सेंसेक्स 700 अंक गिरा, निफ्टी 1% नीचे; मिडिल ईस्ट तनाव ने बाजारों को हिला दिया

आज शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही 1% से अधिक नीचे आ गए, जिसकी वजह मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव और वैश्विक बाजारों में नकारात्मक रुझान बताए जा रहे हैं।
सुबह के कारोबार में सेंसेक्स 1,337.39 अंक (1.63%) गिरकर 80,354.59 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 415.20 अंक (1.66%) की गिरावट के साथ 24,473 पर आ गया। हालांकि, 11:37 AM तक कुछ सुधार हुआ और सेंसेक्स 686.80 अंक (0.84%) नीचे 81005.80 पर, जबकि निफ्टी 208.30 अंक (0.84%) की कमजोरी के साथ 24,679.90 पर ट्रेड कर रहा था।
किन शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट?
कोटक महिंद्रा बैंक, पावर ग्रिड, अडानी पोर्ट्स, टाटा मोटर्स, अल्ट्राटेक सीमेंट और एशियन पेंट्स जैसे प्रमुख शेयरों में सुबह से ही बिकवाली देखी गई।
बाजार गिरने की प्रमुख वजहें:
मिडिल ईस्ट में तनाव: इजरायल ने आज सुबह ईरान पर हमला किया, जिसमें परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाया गया। इस हमले के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने इजरायल को “कड़ी सजा” देने की चेतावनी दी है। इससे पूरे क्षेत्र में युद्ध का खतरा बढ़ गया है, जिससे निवेशकों में दहशत फैल गई।
Axis Securities के रिसर्च हेड अक्षय चिंचालकर ने कहा, “निफ्टी में गिरावट का मुख्य कारण मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव है। इजरायल के हमले के बाद बाजार में जोखिम से बचाव की प्रवृत्ति देखी जा रही है।”
वैश्विक बाजारों में मंदी: एशियाई बाजारों में भी गिरावट देखी जा रही है। दक्षिण कोरिया का कोस्पी, जापान का निक्केई 225, चीन का शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग सभी लाल निशान में हैं। अमेरिकी शेयर बाजारों के फ्यूचर्स भी 1% से ज्यादा नीचे चल रहे हैं।
कच्चे तेल के दाम में उछाल: इजरायल-ईरान तनाव के बाद ब्रेंट क्रूड 9.33% बढ़कर $75.83 प्रति बैरल पर पहुंच गया। भारत अपनी तेल जरूरतों का 85% से ज्यादा आयात करता है, इसलिए तेल महंगा होने से व्यापार घाटा बढ़ने और रुपये पर दबाव बढ़ने का खतरा है।
Geojit Investments के CIO वी.के. विजयकुमार ने कहा, “अगर यह संघर्ष लंबा खिंचता है, तो इसके आर्थिक नतीजे गंभीर हो सकते हैं। ब्रेंट क्रूड $78 के आसपास पहुंच गया है, जो बाजार के लिए चिंता का विषय है।”
विदेशी निवेशकों की बिकवाली: गुरुवार को FIIs ने 3,831.42 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा।
रुपये में कमजोरी: डॉलर के मुकाबले रुपया 56 पैसे गिरकर 86.08 पर आ गया। तेल की कीमतें बढ़ने, FIIs की बिकवाली और घरेलू बाजारों में कमजोरी ने रुपये को नुकसान पहुंचाया।
बाजार की दिशा अब मिडिल ईस्ट में हालात पर निर्भर करेगी। अगर तनाव और बढ़ता है, तो कच्चे तेल के दाम और ऊपर जा सकते हैं, जिससे महंगाई और ब्याज दरों पर असर पड़ सकता है। निवेशकों को अगले कुछ दिनों में और उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना चाहिए।