क्या UPI टॉफी बिज़नेस को खत्म कर देगा?

UPI के आगमन ने भुगतान प्रक्रिया को सरल और सटीक बना दिया है, जिसके परिणामस्वरूप पुराने “छुट्टा” देने की आदत समाप्त हो गई है, जिससे टॉफी और कैंडी बिज़नेस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। छोटे दुकानदार अब डिजिटल भुगतान के माध्यम से सटीक राशि चुकाते हैं, जिससे टॉफी की बिक्री में गिरावट आई है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि टॉफी बिज़नेस पूरी तरह से खत्म हो जाएगा, लेकिन इसका आकार सिकुड़ सकता है।
टॉफी बिज़नेस

भारत में डिजिटल पेमेंट की क्रांति ने सभी वर्गों के व्यापारों में एक बड़ा बदलाव किया है, और इसका प्रभाव हर छोटे से बड़े व्यवसाय पर पड़ा है। खासकर UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) के माध्यम से डिजिटल भुगतान के बढ़ते इस्तेमाल ने न सिर्फ़ खरीदारी की प्रक्रिया को बदल दिया, बल्कि कुछ ऐसे व्यवसायों को भी खतरे में डाल दिया है जिनकी हम पहले कल्पना भी नहीं कर सकते थे। एक ऐसा व्यवसाय, जो इस बदलाव से प्रभावित हो रहा है, वह है टॉफी और कैंडी का व्यापार।

‘छुट्टा नहीं है’ की प्रथा का अंत

भारत में वर्षों से एक परंपरा रही है कि जब ग्राहक दुकानदार से कुछ सामान खरीदते थे और उनके पास छुट्टे पैसे नहीं होते थे, तो दुकानदार उन्हें छोटे-छोटे बकायों की जगह टॉफी या कैंडी दे देते थे। यह रिवाज इतना पुराना था कि 30-40 पैसे के बकायों को भी टॉफी के रूप में चुकाया जाता था। यह छोटे पैसों का आदान-प्रदान दुकानदारों के लिए एक सामान्य प्रक्रिया बन चुका था।

लेकिन अब UPI के आने के बाद, यह पुरानी प्रथा लगभग समाप्त हो गई है। डिजिटल पेमेंट्स ने भुगतान की प्रक्रिया को इतना सरल और सटीक बना दिया है कि अब दुकानदारों और ग्राहकों को छुट्टे पैसे की कोई आवश्यकता नहीं रहती। ग्राहक अब अपनी खरीदारी के लिए पूरी राशि UPI के जरिए डिजिटल रूप से चुका देते हैं, और इस वजह से टॉफी देने की आवश्यकता भी खत्म हो गई है।

UPI का असर टॉफी बिज़नेस पर

UPI ने न केवल ग्राहकों के भुगतान के तरीके को बदल दिया है, बल्कि छोटे दुकानदारों की आदतों को भी बदल दिया है। भारत में करीब 13 मिलियन किराना या छोटी दुकानों पर इस बदलाव का प्रभाव पड़ चुका है। पहले जहां दुकानदारों को छुट्टे पैसे के बदले टॉफी देनी पड़ती थी, अब यह आवश्यकता पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है। अब ग्राहक अपनी सटीक राशि का भुगतान कर रहे हैं, और दुकानदारों को टॉफी की जरूरत नहीं है।

इस बदलाव का असर सीधे तौर पर टॉफी बनाने वाली कंपनियों पर पड़ रहा है। बड़े ब्रांड्स जैसे Mondelez, Mars, Nestle, Perfetti, Parle और ITC की बिक्री में गिरावट का जिक्र किया गया है। ये कंपनियाँ जो टॉफी और कैंडी उत्पादों का निर्माण करती हैं, अब अपने कारोबार में कमी महसूस कर रही हैं। पहले ग्राहकों के पास छुट्टे पैसे होते थे, जिससे वे छोटे बकायों के बदले टॉफी ले लेते थे। लेकिन अब डिजिटल भुगतान के कारण यह पुरानी आदत खत्म हो गई है और टॉफी की बिक्री में गिरावट आई है।

क्या टॉफी बिज़नेस का अंत हो गया?

UPI के आने के बाद टॉफी बिज़नेस का स्वरूप बदल गया है। अब लोग अपनी पूरी राशि डिजिटल पेमेंट के जरिए चुकाते हैं, जिससे टॉफी का आदान-प्रदान लगभग समाप्त हो चुका है। इस बदलाव के कारण टॉफी कंपनियों की बिक्री पर असर पड़ा है, और छोटे दुकानदारों को टॉफी रखने की जरूरत भी नहीं रही। इससे यह सवाल उठता है कि क्या टॉफी बिज़नेस का अंत हो चुका है?

हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि टॉफी का कारोबार पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। टॉफी कंपनियाँ शायद इस बदलाव को समझकर नए तरीके अपनाएँ, जैसे डिजिटल पेमेंट के माध्यम से टॉफी खरीदने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना। हालांकि, अगर यही रुझान जारी रहा, तो टॉफी का व्यापार निश्चित रूप से सिकुड़ सकता है और यह छोटे दुकानदारों और बड़े ब्रांड्स के लिए एक चुनौती बन सकता है।

UPI और टॉफी कंपनियों का भविष्य

UPI ने न सिर्फ ग्राहकों के व्यवहार को बदला है, बल्कि यह व्यवसायों को भी अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर रहा है। टॉफी बनाने वाली कंपनियाँ, जैसे Mondelez और Perfetti, अब अपने उत्पादों की बिक्री को बढ़ाने के लिए नए रास्ते खोज सकती हैं। उदाहरण के लिए, ये कंपनियाँ अब अपनी पैकिंग और प्रचार रणनीतियों में बदलाव कर सकती हैं या फिर डिजिटल पेमेंट के ज़रिए टॉफी खरीदने के नए तरीके पेश कर सकती हैं।

इसके अलावा, अन्य क्षेत्रों में भी UPI का प्रभाव देखा जा रहा है, जैसे कि रिटेल, ई-कॉमर्स और अन्य छोटे व्यवसाय। यदि टॉफी कंपनियाँ इस डिजिटल युग में अपने व्यापार को सफलतापूर्वक ढाल सकती हैं, तो वे खुद को पुनर्जीवित कर सकती हैं।

UPI ने भुगतान की प्रक्रिया को जितना सरल और सटीक बनाया है, उतना ही इसने टॉफी और कैंडी के व्यापार को चुनौती दी है। जहां एक ओर यह डिजिटल भुगतान व्यापार को बढ़ावा दे रहा है, वहीं दूसरी ओर यह व्यवसायों को इस बदलाव के अनुकूल ढालने के लिए मजबूर कर रहा है। अब लोग डिजिटल भुगतान के जरिए सटीक राशि का भुगतान करते हैं, जिससे पुराने दिनों की तरह टॉफी लेने की आदत लगभग खत्म हो गई है। इस बदलाव के कारण टॉफी बिज़नेस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, और भविष्य में इसे बढ़ने के बजाय सिकुड़ने का सामना करना पड़ सकता है।

अब यह सवाल है कि क्या टॉफी कंपनियाँ इस बदलाव को स्वीकार कर पाएंगी, या क्या यह व्यवसाय पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। लेकिन फिलहाल, UPI ने टॉफी बिज़नेस को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।

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