SMEs में लिस्टिंग के बाद अरबपति बनने की क्षमता है – NSE SME के सीईओ आशीष चौहान

संक्षेप:-
एनएसई (NSE) के सीईओ आशीष चौहान का कहना है कि भारतीय SMEs के पास स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होकर अरबपति बनने की क्षमता है, क्योंकि भारतीय पूंजी बाजार तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने घरेलू पूंजी की स्थिरता, खुदरा निवेशकों की बढ़ती संख्या और वैश्विक पूंजी बाजार में बढ़ती अनिश्चितता को भारतीय निवेशकों के लिए लाभकारी बताया। चौहान के अनुसार, भारत का मजबूत आर्थिक ढांचा और निवेश के प्रति बढ़ती रुचि SMEs और उद्यमियों के लिए बड़े अवसर पैदा कर रही है।

SMEs की NSE पर लिस्टिंग से उन्हें पूंजी जुटाने और बड़ा बनने का मौका मिलता है।

भारत (India) के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange – NSE) के प्रबंध निदेशक और सीईओ (Managing Director and CEO) आशीष चौहान ने कहा है कि छोटे और मझोले उद्यम (Small and Medium Enterprises – SMEs) अगर स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) में सूचीबद्ध होते हैं, तो उनके पास भविष्य में अरबपति (Billionaire) बनने की क्षमता होती है। भारतीय पूंजी बाजार (Indian Capital Market) में SMEs की लिस्टिंग (Listing) की संख्या में हाल के वर्षों में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। हालांकि, इसके साथ कुछ चिंताएं भी सामने आई हैं। सिर्फ पिछले साल ही NSE पर 200 से अधिक SMEs सूचीबद्ध हुए, जो यह दर्शाता है कि छोटे व्यवसाय अब बाजार (Market) से पूंजी (Capital) जुटाने और अपने विस्तार के लिए सार्वजनिक निवेश (Public Investment) को प्राथमिकता दे रहे हैं।

आशीष चौहान ने कहा कि अगर कोई उद्यमी (Entrepreneur) बड़ा बनना चाहता है और अपने व्यापार (Business) को नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहता है, तो उसे NSE पर सूचीबद्ध होने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि SME सेक्टर (Sector) में यह अभूतपूर्व वृद्धि भारत (India) में नवाचार (Innovation), उद्यमशीलता (Entrepreneurship) और दीर्घकालिक मूल्य निर्माण (Long-Term Value Creation) की नई लहर को दर्शाती है। भारत (India) में पिछले 10-15 वर्षों में निवेश पैटर्न (Investment Pattern) में जबरदस्त बदलाव आया है। पहले जहां निवेश (Investment) मुख्य रूप से रियल एस्टेट (Real Estate) और सोने (Gold) तक सीमित था, वहीं अब शेयर बाजार (Stock Market) आम लोगों के लिए संपत्ति बनाने का एक महत्वपूर्ण जरिया बन गया है।

2014 में भारत (India) में केवल 1.6 करोड़ निवेशक (Investors) थे, लेकिन बीते एक दशक में यह संख्या बढ़कर 11 करोड़ हो गई है। इस तरह निवेशकों की संख्या में लगभग सात गुना वृद्धि हुई है। खुदरा निवेशकों (Retail Investors) की इस बढ़ती भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए NSE निवेशकों (Investors) को शिक्षित कर रहा है और उन्हें सुरक्षित दीर्घकालिक निवेश (Safe Long-Term Investment) के महत्व को समझाने पर जोर दे रहा है। भारत (India) का मजबूत बाजार ढांचा (Strong Market Infrastructure), डिजिटल निवेश प्लेटफॉर्म (Digital Investment Platforms) और स्थिर नियामक व्यवस्था (Regulatory Stability) स्टार्टअप्स (Startups) और बढ़ते उद्यमों (Growing Enterprises) के लिए अनुकूल माहौल प्रदान कर रही है।

