Jio और Airtel की बड़ी मांग स्पेक्ट्रम सरेंडर पॉलिसी सबके लिए समान हो, Vi को न मिले खास फायदा

संक्षेप:-
स्पेक्ट्रम सरेंडर पॉलिसी पर Reliance Jio और Bharti Airtel ने सरकार से मांग की है कि यह नीति सभी टेलीकॉम कंपनियों के लिए समान रूप से लागू हो और किसी एक को विशेष लाभ न मिले। अगर यह पॉलिसी लागू होती है, तो Vodafone Idea (Vi) को सबसे अधिक राहत मिलेगी, जिससे वह अपनी बकाया किश्तों में कटौती कर सकेगा। सरकार का लक्ष्य तीन बड़ी कंपनियों—Jio, Airtel और Vi—की प्रतिस्पर्धा बनाए रखना है, ताकि उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलती रहें।

स्पेक्ट्रम सरेंडर पॉलिसी पर चर्चा करते हुए टेलीकॉम कंपनियों के प्रतिनिधि और सरकारी अधिकारी।
Jio और Airtel ने सरकार से मांग की कि स्पेक्ट्रम सरेंडर पॉलिसी सभी कंपनियों के लिए समान हो, जबकि Vi को इससे सबसे अधिक लाभ मिलने की संभावना है।

भारत में मोबाइल नेटवर्क कंपनियां जब अपनी सेवाएं चलाने के लिए स्पेक्ट्रम (airwaves) खरीदती हैं, तो उन्हें इसके लिए सरकार को भारी रकम चुकानी पड़ती है। लेकिन अगर कोई कंपनी खरीदा हुआ स्पेक्ट्रम इस्तेमाल नहीं कर पा रही है, तो वह चाहती है कि उसे सरकार को लौटाने की सुविधा मिले। इसी मुद्दे पर सरकार नई स्पेक्ट्रम सरेंडर पॉलिसी बनाने पर विचार कर रही है।

Reliance Jio और Bharti Airtel, जो भारत की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियां हैं, चाहती हैं कि यह नीति सभी कंपनियों के लिए समान रूप से लागू हो। वे नहीं चाहतीं कि यह सिर्फ Vodafone Idea (Vi) को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई जाए, क्योंकि इस नीति से उसे सबसे ज्यादा राहत मिल सकती है।

मोबाइल नेटवर्क कंपनियां स्पेक्ट्रम नीलामी में हिस्सा लेकर सरकार से स्पेक्ट्रम खरीदती हैं। यह एक बहुत कीमती संसाधन है, क्योंकि इसी के जरिए मोबाइल सिग्नल चलते हैं और इंटरनेट स्पीड बेहतर होती है। कंपनियां इसे पूरी कीमत चुकाकर खरीदती हैं, लेकिन उन्हें भुगतान किश्तों में करने की सुविधा भी मिलती है।

अब सरकार एक नई योजना बना रही है, जिससे कंपनियों को 2022 से पहले खरीदा हुआ अतिरिक्त या अनुपयोगी स्पेक्ट्रम सरकार को लौटाने की अनुमति मिल सकती है। इससे वे अपनी बकाया किश्तों में बड़ी राहत पा सकती हैं।

Vodafone Idea (Vi) के पास सबसे ज्यादा अतिरिक्त स्पेक्ट्रम है। इसका सरकार पर ₹1.57 लाख करोड़ का कर्ज है, जिसमें से अधिकतर 2022 से पहले खरीदे गए स्पेक्ट्रम के लिए है। अगर यह नीति लागू होती है, तो Vi को करीब ₹40,000 करोड़ की राहत मिल सकती है।

Reliance Jio के पास ज्यादा अतिरिक्त स्पेक्ट्रम नहीं है, इसलिए इस नीति से उसे खास फायदा नहीं होगा। उसने पहले ही अपनी स्पेक्ट्रम किश्तों का भुगतान लगभग पूरा कर लिया है।

Bharti Airtel के पास कुछ 2100 MHz बैंड में अतिरिक्त स्पेक्ट्रम है, जिसे वह सरकार को लौटाना चाह सकता है। उसने भी अधिकतर किश्तों का अग्रिम भुगतान कर दिया है।

Jio और Airtel इस नीति के खिलाफ नहीं हैं। उनका मानना है कि अगर कोई टेलीकॉम कंपनी स्पेक्ट्रम का उपयोग नहीं कर रही, तो उसे वापस करने की अनुमति मिलनी चाहिए ताकि सरकार इसे फिर से नीलाम कर सके।

लेकिन वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यह नीति सभी कंपनियों के लिए बराबर हो और किसी एक कंपनी को विशेष फायदा न मिले। क्योंकि अगर Vi को इस नीति के जरिए 40,000 करोड़ रुपये तक की राहत मिलती है, तो प्रतिस्पर्धा में असंतुलन पैदा हो सकता है।

सरकार इस समय यह तय करने की प्रक्रिया में है कि स्पेक्ट्रम सरेंडर की अनुमति दी जाए या नहीं। उसका लक्ष्य यह है कि भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में तीन बड़ी कंपनियां—Jio, Airtel और Vi—बनी रहें, ताकि उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलती रहें और बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बनी रहे।

अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इस पर क्या फैसला लेती है और यह टेलीकॉम सेक्टर के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है। 🚀📡

सम्बंधित ख़बरें

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Scroll to Top