Nifty में 3 दिनों में 600 अंकों की गिरावट: US Fed के फैसले से पहले बाजार क्यों गिरे और RBI MPC बैठक तक बाजार का रुख कैसा रहेगा?
US Federal Reserve की नीति घोषणा से पहले भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली है। Nifty में सोमवार से अब तक लगभग 600 अंकों की गिरावट आई है, और यह 2.5% तक नीचे आ गया है। यह गिरावट नवंबर के अंत में शुरू हुई 6.1% की तेजी के बाद आई है, जहां बाजार ने अपने 21 नवंबर के निचले स्तर से जबरदस्त रिकवरी की थी।
बाजार में गिरावट के कारण
मुनाफावसूली और सतर्कता:
The Streets के फंड मैनेजर और ट्रेडिंग रणनीतिकार कुनाल रंभिया ने बताया कि हाल ही में Nifty में 6-7% की तेज रिकवरी के बाद निवेशकों ने मुनाफा बुक करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि बड़े फैसलों से पहले, जैसे US Fed का रेट कट निर्णय, इस तरह की 40% की करेक्शन सामान्य है।
WealthMills Securities के इक्विटी रणनीति निदेशक क्रांति बथिनी ने कहा कि निवेशक हालिया तेजी के बाद सतर्क हो गए हैं और फिलहाल साइडलाइन पर इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 24,000 का स्तर Nifty के लिए महत्वपूर्ण है। अगर यह स्तर बरकरार रहता है, तो बाजार में ऊपर की ओर रुझान की संभावना बनी रहती है।
US Fed का फैसला और संभावित प्रभाव
US Fed से 25 बेसिस पॉइंट्स की रेट कट की उम्मीद है, जो कि सितंबर और नवंबर में क्रमशः 50 और 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती के बाद होगा। कुनाल रंभिया ने कहा कि यह कदम पहले से ही बाजार में शामिल हो चुका है और इससे भारतीय बाजारों में सकारात्मक रुझान के साथ स्थिरता बनी रह सकती है।
हालांकि, अगर Fed अपनी नीति दर में कटौती नहीं करता है, तो भारतीय बाजारों में 3-4% की और गिरावट हो सकती है। बथिनी ने कहा कि Fed की टिप्पणी (commentary) भी महत्वपूर्ण होगी, खासकर 2025 में दर कटौती की संभावनाओं को लेकर। यदि Fed का रुख आक्रामक (hawkish) होता है, तो बाजार में घबराहट के चलते अल्पकालिक गिरावट आ सकती है।
RBI MPC बैठक और आगे का रुख
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की अगली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 5-7 फरवरी को होगी। यह बैठक नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में पहली होगी। रंभिया ने कहा कि भारत, अमेरिका की रेट कट गति से मेल नहीं खा सकता, जिससे भारतीय बाजार 2025 में कमजोर प्रदर्शन कर सकते हैं।
बथिनी का मानना है कि अगर Fed अपनी नीति दर में कटौती करता है, तो यह RBI पर अपने न्यूट्रल स्टांस को बनाए रखने का दबाव कम कर सकता है और फरवरी में पॉलिसी ईजिंग का रास्ता खोल सकता है।
निवेश रणनीतियां: कौन से सेक्टर हैं फोकस में?
फार्मा और FMCG:
क्रांति बथिनी ने कहा कि मौजूदा बाजार में फार्मा और FMCG सेक्टर बेहतर विकल्प हैं क्योंकि ये तुलनात्मक रूप से स्थिर हैं और हाल ही में इनके वैल्यूएशन आकर्षक हो गए हैं।स्टॉक-स्पेसिफिक निवेश:
कुनाल रंभिया ने सुझाव दिया कि निवेशकों को आगामी बजट को ध्यान में रखते हुए स्टॉक- और सेक्टर-विशिष्ट रणनीतियों पर ध्यान देना चाहिए।
US Fed के फैसले और RBI की फरवरी नीति बैठक के बीच भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है। अल्पकालिक निवेशकों के लिए सतर्कता और उचित स्टॉप लॉस रखना जरूरी होगा, जबकि दीर्घकालिक निवेशक हर गिरावट पर खरीदारी का अवसर देख सकते हैं।