भारत में आज सोने की कीमत
22 दिसंबर 2024
सोने का प्रकार | आज की कीमत (₹/ग्राम) | कल की कीमत (₹/ग्राम) | बदलाव | बदलाव (%) |
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18K | ||||
22K | ||||
24K |
आज प्रति ग्राम 18 कैरेट सोने की कीमत (₹ रुपये)
वजन | आज की कीमत | कल की कीमत | बदलाव |
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1 ग्राम | |||
8 ग्राम | |||
10 ग्राम | |||
100 ग्राम | |||
1 किलो |
आज प्रति ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत (₹ रुपये)
वजन | आज की कीमत | कल की कीमत | बदलाव |
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1 ग्राम | |||
8 ग्राम | |||
10 ग्राम | |||
100 ग्राम | |||
1 किलो |
आज प्रति ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत (₹ रुपये)
वजन | आज की कीमत | कल की कीमत | बदलाव |
---|---|---|---|
1 ग्राम | |||
8 ग्राम | |||
10 ग्राम | |||
100 ग्राम | |||
1 किलो |
शहर | 22K (आज की कीमत) | 24K (आज की कीमत) | 18K (आज की कीमत) |
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चेन्नई | ₹7,100 | ₹7,745 | ₹5,865 |
मुंबई | ₹7,100 | ₹7,745 | ₹5,809 |
दिल्ली | ₹7,115 | ₹7,760 | ₹5,822 |
कोलकाता | ₹7,100 | ₹7,745 | ₹5,809 |
बैंगलोर | ₹7,100 | ₹7,745 | ₹5,809 |
हैदराबाद | ₹7,100 | ₹7,745 | ₹5,809 |
केरल | ₹7,100 | ₹7,745 | ₹5,809 |
पुणे | ₹7,100 | ₹7,745 | ₹5,809 |
वडोदरा | ₹7,105 | ₹7,750 | ₹5,813 |
अहमदाबाद | ₹7,105 | ₹7,750 | ₹5,813 |
गोल्ड प्राइस कैलकुलेटर
पिछले 10 दिनों में भारत में 22k सोने और 24k सोने का भाव (1 ग्राम)
दिनांक | 22K सोना | 24K सोना |
---|---|---|
22 दिसम्बर, 2024 | ₹7,100 (0) | ₹7,745 (0) |
20 दिसम्बर, 2024 | ₹7,040 (-30) | ₹7,680 (-33) |
19 दिसम्बर, 2024 | ₹7,070 (-65) | ₹7,713 (-71) |
18 दिसम्बर, 2024 | ₹7,135 (-15) | ₹7,784 (-16) |
17 दिसम्बर, 2024 | ₹7,150 (+10) | ₹7,800 (+11) |
16 दिसम्बर, 2024 | ₹7,140 (0) | ₹7,789 (0) |
15 दिसम्बर, 2024 | ₹7,140 (0) | ₹7,789 (0) |
14 दिसम्बर, 2024 | ₹7,140 (-90) | ₹7,789 (-98) |
13 दिसम्बर, 2024 | ₹7,230 (-55) | ₹7,887 (-60) |
12 दिसम्बर, 2024 | ₹7,285 (0) | ₹7,947 (0) |
भारत में हॉलमार्कड सोने की दर (Gold Rate) आज के दिन विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। इन कारकों को समझने के लिए, हमें सोने की कीमत के निर्धारण की प्रक्रिया को विस्तार से देखना होगा। नीचे हम इन प्रमुख कारकों को विस्तार से समझाते हैं:
1. वैश्विक सोने की कीमत (Global Gold Price)
