फरवरी में शेयर बाजार में 92 लाख करोड़ स्वाहा, टूटा 30 साल पुराना रिकॉर्ड

संक्षेप:-
फरवरी 2025 में भारतीय शेयर बाजार ने 30 साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए लगातार पांचवें महीने गिरावट दर्ज की, जिससे निवेशकों के 92 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए। सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट के पीछे विदेशी निवेशकों की बिकवाली, वैश्विक अनिश्चितता और ऊंचे वैल्यूएशन जैसे कारक रहे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि निफ्टी अभी और गिर सकता है, लेकिन मार्च में रिकवरी की उम्मीद भी की जा रही है।

शेयर बाजार में भारी गिरावट, सेंसेक्स और निफ्टी में तेज गिरावट से निवेशकों को बड़ा नुकसान।
भारतीय शेयर बाजार में फरवरी 2025 में जबरदस्त गिरावट, सेंसेक्स-निफ्टी में बड़ी मंदी से निवेशकों की चिंता बढ़ी।

भारतीय शेयर बाजार में जो भूचाल आया है, उसने निवेशकों को हिलाकर रख दिया है। पिछले पांच महीनों से बाजार लगातार गिरता ही जा रहा है और इसने 30 साल पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है। निवेशकों के पोर्टफोलियो में भारी गिरावट आई है, जिससे कई लोग घबराहट में आ गए हैं। अक्टूबर 2024 से लेकर अब तक निफ्टी हर महीने गिरावट में बंद हुआ है। बीते पांच महीनों में यह 12% तक गिर चुका है। ऐसा 1996 के बाद पहली बार हुआ है जब निफ्टी लगातार पांच महीनों तक कमजोर बना रहा है।

इस भारी गिरावट का असर केवल निफ्टी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सेंसेक्स में भी 11.54% की गिरावट देखी गई है। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों को तो इससे भी अधिक नुकसान हुआ है। बीएसई मिडकैप इंडेक्स 20% से अधिक गिर चुका है, जबकि बीएसई स्मॉलकैप में 22.78% की गिरावट आई है। अगर हम कुल बाजार पूंजीकरण की बात करें तो बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप सितंबर 2024 में अपने उच्चतम स्तर 171 लाख करोड़ रुपये पर था, जो अब लगभग 92 लाख करोड़ रुपये घट चुका है!

किन शेयरों ने दिया सबसे ज्यादा नुकसान?

अगर आपने टाटा मोटर्स, एशियन पेंट्स, पावर ग्रिड या इंडसइंड बैंक में निवेश कर रखा है, तो आपके लिए यह समय बेहद निराशाजनक रहा होगा। टाटा मोटर्स के शेयरों में 35% तक की गिरावट देखी गई है, जबकि एशियन पेंट्स 32% गिरा है। इसी तरह, पावर ग्रिड 30% और इंडसइंड बैंक 28% तक लुढ़क चुका है। इन गिरावटों ने निवेशकों के लिए भारी नुकसान खड़ा कर दिया है।

हालांकि, इस गिरावट के बीच बजाज फाइनेंस और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे कुछ शेयर ऐसे भी रहे जिन्होंने निवेशकों को राहत दी है। बजाज फाइनेंस ने पिछले पांच महीनों में 12% का मुनाफा दिया है, जबकि कोटक महिंद्रा बैंक ने 2.3% की बढ़त हासिल की है। लेकिन कुल मिलाकर बाजार की तस्वीर बहुत ज्यादा हतोत्साहित करने वाली रही है।

शेयर बाजार की इस गिरावट के पीछे क्या वजहें हैं?

