Smallcap और Midcap इंडेक्स 2.5% तक गिरे, बिकवाली का दबाव बरकरार
संक्षेप:-
Midcap और Smallcap शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली, जहां Nifty Smallcap 100 Index 2.4% और Nifty Midcap 100 Index 2% तक लुढ़क गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इन शेयरों का मूल्यांकन पहले से ही काफी ऊंचा था, जिसके कारण यह करेक्शन अनिवार्य था। Bank of America Securities और Kotak Institutional Equities जैसे ब्रोकरेज हाउस आगे और गिरावट की संभावना जता रहे हैं। निवेशकों को घबराने की बजाय मजबूत फंडामेंटल वाले स्टॉक्स में दीर्घकालिक निवेश पर ध्यान देना चाहिए।

शेयर बाजार के निवेशकों के लिए 3 मार्च की सुबह भारी रही, क्योंकि Midcap और Smallcap स्टॉक्स में भारी गिरावट देखने को मिली। Nifty Smallcap 100 Index 2.4% तक गिर गया, जबकि Nifty Midcap 100 Index 2% तक फिसल गया। यह गिरावट बाजार के उन निवेशकों के लिए चिंता का कारण बन गई है, जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में इन शेयरों में तेजी से निवेश किया था।
बड़ी गिरावट के पीछे क्या कारण हैं?
विशेषज्ञों का मानना है कि Midcap और Smallcap शेयरों का वैल्यूएशन (मूल्यांकन) पहले से ही बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। बीते एक साल में इन शेयरों में जिस तेजी से उछाल आया था, वह तर्कसंगत नहीं था। इन शेयरों की कीमतें उनके वास्तविक फंडामेंटल्स (बुनियादी कारकों) की तुलना में काफी ऊपर पहुंच गई थीं, और यह स्पष्ट था कि एक न एक दिन बाजार इस बढ़ी हुई कीमतों को संतुलित करेगा।
ICICI Prudential AMC के Chief Investment Officer (CIO) S. Naren ने कुछ समय पहले ही Midcap और Smallcap शेयरों के ज्यादा मूल्यांकन को लेकर चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि ये शेयर एक अस्थिर स्थिति में हैं और किसी भी समय इनमें करेक्शन (मूल्य सुधार) आ सकता है। इस चेतावनी के बावजूद, खुदरा निवेशकों ने इन शेयरों में तेजी से खरीदारी जारी रखी, जिसके कारण यह गिरावट और भी घातक साबित हो रही है।
गिरावट अभी और जारी रह सकती है?
Bank of America Securities के India Research Head Amish Shah का कहना है कि “हालांकि हालिया गिरावट से ऐसा लग सकता है कि बाजार सुधार की ओर बढ़ रहा है, लेकिन Midcap और Smallcap स्टॉक्स अभी भी बहुत ज्यादा मूल्यांकन पर बने हुए हैं।” उनका मानना है कि यह गिरावट अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, और आगे भी इनमें और गिरावट देखने को मिल सकती है।
Kotak Institutional Equities के विश्लेषकों ने भी कुछ ऐसी ही राय दी है। उन्होंने कहा है कि आने वाले महीनों में बाजार में अलग-अलग सेक्टर्स और कंपनियों के प्रदर्शन में बड़ा अंतर देखने को मिलेगा। जहां बड़े शेयर (Large-cap stocks) सीमित दायरे में रह सकते हैं, वहीं Midcap और Smallcap शेयरों में और गिरावट हो सकती है। खासकर, ‘Narrative’ stocks, यानी वे शेयर जिनकी कीमतें सिर्फ कहानियों और उम्मीदों पर चढ़ी थीं, उनमें सबसे ज्यादा गिरावट की आशंका है।
खुदरा निवेशकों के लिए बड़ा झटका
खुदरा निवेशकों (Retail Investors) ने पिछले कुछ महीनों में Midcap और Smallcap शेयरों में भारी मात्रा में निवेश किया था। कई निवेशकों को उम्मीद थी कि इन शेयरों में तेजी जारी रहेगी, लेकिन अब यह गिरावट उनके लिए बड़ा झटका साबित हो रही है। जिन लोगों ने इन ऊंची कीमतों पर शेयर खरीदे थे, वे अब नुकसान में हैं और बाजार में घबराहट की स्थिति बनी हुई है।
यह पहली बार नहीं है जब छोटे शेयरों में इस तरह की गिरावट आई है। 2018 और 2021 में भी ऐसा हो चुका है, जब Midcap और Smallcap शेयरों में तेजी के बाद भारी गिरावट आई थी। इसका मुख्य कारण यह है कि जब बाजार में बहुत अधिक निवेश आता है, तो कीमतें वास्तविक मूल्य से कहीं ऊपर चली जाती हैं। लेकिन जब निवेशक मुनाफा बुक करने लगते हैं, तो तेजी से बिकवाली होती है और बाजार में गिरावट आ जाती है।
अब आगे क्या? निवेशकों को क्या करना चाहिए?
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा स्थिति में घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहना बहुत जरूरी है। निवेशकों को केवल उन्हीं कंपनियों में निवेश करना चाहिए जिनके मजबूत फंडामेंटल्स हैं, यानी जिनका व्यापार अच्छा चल रहा है और भविष्य में भी उनके बढ़ने की संभावना है।
अगर किसी निवेशक ने ऊंची कीमतों पर Midcap और Smallcap स्टॉक्स खरीदे हैं, तो उन्हें जल्दबाजी में अपने निवेश को निकालने की जरूरत नहीं है, बल्कि यह देखना चाहिए कि कौन से स्टॉक्स लंबे समय तक टिक सकते हैं। कई बार बाजार में गिरावट के बाद फिर से उछाल आता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर स्टॉक वापस ऊंचाई पर जाए। इसलिए, सही रिसर्च के बिना निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है।
यह गिरावट बाजार के लिए अच्छी या बुरी?
शेयर बाजार में इस तरह की गिरावट स्वाभाविक होती है। Midcap और Smallcap शेयरों में तेजी के बाद करेक्शन जरूरी था, ताकि बाजार एक स्थिर स्तर पर पहुंच सके। हालांकि, जिन निवेशकों ने बिना सोचे-समझे इन स्टॉक्स में पैसा लगाया था, उनके लिए यह एक कठिन समय हो सकता है।
आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह गिरावट बाजार में स्थायी मंदी की ओर इशारा कर रही है या फिर यह सिर्फ एक अस्थायी करेक्शन है। अगर वैश्विक बाजारों से नकारात्मक संकेत मिलते हैं या भारतीय अर्थव्यवस्था में कोई बड़ी चुनौती आती है, तो यह गिरावट और गहरी हो सकती है।
फिलहाल, बुद्धिमान निवेशक वही होगा जो इस समय घबराने की बजाय ठोस कंपनियों में दीर्घकालिक निवेश पर ध्यान देगा। बाजार में अवसर हमेशा होते हैं, लेकिन सही समय पर सही निर्णय लेना ही असली सफलता की कुंजी होती है।

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