PLI SCHEME: भारत में बिजली ट्रांसमिशन उपकरणों के आयात पर निर्भरता घटाने के लिए PLI योजना का ऐलान
PLI योजना से भारत में बिजली ट्रांसमिशन उपकरणों के स्थानीय उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा। आयात पर निर्भरता कम करने और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने की सरकार की बड़ी योजना।
भारत अपनी बिजली ट्रांसमिशन उपकरणों की अधिकतर आवश्यकता आयात से पूरी करता है, लेकिन जल्द ही इस पर निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार एक नई उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना लेकर आ रही है। बिजली मंत्रालय के दो अधिकारियों ने मनीकंट्रोल को जानकारी दी कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक इस योजना की शुरुआत की जाएगी।
बिजली ट्रांसमिशन उपकरणों का आयात और बढ़ती कीमतें
भारत ट्रांसफॉर्मर, सर्किट ब्रेकर और स्विचगियर जैसे बिजली ट्रांसमिशन उपकरणों का आयात करता है। वैश्विक स्तर पर मांग बढ़ने के कारण इन उपकरणों की कीमतों में भारी उछाल देखा गया है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में भारत ने $338 मिलियन मूल्य के ट्रांसमिशन उपकरण आयात किए, जिनमें से $124 मिलियन का आयात चीन से हुआ।
स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने का प्रयास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 नवंबर को बिजली मंत्रालय (MoP) को निर्देश दिया कि ट्रांसमिशन उपकरणों के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए PLI योजना तैयार की जाए। इस योजना के तहत स्थानीय सप्लाई चेन को मजबूत करने के कई विकल्पों पर विचार किया गया, लेकिन अंततः PLI योजना को अंतिम रूप दिया गया।
बढ़ती मांग और सप्लाई चेन की चुनौतियां
दुनिया भर में नवीकरणीय ऊर्जा के तेजी से विकास के कारण ट्रांसमिशन सेक्टर पर दबाव बढ़ रहा है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 1,650 गीगावाट (GW) की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता ट्रांसमिशन सिस्टम से जुड़ने की प्रतीक्षा कर रही है। भारत में भी यह समस्या गंभीर है।
नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को मंजूरी देने के बावजूद ट्रांसमिशन नेटवर्क के समय पर कमीशनिंग की कमी पर डेवलपर्स ने सवाल उठाए हैं।
नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान (ट्रांसमिशन)
अक्टूबर में बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान (ट्रांसमिशन) लॉन्च किया। इस योजना के तहत 2022-23 से 2031-32 तक 1,91,000 सर्किट किलोमीटर (ckm) ट्रांसमिशन लाइनों और 1,270 GVA ट्रांसफॉर्मेशन क्षमता को जोड़ा जाएगा। साथ ही, 33 GW हाई-वोल्टेज डायरेक्ट करंट (HVDC) बाई-पोल लिंक की भी योजना बनाई गई है।
2032 तक बड़े निवेश की जरूरत
बिजली मंत्रालय के अनुसार, ट्रांसमिशन सेक्टर को 2032 तक ₹9.15 लाख करोड़ से अधिक का निवेश चाहिए होगा। इसमें नेपाल, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ सीमा पार कनेक्शन के साथ-साथ सऊदी अरब और UAE के साथ संभावित इंटरकनेक्शन भी शामिल हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा में भारत के लक्ष्यों को मिलेगा बल
भारत का लक्ष्य 2030 तक अपनी कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित संसाधनों से हासिल करना है। ऐसे में ट्रांसमिशन सेक्टर में आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं को हल करना और कई बड़े ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करना अनिवार्य हो गया है। यही कारण है कि PLI योजना अब अपरिहार्य हो गई है।
निष्कर्ष
यह योजना भारत को आयात पर निर्भरता कम करने और विदेशी मुद्रा बचाने में मदद करेगी। इसके साथ ही, भारत में ट्रांसमिशन उपकरणों का स्थानीय उत्पादन बढ़ेगा और नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में यह योजना मील का पत्थर साबित होगी।