इस भारी गिरावट के पीछे कई कारण हैं, जिनमें सबसे बड़ा कारण है विदेशी निवेशकों (FII) की भारी बिकवाली। पिछले कुछ महीनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से बड़ी मात्रा में पैसे निकाले हैं, जिससे बाजार में दबाव बना हुआ है।

दूसरा कारण है अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी। अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ने से वहां निवेश अधिक आकर्षक हो जाता है, जिससे विदेशी निवेशक अपना पैसा भारत जैसे उभरते बाजारों से निकालकर अमेरिका में निवेश करना पसंद कर रहे हैं। इससे भारतीय शेयर बाजार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

तीसरा बड़ा कारण है भारतीय रुपये में कमजोरी। डॉलर की तुलना में रुपया लगातार कमजोर हो रहा है, जिससे विदेशी निवेशकों को और नुकसान उठाना पड़ रहा है। कमजोर रुपये का असर कंपनियों के मुनाफे पर भी पड़ता है, जिससे शेयरों में गिरावट देखने को मिल रही है।

चौथा कारण है भारतीय कंपनियों की तीसरी तिमाही के नतीजों में सुस्ती। हाल ही में जारी की गई कंपनियों की वित्तीय रिपोर्ट्स से पता चला है कि उनकी कमाई बाजार की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। इससे निवेशकों का विश्वास कमजोर हुआ और शेयरों में बिकवाली बढ़ गई।

पांचवां और बहुत महत्वपूर्ण कारण है अमेरिका की व्यापार नीति में बदलाव। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कुछ नए टैरिफ लगाए हैं, जिससे वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ गई है। इसका सीधा असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा है।

मार्च में बाजार में सुधार होगा या गिरावट जारी रहेगी?

इतिहास को देखा जाए तो मार्च का महीना आमतौर पर शेयर बाजार के लिए सकारात्मक रहा है। पिछले 15 वर्षों में 10 बार बाजार ने मार्च के महीने में सकारात्मक रिटर्न दिया है। यानी संभावना है कि इस बार भी बाजार में कुछ सुधार देखने को मिले।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख रणनीतिकार वीके विजयकुमार का मानना है कि मार्च में बाजार को राहत मिल सकती है। उनका कहना है कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली अब धीमी हो सकती है, जिससे बाजार में स्थिरता आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि लार्जकैप स्टॉक्स का वैल्यूएशन अब सही स्तर पर आ चुका है, जिससे निवेशकों की रुचि दोबारा बढ़ सकती है।

हालांकि, हर एक्सपर्ट इस बात से सहमत नहीं है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के विश्लेषक नागराज शेट्टी का मानना है कि बाजार में अभी और गिरावट की संभावना बनी हुई है। उन्होंने कहा कि निफ्टी के लिए अगला महत्वपूर्ण समर्थन स्तर 21,700-21,800 के बीच हो सकता है। अगर यह स्तर टूटता है, तो बाजार और गहरा सकता है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड देवर्ष वकील का भी मानना है कि निफ्टी 22,000-22,050 के स्तर पर समर्थन खोज सकता है, लेकिन अगर यह स्तर टूटता है, तो निफ्टी 21,777 तक गिर सकता है। वहीं, ऊपर की ओर 22,500 का स्तर एक बड़ा प्रतिरोध बना रहेगा।

निवेशकों को अब क्या करना चाहिए?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आम निवेशक इस स्थिति में क्या करें? अगर आप शॉर्ट-टर्म ट्रेडर हैं, तो आपको सावधानी बरतनी चाहिए और बिना किसी ठोस संकेत के बड़े दांव नहीं लगाने चाहिए। बाजार में अभी भी अस्थिरता बनी हुई है, और जब तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिलता, तब तक रिस्क लेना सही नहीं होगा।

अगर आप लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर हैं, तो यह गिरावट आपके लिए एक सुनहरा मौका हो सकता है। अच्छे स्टॉक्स को सस्ते दामों पर खरीदने का यही समय होता है। लार्जकैप स्टॉक्स, जो अब सही वैल्यूएशन पर आ चुके हैं, उन पर नजर रखना फायदेमंद हो सकता है।

बाजार में गिरावट कोई नई बात नहीं है। स्टॉक मार्केट का नियम है—जो गिरता है, वह उठता भी है! इतिहास भी यही कहता है कि हर बड़ी गिरावट के बाद बाजार में एक मजबूत उछाल देखने को मिला है। इसलिए घबराने की बजाय एक स्मार्ट इन्वेस्टर बनें और इस गिरावट को एक मौके की तरह देखें।

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