शेयर डिविडेंड पर TDS सीमा ₹5000 ₹10,000, ₹12 लाख तक की आय टैक्स फ्री

2025-26 के केंद्रीय बजट में डिविडेंड आय पर टीडीएस की सीमा ₹5,000 से बढ़ाकर ₹10,000 की गई, जिससे निवेशकों को टैक्स का बोझ कम होगा। अब ₹10,000 तक की डिविडेंड आय पर कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा। इसके अलावा, मध्यम वर्ग के लिए आयकर छूट की सीमा ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख कर दी गई है।
₹12 लाख तक आय पर टैक्स छूट

मोदी सरकार ने 2025-26 के केंद्रीय बजट में कई महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव रखा है, जिनमें से एक प्रमुख बदलाव डिविडेंड आय पर टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) की सीमा को बढ़ाने का है। इस कदम से निवेशकों को बड़े फायदे होने की संभावना है, खासकर शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड निवेशकों को। पहले जहां ₹5,000 तक की डिविडेंड आय पर 10% TDS काटा जाता था, अब इसे बढ़ाकर ₹10,000 कर दिया गया है। इस बदलाव से निवेशकों को टैक्स का बोझ कम होगा और उनकी नेट आय बढ़ेगी।

नई टीडीएस सीमा का क्या मतलब है?

अब तक यदि किसी निवेशक को एक शेयर या म्यूचुअल फंड से ₹5,000 से अधिक की डिविडेंड आय मिलती थी, तो उस पर 10% TDS काटा जाता था। लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तावित नए नियम के अनुसार, यह सीमा ₹10,000 कर दी गई है। इसका सीधा मतलब है कि यदि किसी निवेशक को एक विशेष शेयर या म्यूचुअल फंड से ₹10,000 तक की डिविडेंड आय प्राप्त होती है, तो उस पर कोई TDS नहीं काटा जाएगा। केवल अगर डिविडेंड आय ₹10,000 से अधिक होगी, तब उस पर 10% का TDS काटा जाएगा।

ध्यान रखने योग्य बातें

इस नए प्रस्ताव के तहत यह महत्वपूर्ण है कि यह सीमा हर एक शेयर या म्यूचुअल फंड के लिए अलग-अलग लागू होगी। यानी, अगर आपके पास कई शेयर या म्यूचुअल फंड हैं और प्रत्येक से आपको डिविडेंड आय मिल रही है, तो हर एक डिविडेंड आय की राशि अलग-अलग देखी जाएगी। इसका मतलब यह है कि यदि किसी निवेशक को एक शेयर से ₹9,000 की डिविडेंड आय होती है और दूसरे से ₹7,000 की आय मिलती है, तो दोनों पर अलग-अलग TDS की सीमा लागू होगी, और दोनों ही स्थितियों में TDS नहीं काटा जाएगा क्योंकि कोई भी डिविडेंड आय ₹10,000 से अधिक नहीं है।

उदाहरण के रूप में समझें

श्री A को एक शेयर से ₹9,000 की डिविडेंड आय मिलती है। अब, नई TDS सीमा के अनुसार, ₹10,000 से कम होने के कारण, उनकी आय पर कोई TDS नहीं काटा जाएगा। पहले, ₹5,000 से अधिक होने पर 10% TDS काटा जाता था, और यदि यह नियम पहले लागू होता तो ₹900 TDS के रूप में कटते और निवेशक को ₹8,100 मिलते। अब, श्री A को पूरी ₹9,000 की डिविडेंड आय मिलेगी।

दूसरी ओर, श्री B को एक शेयर से ₹11,000 की डिविडेंड आय मिलती है। नई सीमा के अनुसार, उनकी आय ₹10,000 से अधिक होने के कारण 10% का TDS काटा जाएगा। इसका मतलब है कि ₹1,100 TDS के रूप में काटे जाएंगे, और श्री B को ₹9,900 प्राप्त होंगे।

बजट में टैक्स राहत

मोदी सरकार ने इस बजट में केवल डिविडेंड आय पर TDS की सीमा बढ़ाने का ही प्रस्ताव नहीं किया है, बल्कि मध्यम वर्ग के लिए टैक्स में भी राहत दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि पहले ₹7 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं था, अब इसे बढ़ाकर ₹12 लाख कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी व्यक्ति की आय ₹12 लाख तक है, तो उसे टैक्स नहीं देना होगा। यह कदम मध्यम वर्ग के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा और उनकी बचत में इजाफा करेगा। इस राहत से उन लोगों को फायदा होगा जो पहले उच्च आय वर्ग में आते थे और जिन पर ज्यादा टैक्स लगने की संभावना थी।

यह बदलाव कैसे निवेशकों को फायदा पहुंचाएगा?

यह नया प्रस्ताव, जो डिविडेंड आय पर TDS की सीमा बढ़ाता है, विशेष रूप से उन निवेशकों के लिए फायदेमंद होगा, जिनके पास शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड से नियमित डिविडेंड आय होती है। पहले ₹5,000 से अधिक की डिविडेंड आय पर TDS काटा जाता था, जो कि एक छोटा सा निवेशक वर्ग था। अब, ₹10,000 तक की आय पर कोई TDS नहीं काटा जाएगा, जिससे निवेशकों को अपनी पूरी डिविडेंड आय मिल सकेगी। इससे न केवल निवेशकों का टैक्स भार कम होगा, बल्कि उनके लिए बेहतर निवेश की संभावना भी पैदा होगी।

इस बजट में किए गए बदलावों से निवेशकों को निश्चित रूप से राहत मिलेगी, खासकर शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड निवेशकों को। डिविडेंड आय पर TDS की सीमा बढ़ाकर ₹10,000 करने से छोटे निवेशकों को काफी लाभ होगा। इसके अलावा, सरकार द्वारा मध्यम वर्ग के लिए आयकर छूट की सीमा बढ़ाना एक सकारात्मक कदम है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत होगी और वे अपनी बचत में वृद्धि कर सकेंगे। यह कदम इस दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है, जहां निवेशकों और आम नागरिकों को टैक्स के बोझ से राहत मिलेगी।

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