₹1.05 लाख करोड़ की रक्षा खरीद को केंद्र की मंजूरी, आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और बड़ा कदम

रक्षा अधिग्रहण परिषद ने ₹1.05 लाख करोड़ की स्वदेशी रक्षा डील को दी मंजूरी; तीनों सेनाओं को मिलेगा नया कवच
देश की सुरक्षा को मिला नया कवच: ₹1.05 लाख करोड़ की स्वदेशी रक्षा डील को मिली हरी झंडी
3 जुलाई 2025 का दिन भारत की रक्षा इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। दिल्ली के साउथ ब्लॉक में जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक शुरू हुई, तो देश की सुरक्षा के लिए एक नई इबारत लिखी जा रही थी।
करीब ₹1.05 लाख करोड़ की रक्षा खरीद योजनाओं को उस बैठक में मंजूरी दी गई — और खास बात ये रही कि ये सभी खरीदें 'बाय (इंडियन–IDDM)' श्रेणी में रखी गईं। मतलब साफ है: अब भारत न केवल अपनी जरूरतें खुद पूरी करेगा, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के रास्ते पर और तेज़ी से आगे बढ़ेगा।
जमीन से लेकर समुद्र की गहराई तक – सब कुछ शामिल
इस मेगा मंजूरी में थल, वायु और नौसेना – तीनों सेनाओं की जरूरतों को शामिल किया गया है। थलसेना को मिलेंगे Armoured Recovery Vehicles, जो युद्ध में फंसे या क्षतिग्रस्त टैंकों को निकालने और मरम्मत करने में मदद करेंगे।
वहीं, वायुसेना के लिए Surface-to-Air Missiles की खरीद को हरी झंडी मिल चुकी है। ये मिसाइलें दुश्मन के विमानों और मिसाइल हमलों को हवा में ही खत्म करने की क्षमता रखती हैं।
और फिर आता है नौसेना का जिक्र – भारत के समुद्री ताकत को अब और भी मजबूती मिलेगी। Moored Mines, Mine Counter Measure Vessels, Super Rapid Gun Mounts, और सबसे दिलचस्प – Submersible Autonomous Vessels – ये सभी अब नौसेना की आधुनिक तकनीक का हिस्सा बनेंगे।
डिजिटल युद्ध की भी तैयारी
अब युद्ध सिर्फ बंदूक और टैंक से नहीं लड़े जाते। Electronic Warfare Systems भी इस डील का हिस्सा हैं, जो भारत को साइबर और इलेक्ट्रॉनिक मोर्चे पर भी ताकतवर बनाएंगे। इसके साथ ही Integrated Common Inventory Management System के जरिए सेना की लॉजिस्टिक और सप्लाई चेन होगी अब और स्मार्ट।
'मेक इन इंडिया' का असली चेहरा
यह केवल एक डिफेंस डील नहीं है। यह एक प्रतीक है — उस आत्मनिर्भर भारत का जो अब किसी और पर निर्भर नहीं रहना चाहता। यह फैसला न केवल हमारी सेनाओं को ताकत देगा, बल्कि भारतीय कंपनियों, इंजीनियरों और तकनीकी संस्थानों को भी एक बड़ा मौका देगा।