SpaDeX मिशन में ISRO को लगा बड़ा झटका, क्या भारत का अंतरिक्ष स्टेशन हो पाएगा तैयार?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) के तहत डॉकिंग प्रयास को स्थगित कर दिया है। यह निर्णय तब लिया गया जब दो सैटेलाइट के बीच अत्यधिक बहाव (drift) का पता चला, जिससे डॉकिंग का प्रयास विफल हो गया। ISRO ने स्पष्ट किया कि यह समस्या सैटेलाइट के बीच की दूरी को 225 मीटर तक कम करने के दौरान आई, जहां नॉन-विजिबिलिटी पीरियड के बाद बहाव अधिक हो गया, जैसा कि अनुमानित था।
हालांकि, इसरो ने यह भी बताया कि दोनों सैटेलाइट—SDX01 (चेसर) और SDX02 (टारगेट)—पूरी तरह सुरक्षित हैं और सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं। डॉकिंग प्रयास की यह स्थगिती दूसरी बार हुई है। पहले यह मिशन 7 जनवरी को निर्धारित किया गया था, फिर 9 जनवरी को इसे पुनर्निर्धारित किया गया था। इसरो ने अपनी टीम को इस मिशन की सफलता के लिए बहुत मेहनत करने के लिए सराहा, और जल्द ही डॉकिंग प्रयास के लिए एक नई तारीख घोषित करने की योजना बनाई है।
SpaDeX मिशन क्या है?
SpaDeX (Space Docking Experiment) मिशन में दो सैटेलाइट्स हैं—SDX01, जिसे चेसर सैटेलाइट कहा जाता है, और SDX02, जिसे टारगेट सैटेलाइट कहा जाता है। इस मिशन का उद्देश्य दोनों सैटेलाइट्स के बीच डॉकिंग प्रक्रिया का परीक्षण करना है, जिसमें चेसर सैटेलाइट, टारगेट को पकड़ने और उससे डॉक करने की कोशिश करता है। इस प्रयोग में एक रोबोटिक आर्म भी शामिल है, जो हुक के जरिए टेथर्ड तरीके से टारगेट को अपनी ओर खींचेगा। इस डॉकिंग तकनीक का उद्देश्य भविष्य में कक्षा से बाहर जा रहे सैटेलाइट को पुनः कक्षा में लाने की तकनीक विकसित करना है। साथ ही, यह मिशन अंतरिक्ष में सर्विसिंग और रीफ्यूलिंग की सुविधा प्रदान करने की संभावना को भी खोलता है।
इस मिशन की सफलता का महत्व
SpaDeX मिशन की सफलता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हो सकती है। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जिसके पास इस अत्याधुनिक डॉकिंग तकनीक का अनुभव होगा। वर्तमान में, केवल अमेरिका, चीन और रूस के पास ही यह तकनीक मौजूद है। इस तकनीक की सफलता भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के निर्माण और चंद्रयान-4 मिशन की सफलता को तय कर सकती है।
भारत की नई उपलब्धि की ओर कदम
ISRO का SpaDeX मिशन अंतरिक्ष तकनीक में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को वैश्विक स्तर पर और भी मजबूत बना सकता है। इस मिशन के सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद, भारत न केवल अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं को और उन्नत करेगा, बल्कि यह मिशन भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण और उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में नए रास्ते खोल सकता है।
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