ICICI Securities की डीलिस्टिंग और मर्जर: व्हिसलब्लोअर ने लगाए BofA Securities पर गंभीर आरोप
ICICI Bank और ICICI Securities के मर्जर में व्हिसलब्लोअर ने BofA Securities पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जानें कैसे ICICI Bank की भूमिका और स्वैप रेशियो पर उठे सवाल, और क्यों SEBI से जांच की मांग की गई है।
ICICI Bank Limited और ICICI Securities Limited के डीलिस्टिंग और मर्जर से जुड़े मामले में एक नया मोड़ आया है। एक व्हिसलब्लोअर ने BofA Securities India पर सवाल उठाए हैं, जो इस डील के वैल्यूएशन और स्वैप रेशियो पर निष्पक्ष राय देने के लिए स्वतंत्र मर्चेंट बैंकर के तौर पर नियुक्त किया गया था।
व्हिसलब्लोअर का आरोप:
22 अक्टूबर को Securities and Exchange Board of India (SEBI) को भेजे गए विस्तृत मेल में व्हिसलब्लोअर ने दावा किया कि BofA Securities को निष्पक्ष राय के लिए केवल चार-पांच दिन पहले, 29 जून 2024 को ICICI Bank बोर्ड की मंजूरी से पहले, यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
इस तंग समय सीमा के बावजूद, वैल्यूएशन रिपोर्ट मिलने के उसी दिन पर राय पर हस्ताक्षर कर दिए गए, जिससे इस प्रक्रिया की गहनता और स्वतंत्रता पर सवाल खड़े हो गए।
समय पर सवाल:
हालांकि, मामले के करीबी लोगों ने आरोपों की टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं। जुलाई 2023 में तैयार की गई वैल्यूएशन रिपोर्ट को पहले ही SEBI, National Company Law Tribunal (NCLT), स्टॉक एक्सचेंजों और ICICI Bank और ICICI Securities दोनों के बोर्डों द्वारा मंजूरी मिल चुकी थी।
लेकिन, चूंकि व्हिसलब्लोअर का पत्र SEBI को पिछले महीने ही भेजा गया था, इससे इन आरोपों की मंशा और उद्देश्य पर संदेह पैदा हो रहा है।
मुख्य आरोप:
हितों का टकराव:
निष्पक्ष राय का काम कथित तौर पर ICICI Securities के बजाय ICICI Bank द्वारा दिया गया था, और इसमें ICICI Bank के अधिकारियों ने वैल्यूएशन प्रक्रिया को नियंत्रित किया।पूर्व निर्धारित नतीजे:
आरोप है कि BofA Securities को निर्देश दिया गया था कि वह ICICI Bank द्वारा दिए गए वैल्यूएशन और स्वैप रेशियो को “जैसा है वैसा” स्वीकार करे।अनियमित संवाद:
आरोप है कि BofA Securities और ICICI Bank के बीच व्यापक बातचीत हुई, जबकि ICICI Securities के साथ संवाद न के बराबर था। इसके सबूत BofA के IT सिस्टम में मौजूद बताए गए हैं।
अन्य आरोप:
व्हिसलब्लोअर ने यह भी दावा किया कि प्रमुख चर्चा व्यक्तिगत डिवाइस और WhatsApp पर हुई, जिससे नियामक प्रक्रिया में खामियां पैदा हुईं।
इसके अलावा, प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्मों की आलोचना की गई, जिन्होंने खुदरा निवेशकों के विरोध के बावजूद “कम वैल्यूएशन” का समर्थन किया। अल्पसंख्यक शेयरधारकों ने शुरुआत से ही डीलिस्टिंग का विरोध किया है, इसे अनुचित मूल्य निर्धारण और पारदर्शिता की कमी बताया है।
SEBI से अपील:
व्हिसलब्लोअर ने SEBI को लिखे पत्र में इन अनियमितताओं की जांच की मांग की है। पत्र में BofA Securities के आंतरिक रिकॉर्ड, ईमेल, IT सिस्टम लॉग और बैठक के रिकॉर्ड को सबूत के रूप में पेश करने का उल्लेख है।
इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक SEBI, BofA Securities, ICICI Bank और ICICI Securities को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला था।
अल्पसंख्यक शेयरधारकों की NCLAT में अपील:
अल्पसंख्यक शेयरधारकों द्वारा डीलिस्टिंग के विरोध में दायर एक अन्य मामला National Company Law Appellate Tribunal (NCLAT) में लंबित है। उनका तर्क है कि यह डील ICICI Bank को अनुचित लाभ पहुंचाती है, जबकि ICICI Securities के निवेशकों को नुकसान होता है।