सरकार 2027 तक 10% सार्वजनिक हिस्सेदारी के लक्ष्य को पूरा करने के लिए LIC में 2-3% हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है: रिपोर्ट्स
संक्षेप:-
सरकार 2025-26 में LIC में 2-3% हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है, ताकि 2027 तक 10% सार्वजनिक हिस्सेदारी के सेबी नियम का पालन किया जा सके। इस खबर के बाद LIC के शेयर 2.38% गिरकर ₹736 पर ट्रेड करने लगे, जिससे मार्केट कैप ₹4,76,968 करोड़ हो गया। निवेशकों में इस हिस्सेदारी बिक्री को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया है, जो बाजार की स्थितियों पर निर्भर करेगी।

नई दिल्ली, 12 मार्च 2025:सरकार ने भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी, जीवन बीमा निगम (LIC), में अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे कम करने की योजना बनाई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र सरकार 2025-26 के दौरान LIC में 2-3% हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है। यह बिक्री एक ही बार में नहीं, बल्कि छोटे-छोटे ट्रांज़ेक्शन्स के जरिए की जाएगी, ताकि सही समय पर अधिकतम मूल्य प्राप्त किया जा सके। सरकार की यह रणनीति बाजार की स्थिति और निवेशकों की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगी। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार के नियामक, सेबी (SEBI) के 10% सार्वजनिक हिस्सेदारी नियम का पालन करना है, जिसे पूरा करने की अंतिम समयसीमा 16 मई 2027 तय की गई है।
मई 2022 में जब LIC का IPO आया था, तब सरकार ने अपनी 3.5% हिस्सेदारी बेचकर करीब 21,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ था, और इसने निवेशकों के बीच बड़ी उत्सुकता पैदा की थी। हालांकि, IPO के बाद से LIC के शेयर बाजार में कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। पिछले एक साल में, LIC के शेयरों में 23.29% की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, इस साल की शुरुआत से अब तक इसमें 15.61% की गिरावट आई है। बीते छह महीनों में शेयर 26.66% तक लुढ़क गया है, जबकि पिछले तीन महीनों में 18.60% और बीते एक महीने में 3.37% की गिरावट देखी गई है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि LIC के शेयर बाजार में लगातार दबाव में बने हुए हैं।
सरकार द्वारा हिस्सेदारी बिक्री की यह प्रक्रिया सिर्फ LIC तक सीमित नहीं है। वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) ने हाल ही में विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) और वित्तीय संस्थानों में अपनी अल्पसंख्यक हिस्सेदारी बेचने के लिए मर्चेंट बैंकरों और कानूनी सलाहकारों से बोलियां आमंत्रित की हैं। LIC के मामले में, सरकार को अपनी हिस्सेदारी को घटाकर 90% तक लाना है, क्योंकि वर्तमान में इसकी हिस्सेदारी 96.5% है।
इस खबर के बाद LIC के शेयरों में गिरावट देखने को मिली। बुधवार को 12 बजे तक, LIC का शेयर 2.38% की गिरावट के साथ ₹736 पर ट्रेड कर रहा था, जबकि पिछले दिन का बंद भाव ₹754 था। इस गिरावट के साथ LIC का कुल मार्केट कैप ₹4,76,968 करोड़ तक पहुंच गया है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि निवेशकों ने इस खबर पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और सरकारी हिस्सेदारी बिक्री को लेकर चिंता बनी हुई है।
निवेशकों में इस हिस्सेदारी बिक्री को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखी जा रही है। कुछ बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार हिस्सेदारी बिक्री के दौरान प्राइसिंग और मार्केट कंडीशंस का सही आंकलन करती है, तो यह LIC के लिए सकारात्मक हो सकता है। इससे कंपनी में अधिक खुदरा और संस्थागत निवेशक आ सकते हैं, जिससे स्टॉक में स्थिरता आ सकती है। लेकिन दूसरी ओर, अगर बिक्री ऐसे समय में होती है जब बाजार कमजोर स्थिति में हो, तो यह LIC के शेयरों पर और दबाव डाल सकता है।
LIC भारतीय बीमा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी है, जिसके पास देश की सबसे बड़ी बीमा पॉलिसी धारक संख्या है। यह कंपनी निवेश के मामले में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसके पास देश के कई प्रमुख सेक्टर्स में बड़ी हिस्सेदारी है। लेकिन निजी बीमा कंपनियों के बढ़ते दबदबे और बदलते ग्राहक व्यवहार के कारण LIC को अपने व्यापार मॉडल में कई बदलाव करने की जरूरत है।
सरकार की इस हिस्सेदारी बिक्री योजना पर बाजार की नजरें टिकी हुई हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार कब और किन शर्तों पर यह बिक्री करती है और इसका LIC के दीर्घकालिक भविष्य पर क्या असर पड़ता है। निवेशकों के लिए भी यह निर्णय महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह LIC के शेयरों की दिशा तय कर सकता है।

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