सोने की कीमत को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला कारक अंतरराष्ट्रीय सोने की कीमत है। दुनिया भर में सोने की कीमतें, विशेष रूप से लंदन और न्यूयॉर्क में सोने के व्यापार के द्वारा निर्धारित होती हैं। इन बाजारों में चल रहे व्यापार और सोने की आपूर्ति-डिमांड के आधार पर, सोने की कीमतों में वृद्धि या गिरावट होती है। भारतीय बाजार में वैश्विक सोने की कीमत का सीधा असर पड़ता है, क्योंकि भारत में सोने का अधिकांश आयात किया जाता है।
2. भारतीय रुपया और अमेरिकी डॉलर का विनिमय दर (Rupee-Dollar Exchange Rate)
3. स्थानीय बाजार की मांग (Domestic Demand)
भारत में सोने की भारी मांग है, जो त्यौहारों, शादियों और निवेश के रूप में होती है। खासकर, दीपावली, अक्षय तृतीया, और शादी के मौसम में सोने की मांग बढ़ जाती है। इसके अलावा, सोने को एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, जिससे लोग इसे खरीदने में रुचि रखते हैं, खासकर आर्थिक संकट के समय में। जब मांग बढ़ती है, तो सोने की कीमतें भी बढ़ सकती हैं, और जब मांग कम होती है, तो कीमतें गिर सकती हैं।
4. सरकारी टैक्स और शुल्क (Taxes and Duties)
5. हॉलमार्किंग और सोने की शुद्धता (Hallmarking and Purity)
6. आपूर्ति और मांग (Supply and Demand)
7. मौसम और अन्य प्राकृतिक घटनाएं (Weather and Natural Events)
8. वित्तीय संकट और निवेशकों का रुझान (Financial Crisis and Investor Sentiment)
सोवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना: क्या इसमें निवेश करना फायदे का सौदा है?
1. सरकारी गारंटी (Government Guarantee)
2. वृद्धि की संभावना (Capital Appreciation)
3. ब्याज प्राप्ति (Interest Income)
4. कर लाभ (Tax Benefits)
5. लिक्विडिटी (Liquidity)
6. कम लागत (Low Cost)
7. भौतिक सोने का विकल्प (Alternative to Physical Gold)
क्या नुकसान हो सकते हैं?
- सोने की कीमतों में गिरावट: यदि सोने की कीमतों में गिरावट आती है, तो आपके निवेश की कीमत भी कम हो सकती है। यह जोखिम उन निवेशकों के लिए है जो सोने की कीमतों में वृद्धि की उम्मीद करते हैं।
- वास्तविक आय नहीं मिलती: सोवरेन गोल्ड बॉन्ड पर ब्याज दर 2.5% है, जो अन्य निवेश साधनों की तुलना में कम हो सकती है, खासकर उन निवेशकों के लिए जो उच्च ब्याज दरों की तलाश में होते हैं।
- लिक्विडिटी के लिए समय सीमा: हालांकि सोवरेन गोल्ड बॉन्ड सूचीबद्ध होते हैं और इनकी लिक्विडिटी होती है, लेकिन आपको इसे पांच साल से पहले रिडीम करने पर कुछ टैक्स और शुल्क का सामना करना पड़ सकता है।
भारत में सोने के आयात को समझना
1. सोने के आयात का कारण
2. सोने का आयात कैसे होता है?
