Mahindra vs IndiGo: ट्रेडमार्क '6E' को लेकर छिड़ी कानूनी जंग!
Mahindra और IndiGo के बीच ‘6E’ ट्रेडमार्क को लेकर कानूनी विवाद छिड़ा है। IndiGo का कहना है कि Mahindra का ‘BE 6e’ उनके प्रसिद्ध ब्रांड का उल्लंघन करता है। जानें इस उच्च-स्तरीय ट्रेडमार्क विवाद के प्रमुख तर्क, पिछले मामलों और संभावित परिणामों के बारे में।
ट्रेडमार्क '6E' पर विवाद
Mahindra & Mahindra और InterGlobe Aviation, जो IndiGo Airlines की मालिक है, के बीच ट्रेडमार्क ‘6E’ को लेकर कानूनी विवाद खड़ा हो गया है। Mahindra ने हाल ही में अपने दो नए इलेक्ट्रिक ब्रांड्स BE 6e और XUV 9e लॉन्च किए हैं। वहीं IndiGo का दावा है कि Mahindra का BE 6e उनके ट्रेडमार्क ‘6E’ का उल्लंघन करता है। हालांकि, Mahindra का कहना है कि दोनों ब्रांड पूरी तरह अलग-अलग हैं, जिससे कंफ्यूजन की संभावना नहीं है।
IndiGo का दावा
IndiGo ने ‘6E’ को कई कैटेगरीज़ में ट्रेडमार्क किया है, जिसमें एयरलाइंस सर्विस, ट्रांसपोर्ट और एडवर्टाइजिंग शामिल हैं। IndiGo का कहना है कि BE 6e ब्रांड उनके ‘6E’ नाम से मिलता-जुलता है, जिससे उनके ब्रांड की पहचान कमजोर हो सकती है। IndiGo के अनुसार, ग्राहक यह मान सकते हैं कि Mahindra का BE 6e इलेक्ट्रिक वाहन उनके ब्रांड से जुड़ा हुआ है, जिससे उनके ब्रांड की छवि और यूनिकनेस पर असर पड़ेगा।
महिंद्रा का पक्ष
Mahindra का कहना है कि उनका BE 6e नाम पूरी तरह अलग है और यह सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उपयोग किया जा रहा है। Mahindra का ट्रेडमार्क Class 12 में पंजीकृत है, जो कि ऑटोमोबाइल से जुड़ा हुआ है, जबकि IndiGo का ट्रेडमार्क Class 39, 16, 9, और 35 में पंजीकृत है, जो एयरलाइंस और ट्रांसपोर्ट से संबंधित है। Mahindra के अनुसार, दोनों ब्रांड की इंडस्ट्री अलग है और उपभोक्ताओं के भ्रमित होने की संभावना नहीं है।
पिछले मामलों का संदर्भ: ITC बनाम सेंट्रल पार्क एस्टेट्स
इस मामले में IndiGo ITC Limited बनाम Central Park Estates Private Limited (2022) मामले का उदाहरण दे सकता है। इस मामले में ITC ने आरोप लगाया था कि प्रतिवादी ने उनके प्रसिद्ध ब्रांड ‘Bukhara’ के साथ ‘Balkh Bukhara’ नाम का उपयोग करके उनके ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया।
कोर्ट ने ITC के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रसिद्ध ब्रांड्स को उनकी पहचान और गुडविल के आधार पर अतिरिक्त सुरक्षा दी जानी चाहिए।इंडिगो यह तर्क दे सकता है कि उनका ‘6E’ ब्रांड भी इसी तरह प्रसिद्ध है और इसे किसी भी प्रकार की समानता से बचाने की जरूरत है। हालांकि, Mahindra यह तर्क दे सकता है कि उनका ‘BE 6e’ नाम केवल ‘6E’ पर आधारित नहीं है और इसे IndiGo के नाम से जोड़ना अनुचित होगा।
कानूनी प्रावधान और विशेषज्ञों की राय
ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 के तहत सेक्शन 2(h) में कहा गया है कि अगर एक ट्रेडमार्क दूसरे से इतना मिलता-जुलता है कि इससे उपभोक्ता भ्रमित हो सकते हैं, तो उसे “deceptively similar” माना जा सकता है।
हालांकि, Mahindra और IndiGo दोनों के पास अपने-अपने पक्ष में मजबूत तर्क हैं:IndiGo का पक्ष: IndiGo का ‘6E’ एक प्रसिद्ध ब्रांड है और इसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया है। IndiGo यह दावा कर सकता है कि Mahindra का BE 6e उनके ब्रांड की प्रतिष्ठा का अनुचित लाभ उठा रहा है।
Mahindra का पक्ष: Mahindra का कहना है कि BE 6e इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इस्तेमाल हो रहा है, जो कि IndiGo के एयरलाइंस बिजनेस से पूरी तरह अलग है।
भविष्य की संभावनाएं
इस मामले में दोनों पक्षों के पास मजबूत तर्क हैं। Mahindra यह दलील दे सकता है कि BE 6e का उपयोग सिर्फ ऑटोमोबाइल सेक्टर में हो रहा है, जबकि IndiGo अपने ‘6E’ ब्रांड की व्यापक उपयोगिता का हवाला देकर अपनी बात साबित कर सकता है। दोनों कंपनियों के बीच इस विवाद का फैसला अदालत में होगा या फिर आपसी समझौते के जरिए हल निकाला जा सकता है।
Mahindra और IndiGo के बीच ‘6E’ ट्रेडमार्क को लेकर यह विवाद भारतीय ट्रेडमार्क कानूनों के तहत एक दिलचस्प मामला है। जहां एक तरफ IndiGo अपने ब्रांड की यूनिकनेस बचाने के लिए लड़ रहा है, वहीं Mahindra अपने नए इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इस ब्रांडिंग का बचाव कर रहा है। अब देखना यह है कि यह मामला किस ओर मोड़ लेता है।