सुप्रीम कोर्ट का बड़ा झटका! Airtel-Vodafone की AGR याचिका खारिज, शेयर धड़ाम

दूरसंचार कंपनियों की आपत्तियां और कोर्ट का फैसला
AGR बकाया विवाद और पिछला न्यायिक घटनाक्रम
यह विवाद काफी पुराना है और पिछले कई वर्षों से जारी है। जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार कंपनियों की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने एजीआर बकाया की गणना में हुई गलतियों को ठीक करने की मांग की थी। कंपनियों का दावा था कि गलत गणना के कारण उनकी देनदारी ₹1 लाख करोड़ से अधिक हो गई है।
इसके बाद सितंबर 2023 में भी सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर AGR बकाया की पुनर्गणना की मांग को अस्वीकार कर दिया था। इससे पहले 2022 में, जब कंपनियों ने अपने सुधारात्मक याचिकाओं (Curative Petitions) की सुनवाई खुले कोर्ट में करने का अनुरोध किया था, तब भी सर्वोच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया था।
AGR बकाया में छूट पर सरकार का प्रस्ताव
हाल ही में ऐसी खबरें आई थीं कि केंद्र सरकार दूरसंचार कंपनियों के AGR बकाया को लेकर बड़ी राहत देने पर विचार कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार एक प्रस्ताव पर विचार कर रही थी, जिसके तहत दूरसंचार कंपनियों के कुल AGR बकाया का 50% ब्याज और 100% जुर्माना तथा जुर्माने पर लगने वाला ब्याज माफ किया जा सकता है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले के बाद AGR बकाया में भारी वृद्धि हुई थी, जिसके कारण दूरसंचार कंपनियों पर बड़ा वित्तीय दबाव पड़ा।
शेयर बाजार पर प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के तुरंत बाद दूरसंचार कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई। वोडाफोन आइडिया के शेयर 4.16% की गिरावट के साथ ₹8.29 प्रति शेयर तक पहुंच गए, जबकि भारती एयरटेल के शेयरों में 0.51% की गिरावट आई और यह ₹1,705.00 प्रति शेयर तक लुढ़क गए।
शुक्रवार सुबह 11:35 बजे तक वोडाफोन आइडिया के शेयर 4.05% की गिरावट के साथ ₹8.30 प्रति शेयर पर कारोबार कर रहे थे, जबकि भारती एयरटेल के शेयर 0.15% की गिरावट के साथ ₹1,711.10 प्रति शेयर पर कारोबार कर रहे थे।
AGR बकाया को लेकर सुप्रीम कोर्ट का यह सख्त रवैया दूरसंचार कंपनियों के लिए एक और झटका साबित हुआ है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार अपने संभावित राहत पैकेज को लेकर क्या कदम उठाती है और इसका दूरसंचार उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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