भारत में सोने का आयात मुख्य रूप से प्रमुख सोने उत्पादक देशों से होता है, जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्ज़रलैंड, दक्षिण अफ्रीका, और संयुक्त अरब अमीरात। सोने का आयात रिफाइंड और हलचल रूप में किया जाता है, जो बाद में विभिन्न उद्योगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि आभूषण निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, और निवेश हेतु।
आयात प्रक्रिया:
- आयात आदेश: भारतीय व्यापारियों और आयातकों को सोने का आयात करने के लिए विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से अनुबंध और आदेश प्राप्त होते हैं।
- कस्टम ड्यूटी: सोने पर भारत सरकार द्वारा कस्टम ड्यूटी और अन्य शुल्क लगाए जाते हैं, जो आयातित सोने की कीमत को प्रभावित करते हैं।
- बैंकिंग और भुगतान: सोने का भुगतान सामान्यतः विदेशी मुद्रा (USD, EUR) में किया जाता है, क्योंकि सोने की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्धारित होती हैं।
3. भारत में सोने के आयात का प्रभाव
सोने के आयात का भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह देश के व्यापार घाटे और विदेशी मुद्रा भंडार पर असर डालता है। जब सोने का आयात बढ़ता है, तो यह व्यापार घाटे को बढ़ा सकता है, जिससे भारतीय रुपया कमजोर हो सकता है।
आर्थिक प्रभाव:
- व्यापार घाटा: सोने के आयात में वृद्धि से भारत का व्यापार घाटा बढ़ता है, क्योंकि सोने की आयात लागत अधिक होती है।
- मुद्रा आपूर्ति: सोने का आयात विदेशी मुद्रा की मांग को बढ़ाता है, जिससे रुपया कमजोर हो सकता है। यह भारतीय मुद्रा के मूल्य में उतार-चढ़ाव का कारण बन सकता है।
उद्योगों पर असर:
- आभूषण उद्योग: सोने का आयात भारतीय आभूषण उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है, जो भारत की सबसे बड़ी उद्योगों में से एक है। इसके अलावा, यह रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है।
- विनिर्माण और इलेक्ट्रॉनिक्स: सोने का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, जैसे कि मोबाइल फोन, कंप्यूटर और अन्य तकनीकी उपकरणों में भी होता है। इसलिए सोने का आयात इन उद्योगों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
4. भारत के सोने के आयात पर सरकारी नीतियाँ
भारत सरकार सोने के आयात पर विभिन्न नियम और शुल्क लागू करती है, ताकि देश की मुद्रा की स्थिरता बनाए रखी जा सके।
- कस्टम ड्यूटी: भारतीय सरकार सोने पर कस्टम ड्यूटी और आयात शुल्क लगाती है, ताकि आयात को नियंत्रित किया जा सके। हाल ही में, सरकार ने सोने पर आयात शुल्क बढ़ाया है, ताकि आयात कम किया जा सके और घरेलू सोने की मांग में बढ़ोतरी की जा सके।
- सरकारी योजनाएँ: जैसे कि सोवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना और अन्य निवेश योजनाएं, जो सोने के आयात की आवश्यकता को कम करने में मदद कर सकती हैं।
5. भारत में सोने के आयात के चुनौतियाँ
भारत में सोने के आयात में कुछ प्रमुख चुनौतियाँ भी हैं:
- व्यापार घाटा: सोने का आयात व्यापार घाटे को बढ़ाता है, जिससे भारतीय मुद्रा पर दबाव पड़ता है।
- आपूर्ति शृंखला समस्याएँ: वैश्विक स्तर पर सोने की आपूर्ति में किसी प्रकार की रुकावट, जैसे कि प्राकृतिक आपदाएं या राजनीतिक अस्थिरता, सोने के आयात को प्रभावित कर सकती है।
- मूल्य में उतार-चढ़ाव: अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव होने से भारत में सोने के आयात की लागत में परिवर्तन हो सकता है।
सोने की शुद्धता (Purity of Gold)
1. सोने की शुद्धता की माप (Measuring Purity)
