नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 18 की मौत—कौन है जिम्मेदार? हाई-लेवल जांच के आदेश
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ट्रेन की अचानक बदली गई प्लेटफॉर्म घोषणा के कारण भारी भीड़ में भगदड़ मच गई, जिसमें 18 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और कई घायल हो गए। प्रशासन ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन यह हादसा रेलवे की सुरक्षा व्यवस्थाओं की गंभीर खामियों को उजागर करता है। सवाल यही है—क्या यह जांच पीड़ितों को इंसाफ दिला पाएगी, या फिर यह भी सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह जाएगी?

अचानक मची अफरातफरी, किसी को संभलने का मौका नहीं
शनिवार रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कुछ ही मिनटों में अफरातफरी का ऐसा माहौल बना कि लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। भीड़ पहले से ही ज्यादा थी, लेकिन रेलवे की अचानक की गई घोषणा ने हालात और बिगाड़ दिए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, ट्रेन के प्लेटफॉर्म बदलने की घोषणा होते ही दोनों ओर से यात्रियों का रेला उमड़ पड़ा, जिससे भगदड़ मच गई।
18 की मौत, दर्जनों घायल—कौन है जिम्मेदार?
इस दर्दनाक हादसे में अब तक 18 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि कई घायल अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। सवाल उठता है कि इतनी भीड़ होने के बावजूद स्टेशन पर व्यवस्था क्यों नहीं थी? क्यों नहीं कोई अधिकारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौजूद था?
भीड़ ने बढ़ाई मुश्किलें, कंट्रोल से बाहर हुए हालात
स्टेशन पर पहले से ही हजारों लोग मौजूद थे, क्योंकि प्रयागराज जाने वाली ट्रेन को पकड़ने के लिए यात्री बड़ी संख्या में आए थे। इसके अलावा, स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस की देरी ने भीड़ को और बढ़ा दिया। डीसीपी रेलवे के मुताबिक, हर घंटे करीब 1,500 जनरल टिकटों की बिक्री हो रही थी, जिससे प्लेटफॉर्म पर लोगों का जमावड़ा बढ़ता चला गया।
रेलवे की लापरवाही आई सामने—कहां थी सुरक्षा व्यवस्था?
एक चश्मदीद यात्री ने बताया कि जब भगदड़ मची, तो वहां भीड़ को संभालने वाला कोई नहीं था। एस्कलेटर और सीढ़ियों के पास लोगों का दबाव इतना बढ़ गया कि कई लोग नीचे गिर पड़े और उनके ऊपर भीड़ चढ़ती चली गई। रेलवे प्रशासन की इस लापरवाही ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना के बाद हरकत में आया प्रशासन, लेकिन क्या यह काफी है?
हादसे के बाद रेलवे और दिल्ली पुलिस ने स्टेशन पर हालात नियंत्रण में लेने का दावा किया है। उत्तर रेलवे के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय के मुताबिक, घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया और बचाव कार्य शुरू किया गया। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी ट्वीट कर जानकारी दी कि हालात सामान्य किए जा रहे हैं और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं।
उच्चस्तरीय जांच के आदेश—क्या मिलेगा इंसाफ?
रेलवे ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं, ताकि हादसे की असली वजह सामने आ सके। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भी घटना पर दुख जताते हुए जांच की पुष्टि की है। हालांकि, हर बार की तरह सवाल यही है—क्या यह जांच पीड़ित परिवारों को इंसाफ दिला पाएगी, या फिर यह भी सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह जाएगी?
राष्ट्रपति से लेकर पीएम तक ने जताया शोक
इस दर्दनाक घटना को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। हालांकि, शोक संदेश देने से ज्यादा जरूरी यह है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
क्या सबक सीखेगा रेलवे?
यह हादसा रेलवे प्रशासन के लिए एक बड़ा सबक होना चाहिए। स्टेशन पर भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम क्यों नहीं थे? क्या प्लेटफॉर्म बदलने की सूचना देने से पहले यात्रियों को संभालने की कोई योजना नहीं बनाई गई थी? इन सवालों के जवाब अगर अब नहीं मिले, तो भविष्य में ऐसे हादसे दोबारा होने से कोई नहीं रोक सकता।
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