भारतीयों में बढ़ रही शराब से दूरी अस्थायी ब्रेक लेने में दुनियाभर में सबसे आगे, लेकिन बाजार पर कोई असर नहीं

संक्षेप:-
IWSR रिपोर्ट के मुताबिक, 71% भारतीयों ने शराब से अस्थायी ब्रेक लिया, खासकर सेहत और फिटनेस कारणों से। हल्के पीने वालों की संख्या बढ़ी है, लेकिन शराब बाजार पर इसका बड़ा असर नहीं होगा। स्थायी रूप से शराब छोड़ने का ट्रेंड कमजोर पड़ गया है, और लोग अब संतुलित सेवन को प्राथमिकता दे रहे हैं।

भारतीय युवा दोस्तों के साथ पार्टी में हल्की मात्रा में शराब पीते हुए, स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित सेवन को अपनाते हुए।
भारत के लोग शराब पीने से अस्थायी ब्रेक लेने में दुनिया में सबसे आगे हैं। IWSR की रिपोर्ट के अनुसार, करीब 71% भारतीयों ने किसी न किसी समय शराब पीने से परहेज किया, जबकि दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको और ब्राजील जैसे देशों में यह आंकड़ा 50% के आसपास रहा।

हल्के पीने वालों की संख्या बढ़ी

युवा पीढ़ी अब शराब पीने को लेकर ज्यादा समझदार हो रही है। पहले की तरह  drinking (बिना सोचे-समझे ज्यादा शराब पीना) अब कम हो गया है। लोग अपनी सेहत और फिटनेस का ज्यादा ध्यान रख रहे हैं, खासकर इंटरमिटेंट फास्टिंग और स्वस्थ जीवनशैली के कारण।

बिक्रम बसु (COO, Allied Blenders and Distillers) कहते हैं,
“अब लोग कम लेकिन अच्छी क्वालिटी की शराब पीने को प्राथमिकता दे रहे हैं। साथ ही, अब पार्टीज़ में लड़के-लड़कियां साथ होते हैं, जहां कोई नहीं चाहता कि वह शराब के नशे में नियंत्रण खो बैठे।”

क्यों ले रहे हैं लोग शराब से ब्रेक?

रिपोर्ट में बताया गया कि अब ज्यादातर लोग हल्के पीने वाले (light drinkers) बन गए हैं, जो कभी-कभार और सीमित मात्रा में शराब पीते हैं। यह संख्या मध्यम और भारी शराब पीने वालों से ज्यादा हो गई है।

क्या इससे शराब बाजार पर असर पड़ेगा?

शराब कंपनियों को लगता है कि यह ट्रेंड बाजार को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा व्हिस्की उपभोक्ता बाजार है और यहां हर साल 2 करोड़ लोग कानूनी रूप से शराब पीने की उम्र में पहुंचते हैं।

अमर सिन्हा (COO, Radico Khaitan) का कहना है,
“धार्मिक कारणों से शराब से परहेज भारत में नया नहीं है। कुछ लोग भले ही अस्थायी रूप से ब्रेक लें, लेकिन यह स्थायी बदलाव नहीं है। भारत में शराब अब संस्कृति का हिस्सा बन गई है।”

शराब से पूरी तरह दूरी अब ट्रेंड नहीं

शराब कंपनियों को लगता है कि यह ट्रेंड बाजार को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा व्हिस्की उपभोक्ता बाजार है और यहां हर साल 2 करोड़ लोग कानूनी रूप से शराब पीने की उम्र में पहुंचते हैं।

अमर सिन्हा (COO, Radico Khaitan) का कहना है,
“धार्मिक कारणों से शराब से परहेज भारत में नया नहीं है। कुछ लोग भले ही अस्थायी रूप से ब्रेक लें, लेकिन यह स्थायी बदलाव नहीं है। भारत में शराब अब संस्कृति का हिस्सा बन गई है।”

लोग अब ज्यादा जागरूक होकर शराब का सेवन कर रहे हैं, जिससे शराब बाजार पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। भारतीय बाजार स्थिर बना रहेगा, क्योंकि लोग अब “कम पियो, लेकिन अच्छा पियो” की सोच अपना रहे हैं।

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