सोने की शुद्धता को दो मुख्य मापदंडों के माध्यम से मापा जाता है:
- कैरेट (Karat – K): कैरेट वह माप है जो यह दर्शाता है कि सोने में कितने भाग वास्तविक सोना हैं।
- प्रतिशत (%): यह सोने की शुद्धता को प्रतिशत में मापता है, अर्थात सोने में कितने प्रतिशत वास्तविक सोना है।
2. कैरेट सिस्टम (Karat System)
कैरेट एक पारंपरिक माप है, जिसका उपयोग ज्यादातर आभूषणों में सोने की शुद्धता को मापने के लिए किया जाता है। 24 कैरेट (24K) सोने को सबसे शुद्ध माना जाता है, जबकि 22 कैरेट, 18 कैरेट और अन्य स्तरों का सोना कम शुद्ध होता है।
- 24 कैरेट सोना (24K): यह सबसे शुद्ध सोना होता है, जिसमें 99.9% वास्तविक सोना होता है। 24 कैरेट सोने को शुद्ध सोना माना जाता है, लेकिन यह अधिक मुलायम होता है, इसीलिए इसे आभूषण बनाने के लिए उपयोग करना मुश्किल हो सकता है।
- 22 कैरेट सोना (22K): इसमें 91.6% सोना और बाकी 8.4% अन्य धातुएं (जैसे, चांदी, तांबा आदि) होती हैं। यह सोना भारतीय आभूषणों में बहुत प्रचलित है, क्योंकि इसकी मजबूती अधिक होती है और इसे आसानी से आभूषणों में ढाला जा सकता है।
- 18 कैरेट सोना (18K): इसमें 75% सोना और 25% अन्य धातुएं होती हैं। यह सोना कम शुद्ध होता है, लेकिन अधिक मजबूत होता है और आभूषणों के निर्माण के लिए अच्छा विकल्प होता है।
- 14 कैरेट सोना (14K): इसमें 58.3% सोना और बाकी अन्य धातुएं होती हैं। इसे अधिकतर पश्चिमी देशों में उपयोग किया जाता है, और यह आभूषणों के लिए सबसे सस्ता विकल्प होता है।
3. सोने की शुद्धता प्रतिशत (Purity in Percentage)
सोने की शुद्धता को प्रतिशत में भी मापा जाता है, जो दर्शाता है कि सोने में वास्तविक सोना कितने प्रतिशत है।
- 99.9% शुद्धता (24K): सबसे शुद्ध सोना, जो सोने के व्यापार में “999” के रूप में जाना जाता है।
- 91.6% शुद्धता (22K): भारतीय आभूषणों में सबसे आम सोना, जो “916” के रूप में पहचाना जाता है।
- 75% शुद्धता (18K): जो “750” के रूप में मापी जाती है।
- 58.3% शुद्धता (14K): जो “585” के रूप में मापी जाती है।
4. हॉलमार्किंग (Hallmarking)
भारत में सोने की शुद्धता की पहचान हॉलमार्किंग द्वारा की जाती है। हॉलमार्किंग एक प्रक्रिया है, जिसके तहत सोने के आभूषणों की शुद्धता को प्रमाणित किया जाता है। हॉलमार्क के द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि सोने का आभूषण निर्धारित शुद्धता मानकों के अनुसार है। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा प्रमाणित हॉलमार्क सोने की गुणवत्ता और शुद्धता की गारंटी देती है।
हॉलमार्क में आमतौर पर 22K (91.6% शुद्धता) और 24K (99.9% शुद्धता) के चिह्न होते हैं, जिनसे शुद्धता का पता चलता है।
5. सोने की शुद्धता के फायदे
- विश्वसनीयता: हॉलमार्क किया गया सोना उच्च गुणवत्ता और शुद्धता का प्रमाण है, जो ग्राहकों को विश्वास देता है।
- बिक्री मूल्य: अधिक शुद्ध सोने का मूल्य अधिक होता है, क्योंकि यह अधिक स्थिर और विश्वसनीय माना जाता है।
- निवेश का लाभ: शुद्ध सोना निवेश के रूप में अधिक लाभकारी हो सकता है, क्योंकि इसकी कीमत समय के साथ बढ़ती रहती है।
6. कम शुद्धता सोने के नुकसान
- मूल्य में उतार-चढ़ाव: कम शुद्धता वाले सोने का मूल्य समय के साथ उतार-चढ़ाव कर सकता है, क्योंकि इसमें मिश्रित धातुएं होती हैं।
- आभूषणों की गुणवत्ता: कम शुद्धता वाला सोना आभूषणों में कम चमक और आकर्षण प्रदान करता है।
भारत में सोने की कीमतों का इतिहास (History of Gold Prices in India)
1. स्वतंत्रता के बाद (Post-Independence Era)