चौहान का कहना है कि जो उद्यमी (Entrepreneurs) वैश्विक स्तर (Global Level) पर विस्तार करना चाहते हैं, अपने व्यवसाय (Business) का मूल्य बढ़ाना चाहते हैं और पूंजी जुटाने (Capital Raising) की योजना बना रहे हैं, वे भारतीय पूंजी बाजार (Indian Capital Markets) को अपनी दीर्घकालिक सफलता (Long-Term Success) के लॉन्चपैड (Launchpad) के रूप में देख रहे हैं। इस समय भारतीय पूंजी बाजार (Indian Capital Market) निवेशकों (Investors) की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि (Historic Growth) के दौर से गुजर रहा है। आज पांच करोड़ से अधिक भारतीय निवेशक (Indian Investors) एसआईपी (Systematic Investment Plan – SIP) के माध्यम से म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) और इक्विटी (Equity) में नियमित रूप से निवेश कर रहे हैं। इससे धन सृजन (Wealth Creation) की प्रक्रिया अधिक समावेशी (Inclusive) और स्थिर (Stable) बन रही है। यह भी दर्शाता है कि अब बाजार (Market) केवल बड़े संस्थागत निवेशकों (Institutional Investors) तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि आम लोग (Retail Investors) भी इसे अपनाने लगे हैं।

एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि भारत (India) में घरेलू पूंजी (Domestic Capital) पहले से अधिक स्थिर (Stable) हो गई है। ऐतिहासिक रूप से, पूंजी नियंत्रण (Capital Controls) के कारण अधिकांश निवेश (Investment) भारत (India) के भीतर ही रहते थे, लेकिन अब एक बड़े घरेलू निवेशक आधार (Domestic Investor Base) ने SIP आधारित स्थिर वित्तपोषण (SIP-Based Stable Funding) का एक अनूठा पारिस्थितिकी तंत्र (Unique Ecosystem) तैयार किया है। इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि भारतीय निवेशक (Indian Investors) लंबी अवधि के निवेश (Long-Term Investment) पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसके विपरीत, वैश्विक पूंजी बाजार (Global Capital Market) इस समय अस्थिरता (Volatility) के दौर से गुजर रहा है। अमेरिका (United States – US) की वैश्विक भूमिका (Global Role) में बदलाव और उसके पारंपरिक निवेश स्रोतों (Traditional Investment Sources) में बढ़ती अस्थिरता (Increasing Volatility) ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रवाह (Global Financial Flows) को प्रभावित किया है।

चौहान ने वैश्विक शक्ति संतुलन (Global Power Balance) में बदलाव की ओर भी संकेत किया। उन्होंने कहा कि अब देश पारंपरिक बहुपक्षीय संस्थानों (Traditional Multilateral Institutions) जैसे संयुक्त राष्ट्र (United Nations – UN), विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization – WHO) और विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization – WTO) पर पहले की तरह निर्भर नहीं रह सकते। अमेरिका (US), जिसने दशकों तक इन संगठनों को आर्थिक रूप से सहयोग (Financial Support) दिया, अब अपनी प्राथमिकताएं (Priorities) बदल रहा है। ऐसे में, भविष्य में प्रत्येक राष्ट्र (Each Nation) को अपने हितों (Interests) की रक्षा के लिए द्विपक्षीय समझौतों (Bilateral Agreements) पर अधिक ध्यान देना होगा। इस नई वैश्विक वित्तीय व्यवस्था (New Global Financial Order) में भारत (India), अमेरिका (US) और चीन (China) जैसे शक्तिशाली देश (Powerful Nations) महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

भारत (India) के मजबूत आर्थिक बुनियादी ढांचे (Strong Economic Infrastructure) और बढ़ते खुदरा निवेश (Growing Retail Investment) के कारण, भारतीय पूंजी बाजार (Indian Capital Market) दुनिया भर के निवेशकों (Investors) के लिए आकर्षण (Attraction) का केंद्र बन रहा है। इसका फायदा SMEs को भी मिल सकता है, क्योंकि वे सार्वजनिक बाजार (Public Markets) से पूंजी (Capital) जुटाकर अपने व्यवसायों (Businesses) को और विस्तार देने की क्षमता रखते हैं। चौहान का मानना है कि आने वाले वर्षों (Upcoming Years) में भारतीय पूंजी बाजार (Indian Capital Market) नई ऊंचाइयों (New Heights) को छुएगा और SMEs के लिए यह एक बड़ा अवसर (Great Opportunity) साबित होगा।

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