हुई है।
9) मेटल और ऑटो सेक्टर की रैली
मेटल और ऑटो सेक्टर में जबरदस्त खरीदारी हुई। मेटल कंपनियां चीन के आर्थिक सुधार से फायदा उठा रही हैं, जबकि ऑटो सेक्टर को घरेलू मांग में बढ़ोतरी से मजबूती मिल रही है। टाटा मोटर्स, मारुति और महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर 2-4% तक चढ़े।
10) अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और ब्याज दरों की उम्मीदें
अमेरिका में 10 साल के ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड में हल्की बढ़ोतरी हुई, लेकिन निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि फेडरल रिजर्व जल्दबाजी में ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा। इससे बाजार में स्थिरता बनी हुई है।
11) टेक्निकल फैक्टर भी कर रहे सपोर्ट
विश्लेषकों के अनुसार, निफ्टी 22,350 और सेंसेक्स 73,800 के ऊपर बना रहा तो तेजी जारी रह सकती है। प्रमुख रेजिस्टेंस लेवल 22,750 और 74,900 पर हैं। अगर बाजार इन स्तरों को तोड़ता है, तो और तेजी देखने को मिल सकती है।
12) क्रूड ऑयल में नरमी से फायदा
कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता बनी हुई है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा हो रहा है। ब्रेंट क्रूड 85 डॉलर प्रति बैरल के नीचे बना हुआ है, जिससे पेट्रोल-डीजल के दामों में राहत बनी रहेगी और कंपनियों की लागत कम होगी।
भारतीय शेयर बाजार की यह जबरदस्त तेजी कई कारकों का नतीजा है। वैश्विक संकेत, घरेलू आर्थिक मजबूती, विदेशी निवेशकों की खरीदारी और टेक्निकल फैक्टर्स ने मिलकर भारतीय बाजार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। हालांकि, निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि वैश्विक व्यापार युद्ध, ब्याज दरों में बदलाव और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसी अनिश्चितताएं बाजार की दिशा को प्रभावित कर सकती हैं।

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