भारत की स्वतंत्रता के बाद, सोने की कीमतों में व्यापक बदलाव देखे गए। सोने की मांग और आयात पर सरकारी नियंत्रण बढ़ गया।
- 1960-1970 का दशक: स्वतंत्रता के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में अस्थिरता और महंगाई ने सोने की कीमतों को प्रभावित किया। 1960 और 1970 के दशक में, सोने की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई, क्योंकि भारत में राजनीतिक और आर्थिक संकट थे।
- 1970-1980 का दशक: 1980 के दशक में, सोने की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव आया। सोने की कीमतों में 1970 के अंत और 1980 की शुरुआत में तेजी आई, जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में भारी वृद्धि हुई।
2.1990 का दशक (1990s)
1991 में भारत ने आर्थिक सुधारों की शुरुआत की और सोने के आयात पर कड़े प्रतिबंध हटाए गए। इसके बाद, भारतीय बाजार में सोने की कीमतों में और अधिक उतार-चढ़ाव देखा गया।
- सोने का आयात: 1990 के दशक के अंत में, भारतीय सरकार ने सोने के आयात पर कड़े नियंत्रण हटा दिए, जिससे सोने की कीमतों में और वृद्धि हुई।
- 1992 में सोने की कीमत: 1992 में, भारतीय बाजार में सोने की कीमत 400 रुपये प्रति ग्राम तक पहुँच गई थी, जो उस समय के लिए एक उच्च दर थी।
3. 2000-2010 का दशक (2000-2010)
2000 के दशक में, सोने की कीमतों में तेज वृद्धि हुई। भारतीय निवेशकों के लिए सोना एक प्रमुख निवेश बन गया, और वैश्विक सोने की कीमतों के साथ भारतीय बाजार ने भी नई ऊँचाइयाँ देखीं।
- 2000 में सोने की कीमत: 2000 में सोने की कीमत करीब 5,000 रुपये प्रति दस ग्राम थी।
- 2008 का वित्तीय संकट: 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट ने सोने की कीमतों में वृद्धि की। निवेशक अपनी संपत्तियों को सुरक्षित रखने के लिए सोने की ओर आकर्षित हुए। परिणामस्वरूप, 2008 के अंत तक सोने की कीमत 20,000 रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुँच गई।
4. 2010-2020 का दशक (2010-2020)
इस दशक में सोने की कीमतों में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव देखा गया। वैश्विक आर्थिक संकट, अमेरिकी डॉलर की स्थिति, और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने की मांग के कारण सोने की कीमतें तेजी से बढ़ी।
- 2011 में सोने की कीमत: 2011 में, सोने की कीमत 30,000 रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुँच गई।
- 2012-2013 का उच्चतम स्तर: 2012 और 2013 में सोने की कीमतों ने उच्चतम स्तर को छुआ, जो 32,000 रुपये से 35,000 रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुँच गई थी।
- 2016-2017 में गिरावट: 2016 में भारतीय रुपये में सुधार और वैश्विक संकटों के समाधान के कारण सोने की कीमत में थोड़ी गिरावट आई, लेकिन 2018 में फिर से कीमतों में वृद्धि देखी गई।
5. 2020-2024 (Recent Years)
2020 के बाद से सोने की कीमतें ऐतिहासिक उच्चतम स्तर पर पहुँच गईं। COVID-19 महामारी, वैश्विक आर्थिक संकट, और यूक्रेन-रूस युद्ध जैसे कारकों के कारण सोने की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है।
- 2020 में सोने की कीमत: 2020 में सोने की कीमत 50,000 रुपये प्रति दस ग्राम के पार चली गई थी।
- 2021 में रिकॉर्ड कीमत: 2021 में सोने की कीमत 56,000 रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुँच गई थी, जो एक रिकॉर्ड उच्चतम स्तर था।
- 2023 और 2024 की कीमतें: 2023 में सोने की कीमत 60,000 रुपये प्रति दस ग्राम के आसपास रही, और 2024 में 76,000 से भी ज्यादा उच्च कीमतों का रुझान जारी है।