दिहाड़ी मजदूर के नाम पर 22.86 लाख रुपये का जीएसटी नोटिस, पहचान की चोरी का सनसनीखेज मामला

संक्षेप:-
तेलंगाना के दिहाड़ी मजदूर जनपति वेंकटेश्वरलु को 22.86 लाख रुपये की जीएसटी बकाया राशि का नोटिस मिला, जबकि उनका कोई व्यवसाय नहीं है। जांच में पता चला कि उनके पैन कार्ड का दुरुपयोग कर फर्जी कंपनी पंजीकृत की गई थी। विशेषज्ञों ने इसे पहचान की चोरी का मामला बताते हुए सख्त जांच और कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

तेलंगाना के मजदूर को जीएसटी धोखाधड़ी में फंसाने का मामला, 22.86 लाख रुपये का फर्जी नोटिस मिला।

तेलंगाना के एक दिहाड़ी मजदूर को 22.86 लाख रुपये की जीएसटी बकाया राशि का नोटिस मिलने से हड़कंप मच गया। चंद्रुगोंडा के रहने वाले जनपति वेंकटेश्वरलु, जो रोज़मर्रा की मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं, उस समय स्तब्ध रह गए जब उन्हें टैक्स विभाग की ओर से भारी भरकम बकाया राशि चुकाने का नोटिस मिला। वह किसी भी व्यवसाय से जुड़े नहीं हैं, जिससे यह मामला पहचान की चोरी और धोखाधड़ी का प्रतीत होता है।

वेंकटेश्वरलु को 4 मार्च को जारी डीआरसी-7 नोटिस डाक के माध्यम से उनके घर के पते पर मिला। यह नोटिस भग्या लक्ष्मी एंटरप्राइज नाम की एक फर्म के लिए जारी किया गया था, जिसका पंजीकरण विजयवाड़ा के एसबीआई कॉलोनी, सिद्धार्थ नगर में हुआ था। नोटिस में कहा गया कि कंपनी पर 2022-23 के टैक्स पीरियड के दौरान 22.86 लाख रुपये का जीएसटी बकाया है, जिसमें टैक्स, ब्याज और जुर्माना शामिल है। हालांकि, जब वेंकटेश्वरलु को स्थानीय लोगों की मदद से इस नोटिस की जानकारी मिली, तो वह यह सुनकर दंग रह गए कि उनके नाम पर पहले से ही एक पैन कार्ड जारी किया जा चुका है।

कुछ दिनों पहले जब वह एक मी-सेवा केंद्र गए और नया पैन कार्ड बनवाने का आवेदन किया, तो केंद्र के ऑपरेटर ने बताया कि उनके नाम पर पहले ही 22 सितंबर 2024 को एक पैन कार्ड जारी हो चुका है। इसका मतलब था कि किसी ने उनके दस्तावेजों का दुरुपयोग कर फर्जी व्यापार पंजीकरण करा लिया और जीएसटी का भुगतान करने से बचने के लिए उनकी पहचान का इस्तेमाल किया।

इस मामले पर विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी धोखाधड़ी के ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। कर सलाहकार कमल अग्रवाल के अनुसार, ऐसे मामलों में असली पीड़ित वे लोग होते हैं, जिनके दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द इस मामले की जांच करनी चाहिए और उन लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए, जिन्होंने इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया।

वकील और कानूनी विशेषज्ञ अली रजवी ने कहा कि इस तरह की घटनाएं बताती हैं कि कर प्रणाली में गंभीर खामियां हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि वेंकटेश्वरलु को तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए और जीएसटी विभाग को इस धोखाधड़ी की जानकारी देनी चाहिए। साथ ही, सरकार को उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए, जिनकी लापरवाही से यह मामला संभव हुआ।

ऐसी धोखाधड़ी से बचने के लिए विशेषज्ञों ने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। लोग जीएसटी पोर्टल पर जाकर अपने नाम से कोई फर्जी पंजीकरण हुआ है या नहीं, यह जांच सकते हैं। साथ ही, आधार को लॉक करने, क्रेडिट रिपोर्ट नियमित रूप से चेक करने और अपने दस्तावेजों को अनजान लोगों के साथ साझा न करने की सलाह दी गई है।

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