Us Fed की Interest Rate में और कटौती: क्या India में होगा Economic Boom या मंदी का डर?

Federal Reserve ने बुधवार को अपनी प्रमुख ब्याज दर में 0.25% की कमी की घोषणा की, जो लगातार तीसरी बार दरों में कटौती है। इस निर्णय ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचाई, खासकर अमेरिकी stock market और bond yields में। इस कटौती के साथ, Fed ने यह संकेत दिया कि भविष्य में भी दरों में और कमी हो सकती है

Fed की दरों में कमी के बाद Gift Nifty में गिरावट: क्या भारत के लिए है ये चेतावनी?

वाशिंगटन – Federal Reserve ने बुधवार को अपनी प्रमुख ब्याज दर में 0.25% की कमी की घोषणा की, जो लगातार तीसरी बार दरों में कटौती है। इस निर्णय ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचाई, खासकर अमेरिकी stock market और bond yields में। इस कटौती के साथ, Fed ने यह संकेत दिया कि भविष्य में भी दरों में और कमी हो सकती है, लेकिन यह निर्णय सीमित समय और दायरे के भीतर ही लागू होगा। भारत के शेयर बाजारों पर इसका प्रभाव महसूस किया जा सकता है, क्योंकि विदेशी निवेशक इन बदलावों के परिणामस्वरूप भारतीय बाजार में निवेश के अवसरों को फिर से परख सकते हैं।

Federal Open Market Committee (FOMC) ने अपनी overnight lending rate को घटाकर 4.25% से 4.5% के बीच कर दिया, जो दिसंबर 2022 के स्तर पर वापस आ गई है। भारतीय बाजारों के संदर्भ में, यह निर्णय विदेशी निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, जो अमेरिकी interest rates में कमी के बाद भारत में foreign direct investment (FDI) और foreign institutional investment (FII) में वृद्धि की संभावना देख सकते हैं।

इसके अलावा, Fed ने संकेत दिया कि 2025 में शायद केवल दो और कटौती हो सकती हैं, जैसा कि उनके dot plot matrix में दिखाया गया है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि भारतीय RBI (Reserve Bank of India) अपने निर्णयों को अमेरिकी दरों के साथ समायोजित करता है। यदि अमेरिकी interest rates में और कमी आती है, तो RBI को भी भारतीय बाजारों में नकद प्रवाह को बनाए रखने के लिए अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है।

फेड के इस निर्णय से वैश्विक वित्तीय बाजारों में बंधक दरों और Treasury yields में बदलाव आया है। भारत के equity markets में भी इसका असर देखा जा सकता है, क्योंकि निवेशक भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए भारत में equity investment को एक आकर्षक विकल्प मान सकते हैं। साथ ही, भारतीय बैंकों द्वारा लोन की दरों में संभावित कमी हो सकती है, जो उपभोक्ता खर्च और विकास को प्रोत्साहित कर सकती है।

हालांकि, कुछ FOMC सदस्य इस निर्णय से असहमत थे। क्लीवलैंड Fed के अध्यक्ष बेथ हैमैक ने पिछली दर को बनाए रखने का सुझाव दिया था, जबकि भारत में ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाए रखने की जरूरत है, RBI को भी अपनी नीतियों में समान संतुलन बनाना पड़ेगा।

वर्तमान में, अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत दिख रही है, लेकिन inflation अपने लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। भारतीय बाजारों में भी मुद्रास्फीति की चिंता बनी हुई है, लेकिन Indian economy की मजबूत विकास दर और रोजगार सृजन की गति इस स्थिति से उबरने में मदद कर रही है। यदि Fed ने अपनी दरों में और कटौती की, तो इसका भारतीय बाजारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, खासकर stocks और bonds में निवेश की दिशा में।

Fed Chairman Jerome Powell ने इस कटौती को Fed’s नीति को संतुलित रखने के एक प्रयास के रूप में प्रस्तुत किया है, ताकि बाजार में स्थिरता बनी रहे और कोई अनावश्यक मंदी न आए। भारतीय निवेशकों को Fed की भविष्यवाणियों को ध्यान में रखते हुए अपनी निवेश रणनीतियों को फिर से जांचने की आवश्यकता होगी, ताकि वे वैश्विक आर्थिक बदलावों के साथ तालमेल बिठा सकें।

इस बीच, Gift Nifty ने इस निर्णय के बाद गिरावट दर्ज की है और 126 अंक (-0.50%) तक गिरकर Gift Nifty इंडेक्स नीचे trade करने लगा है। यह संकेत है कि बाजार Fed के फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं, और निवेशक interest rate में कटौती के परिणामस्वरूप भविष्य की economic growth और inflation के प्रभावों को लेकर सतर्क हैं।

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