IPO की तैयारी में जुटा NSE: दूसरी तिमाही में शुद्ध लाभ 57% बढ़कर 3,137 करोड़ रुपये पर पहुंचा
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने दूसरी तिमाही में शुद्ध लाभ में 57% की वृद्धि दर्ज की है, जो 3,137 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। आईपीओ की दिशा में अग्रसर एनएसई का यह प्रदर्शन भारतीय शेयर बाजार में इसकी मजबूती को दर्शाता है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने अपनी आगामी आईपीओ योजना के बीच दूसरी तिमाही के शानदार नतीजे पेश किए हैं। 4 नवंबर को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, सितंबर तिमाही में NSE का समेकित शुद्ध लाभ 57% की भारी बढ़ोतरी के साथ 3,137 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले कहीं अधिक है। इसके साथ ही, NSE की समेकित कुल आय में भी 25% का इजाफा हुआ, जो बढ़कर 5,023 करोड़ रुपये हो गई।
NSE ने अपने बयान में बताया कि इस वृद्धि में ट्रेडिंग राजस्व के साथ-साथ अन्य राजस्व स्रोतों का भी प्रमुख योगदान रहा है। इनमें क्लीयरिंग सेवाएं, डेटा सेंटर और कनेक्टिविटी शुल्क, लिस्टिंग सेवाएं, इंडेक्स सेवाएं, और डेटा सेवाएं प्रमुख हैं, जिन्होंने मिलकर एनएसई की आय को सहारा दिया।
सरकार को एनएसई का योगदान:
NSE ने वित्तीय वर्ष 2025 की पहली छमाही में भारत के खजाने में 30,130 करोड़ रुपये का योगदान दिया। इसमें 24,755 करोड़ रुपये सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) और कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (सीटीटी), 2,099 करोड़ रुपये स्टांप ड्यूटी, 1,333 करोड़ रुपये भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) शुल्क, 1,119 करोड़ रुपये आयकर, और 824 करोड़ रुपये वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) शामिल हैं। एनएसई ने कहा, “इसमें से 24,755 करोड़ रुपये के एसटीटी/सीटीटी का 64% हिस्सा कैश मार्केट सेगमेंट से और 36% हिस्सा इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट से प्राप्त हुआ है।”
खर्चों में गिरावट:
NSE ने दूसरी तिमाही में कुल खर्चों में 8% की कमी दर्ज की, जिससे खर्च घटकर 1,303 करोड़ रुपये पर आ गया। इस गिरावट का मुख्य कारण सेबी को 670 करोड़ रुपये का सेटलमेंट शुल्क और 58 करोड़ रुपये का नियामकीय शुल्क रहा। इन खर्चों की आंशिक भरपाई कोर सेटलमेंट गारंटी फंड (एसजीएफ) में अतिरिक्त योगदान में कमी से की गई। एनएसई का ऑपरेटिंग ईबीआईटीडीए मार्जिन भी सुधार के साथ 74% पर पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 64% था।
आईपीओ की ओर कदम:
सितंबर 2024 में, भारतीय बाजार नियामक सेबी ने एनएसई और इसके पूर्व अधिकारियों रवि नारायण, चित्रा रामकृष्ण, आनंद सुब्रमण्यम और अन्य के खिलाफ सह-लोकेशन सेवाओं से जुड़े मामलों की कार्यवाही को समाप्त कर दिया था। इस फैसले ने एनएसई के आईपीओ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का रास्ता साफ कर दिया है। एनएसई का आईपीओ भारतीय शेयर बाजार में सबसे अधिक प्रतीक्षित और बड़ी पेशकशों में से एक है, और इसके सफल होने पर यह देश के निवेशकों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बन सकता है।
एनएसई की यह बढ़ी हुई कमाई, सरकार को बढ़ा हुआ योगदान, और नियामकीय स्वीकृति न केवल इसके आईपीओ की संभावनाओं को मजबूत करती है, बल्कि एनएसई की बाजार में बढ़ती हुई पकड़ और सेवाओं की विविधता को भी दर्शाती है। भारतीय निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी और एनएसई के बेहतरीन वित्तीय प्रदर्शन ने इसे और भी अधिक प्रभावशाली बना दिया है, जिससे भविष्य में इसके आईपीओ को लेकर काफी उम्मीदें बंधी हैं।