20 महीनों में पहली बार Nifty 50 ने छुआ 200-DMA का स्तर, बाजार में आ सकती है बड़ी उथल-पुथल
भारत के शेयर बाजार में हाल ही में Nifty 50 इंडेक्स ने 200-डे मूविंग एवरेज (DMA) के नीचे गिरने के बाद निवेशकों के बीच चिंताएं बढ़ा दी हैं। यह गिरावट विदेशी निवेशकों द्वारा भारी बिकवाली के चलते हुई है, जिससे बाजार में अस्थिरता का माहौल बन गया है। Nifty 50 का यह तकनीकी संकेतक आमतौर पर बाजार की दिशा में बदलाव का संकेत देता है। क्या यह गिरावट बाजार में और संकट लाएगी
भारतीय शेयर बाजार में हाल ही में Nifty 50 इंडेक्स ने 20 महीनों में पहली बार 200-डे मूविंग एवरेज (DMA) के नीचे कदम रखा है। Nifty 50 का यह गिरावट एक महत्वपूर्ण तकनीकी संकेतक है जो आमतौर पर बाजार की दिशा में बदलाव का संकेत देता है। इस गिरावट ने निवेशकों के बीच चिंता का माहौल बना दिया है, क्योंकि Nifty 50 का 200-DMA का स्तर एक दीर्घकालिक समर्थन बिंदु के रूप में देखा जाता है।
Nifty 50 का ऐतिहासिक सफर और उतार-चढ़ाव
Nifty 50 इंडेक्स फरवरी 2022 में पहली बार 200-DMA के नीचे गिरा था और कुछ ही समय बाद इसे फिर से पार कर लिया। इसके बावजूद, यह जुलाई 2022 तक 200-DMA के नीचे ही रहा। फरवरी 2022 से मार्च 2023 तक Nifty 50 एक समेकन स्थिति में रहा, जिसमें इसे कई बार निचले स्तर छूने और फिर रिकवरी का सामना करना पड़ा। उदाहरण के लिए, फरवरी से मार्च 2022 के बीच Nifty 50 में लगभग 10% की गिरावट देखी गई, और इसके तुरंत बाद अगले महीने में इसमें करीब 11% का उछाल आया। अप्रैल से जून 2022 के बीच, Nifty 50 में 18% की गिरावट दर्ज की गई, लेकिन इसके बाद कुछ ही महीनों में इसमें 22.5% की रिकवरी देखी गई।
मार्च 2023 से सितंबर 2024 तक, Nifty 50 में 40% तक की बढ़त देखी गई, जो बाजार में एक सकारात्मक संकेत था। लेकिन अब, विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली के चलते, Nifty 50 एक बार फिर से 200-DMA के स्तर को तोड़ चुका है, जो बाजार में अस्थिरता की स्थिति बना रहा है।
विदेशी बिकवाली का Nifty 50 पर असर
मौजूदा समय में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा भारी बिकवाली Nifty 50 को नीचे खींच रही है। अक्टूबर में FIIs ने लगभग 1 लाख करोड़ रुपये निकाले, और नवंबर में अब तक 26,000 करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक विदेशी निवेशकों का यह बिकवाली का रुख जारी रहेगा, Nifty 50 में अस्थिरता और गिरावट का खतरा बना रहेगा।
फिसडॉम के हेड ऑफ रिसर्च निरव करकड़ा ने Nifty 50 में 150-200 अंक की और गिरावट की संभावना जताई है। उनका मानना है कि “Nifty 50 के 200-DMA का टूटना अकेले में देखने लायक नहीं है; इसे व्यापक बाजार स्थिति के साथ समझना जरूरी है।” इसी तरह, वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के डायरेक्टर क्रांति बठिनी ने भी इस बिकवाली को बाजार में नकारात्मकता के मुख्य कारणों में से एक माना है।
Nifty 50 और क्षेत्रीय सूचकांकों पर असर
Nifty 50 के अलावा, इस समय अन्य क्षेत्रीय सूचकांकों पर भी गिरावट का असर देखा जा रहा है। BSE मिडकैप, स्मॉलकैप और पीएसयू इंडेक्स में भी 10% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। BSE SME और IPO सूचकांकों में क्रमशः 16% और 13% की गिरावट आई है। 19 में से 15 सेक्टोरल इंडेक्स अपने 52-सप्ताह के उच्च स्तर से 10% से अधिक नीचे आ चुके हैं, और यह गिरावट निवेशकों की भावनाओं में कमी का संकेत देती है।
खुदरा निवेशकों की भूमिका और भविष्य की संभावनाएं
बाजार में खुदरा निवेशकों का योगदान अब तक स्थिर बना हुआ है, लेकिन Nifty 50 की हालिया गिरावट के कारण यह देखना महत्वपूर्ण है कि वे किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं। यदि बाजार में गिरावट जारी रहती है, तो खुदरा निवेशकों की भागीदारी पर भी प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, लंबी अवधि में खुदरा निवेशकों द्वारा की जाने वाली खरीदारी Nifty 50 और अन्य सूचकांकों को एक संतुलन में ला सकती है।
निफ्टी के लिए आगे का मार्ग
इस समय Nifty 50 के 200-DMA के नीचे आना निवेशकों के लिए एक बड़ा संकेत है, और आने वाले कुछ हफ्तों में यह देखना जरूरी होगा कि क्या बाजार सुधार की स्थिति में आता है या गिरावट जारी रहती है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि विदेशी निवेशकों की बिकवाली रुकती है और सकारात्मक संकेतक आते हैं, तो Nifty 50 फिर से ऊपर जा सकता है।
अभी के लिए, Nifty 50 का 200-DMA के नीचे जाना बाजार में एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखा जा सकता है। निवेशकों को इस समय सतर्कता के साथ अपने फैसले लेने चाहिए, क्योंकि Nifty 50 के इस स्तर से संभावित रूप से बाजार में बड़ी हलचल हो सकती है।