शेयर बाजार में 28 साल का सबसे बड़ा भूचाल! 1996 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट दरवाजे पर

Stock market: शेयर बाजार इस वक्त बड़े दबाव में है, जहां सेंसेक्स और निफ्टी लगातार गिरावट झेल रहे हैं। फरवरी में अब तक दोनों इंडेक्स करीब 4% टूट चुके हैं, और निफ्टी के लिए यह पांचवां लगातार महीना लाल निशान में बंद होने की कगार पर है। अगर यह सिलसिला जारी रहता है, तो यह 1996 के बाद पहली बार होगा जब बाजार इतनी लंबी मंदी के दौर से गुजरेगा।

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शेयर बाजार में इन दिनों भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है, जहां निवेशकों की चिंता लगातार बढ़ रही है। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों दबाव में हैं, और लगातार गिरावट के चलते बाजार का सेंटिमेंट कमजोर हो गया है। फरवरी महीने में अब तक 4% तक की गिरावट ने यह साफ संकेत दे दिया है कि बाजार किसी मुश्किल दौर से गुजर रहा है।

बाजार में बढ़ती अनिश्चितता के कारण निवेशक सतर्क हो गए हैं और मुनाफावसूली का दबाव साफ देखा जा सकता है। ग्लोबल मार्केट से मिल रहे कमजोर संकेतों, ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी और जियो-पॉलिटिकल तनाव के कारण बाजार में अस्थिरता बनी हुई है। बड़े निवेशक फिलहाल बाजार से दूरी बनाए हुए हैं, जिससे बिकवाली का दबाव और गहरा गया है।

निफ्टी के लिए यह स्थिति और भी चिंताजनक हो सकती है क्योंकि लगातार पांचवें महीने गिरावट के साथ बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। अगर ऐसा होता है, तो यह 1996 के बाद पहली बार होगा जब निफ्टी इतने लंबे समय तक गिरावट के दौर में रहेगा। इस ऐतिहासिक गिरावट ने निवेशकों को असमंजस में डाल दिया है, क्योंकि अब तक बाजार को संभालने वाले कारक भी कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं।

इस गिरावट के पीछे कई बड़े कारण छिपे हुए हैं, जिनमें वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती, अमेरिकी बाजारों में दबाव, और एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) की लगातार बिकवाली प्रमुख हैं। घरेलू स्तर पर भी कई सेक्टर्स में सुस्ती देखी जा रही है, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगाने लगा है। खासकर बैंकिंग और आईटी सेक्टर पर जबरदस्त दबाव बना हुआ है, जो बाजार के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।

छोटे निवेशकों के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है, क्योंकि हर गिरावट के साथ पोर्टफोलियो का मूल्य घटता जा रहा है। कई निवेशक इस दुविधा में हैं कि वे घाटे में शेयर बेच दें या लंबी अवधि के लिए टिके रहें। वहीं, कुछ अनुभवी निवेशक इसे खरीदारी के मौके के रूप में भी देख रहे हैं, लेकिन डर का माहौल फिलहाल बाजार पर हावी है।

मौजूदा बाजार स्थितियों को देखते हुए विश्लेषकों का मानना है कि जब तक कोई ठोस पॉजिटिव ट्रिगर नहीं मिलता, तब तक बाजार पर दबाव बना रह सकता है। वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में कटौती, बेहतर कॉर्पोरेट अर्निंग्स, और घरेलू नीतिगत सुधार बाजार में नई जान फूंक सकते हैं। हालांकि, फिलहाल निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।

इतिहास गवाह है कि जब-जब बाजार इस तरह के मंदी के दौर में गया है, तब-तब इसके बाद शानदार तेजी भी देखने को मिली है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस बार यह रिकवरी कब और कैसे आएगी? बाजार विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले महीनों में वॉलिटिलिटी बनी रहेगी, लेकिन जिन निवेशकों का फोकस लंबी अवधि पर है, उन्हें धैर्य बनाए रखना चाहिए।

अगर मौजूदा आर्थिक संकेतकों की बात करें, तो कई सेक्टर अभी भी मजबूत हैं, जो आगे चलकर बाजार को सपोर्ट दे सकते हैं। सरकार की ओर से कैपेक्स खर्च बढ़ाने और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को बढ़ावा देने के फैसले लंबे समय में बाजार के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। लेकिन अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए निवेशकों को सोच-समझकर रणनीति बनानी होगी।

इस समय बाजार में घबराहट जरूर है, लेकिन अनुभवी निवेशकों के लिए यही समय सही अवसर तलाशने का हो सकता है। गिरावट के बाद जो उछाल आता है, वह ऐतिहासिक रूप से काफी मजबूत रहा है। ऐसे में समझदारी इसी में है कि हड़बड़ाहट में फैसले न लें और एक मजबूत रणनीति के साथ आगे बढ़ें।

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