Foxconn में चीनी इंजीनियरों की वापसी, सरकार के लिए चुनौती भी, अवसर भी

Foxconn के iPhone प्लांट्स से चीनी इंजीनियरों की वापसी, भारत में स्थानीय प्रतिभा को अवसर
Foxconn से 300+ चीनी इंजीनियरों की वापसी, भारत को दिखा वैश्विक प्रतिभा केंद्र बनने का अवसर
नई दिल्ली, 4 जुलाई 2025
भारत सरकार ने Foxconn की iPhone निर्माण इकाइयों से 300 से अधिक चीनी इंजीनियरों की वापसी को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना है। यह घटना जहां एक ओर स्थानीय उत्पादन और प्रशिक्षण की दृष्टि से एक चुनौती है, वहीं दूसरी ओर इसे भारत के लिए प्रतिभा विविधता और वैश्विक प्रतिभा को आकर्षित करने का एक अवसर भी बताया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, ये इंजीनियर चेन्नई और बेंगलुरु स्थित संयंत्रों में कार्यरत थे और इनकी वापसी पिछले दो महीनों से चरणबद्ध तरीके से हो रही है। इस कदम को पहली बार ब्लूमबर्ग ने रिपोर्ट किया था। अब इन संयंत्रों में शेष विदेशी कर्मचारी मुख्यतः ताइवान से हैं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने Moneycontrol को बताया कि यह चुनौती उतनी गंभीर नहीं है जितनी प्रतीत होती है, क्योंकि Foxconn की भारतीय यूनिट्स को स्थापित हुए पांच वर्ष हो चुके हैं। उन्होंने कहा, “इस दौरान पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जा चुका है। हमें विश्वास है कि स्थानीय कर्मचारी उत्पादन जारी रखने में सक्षम होंगे।”
सरकार का मानना है कि यह भारत के लिए एक रणनीतिक क्षण है, क्योंकि यह अमेरिका, वियतनाम जैसे देशों से नई प्रतिभा को आमंत्रित करने का अवसर भी देता है। इसके अतिरिक्त, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने पहले Foxconn के लिए विशेष रूप से चीनी इंजीनियरों को वीज़ा दिलाने में मदद की थी। यह उस समय किया गया था जब केंद्र सरकार सामान्यतः चीनी नागरिकों के वीज़ा मामलों में कठोर नीति अपना रही थी।
Foxconn, जो Apple की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है, भारत में तेज़ी से अपना विस्तार कर रही है। बेंगलुरु के पास नया iPhone प्लांट निर्माणाधीन है, जो भविष्य में Apple के निर्यात रणनीति का अहम हिस्सा बनेगा। साथ ही, हैदराबाद में कंपनी ने AirPods का उत्पादन भी शुरू कर दिया है, जो विशेष रूप से वैश्विक बाजारों के लिए है।
हालांकि, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चीनी कर्मचारियों की वापसी से स्थानीय कार्यबल को प्रशिक्षित करने और मैन्युफैक्चरिंग नॉलेज के ट्रांसफर में थोड़ी देरी हो सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि बीजिंग का यह कदम वैश्विक तकनीकी और श्रमिक पलायन को रोकने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
टेक्नोलॉजी रिसर्च फर्म TechArc के संस्थापक फैसल कवूसा ने कहा, “चीन हरसंभव प्रयास कर रहा है कि 'मेक इन इंडिया' की सफलता को धीमा किया जाए। पिछले एक दशक में भारत एक वैकल्पिक विनिर्माण गंतव्य के रूप में OEMs को आकर्षित करने में सफल रहा है।”
Foxconn की योजना जुलाई मध्य तक 1,000 नए भारतीय कर्मचारियों की भर्ती करने की भी है, जिससे इसका स्थानीय कार्यबल बढ़कर 40,000 के करीब पहुंच जाएगा। यह भारत में iPhone 17 सीरीज़ की ट्रायल मैन्युफैक्चरिंग और भविष्य की प्रीमियम श्रेणी (Pro lineup) के उत्पादन में तेजी लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि भारत वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग चेन में अपनी भूमिका को लगातार मजबूत कर रहा है। चीन द्वारा तकनीकी संसाधनों के निर्यात में देरी और श्रमिकों की वापसी जैसी कार्रवाइयों से जहां अस्थायी झटके लग सकते हैं, वहीं भारत के लिए यह स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ाने और बहु-राष्ट्रीय कंपनियों का भरोसा जीतने का एक अहम अवसर भी है।