IRCTC और IRFC को मिला 'नवरत्न' का दर्जा, रेलवे की इन दो सार्वजनिक उपक्रमों के लिए क्या है इसका मतलब?
संक्षेप:-
भारत सरकार ने IRCTC और IRFC को ‘नवरत्न’ का दर्जा देकर उन्हें अधिक वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता प्रदान की है। इससे ये कंपनियां अपने व्यवसाय का विस्तार, नए प्रोजेक्ट्स में निवेश और बेहतर सेवाएं प्रदान करने में सक्षम होंगी। यह भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण और विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे यात्रियों और निवेशकों दोनों को लाभ होगा।

भारत सरकार ने इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (IRFC) को ‘नवरत्न’ का दर्जा देकर भारतीय रेलवे के इतिहास में एक नई उपलब्धि जोड़ी है। यह दर्जा किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी (PSU) को तब दिया जाता है जब वह अपने वित्तीय प्रदर्शन, प्रबंधन कुशलता और बाजार में मजबूत पकड़ साबित करती है। इस फैसले के बाद ये दोनों कंपनियां नवरत्न सार्वजनिक उपक्रमों की विशिष्ट सूची में शामिल हो गई हैं, जिससे इन्हें अधिक वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता मिलेगी। इससे ये कंपनियां तेज़ी से अपने व्यापार का विस्तार कर सकेंगी और भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण में अधिक योगदान दे सकेंगी।
‘नवरत्न’ का दर्जा भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) को उनकी वित्तीय स्थिति और रणनीतिक महत्त्व के आधार पर दिया जाता है। यह दर्जा प्राप्त कंपनियों को ₹1,000 करोड़ तक के निवेश और निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलती है, जिससे वे बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनती हैं। IRCTC और IRFC के इस श्रेणी में आने से उन्हें नए प्रोजेक्ट्स में निवेश करने, तकनीकी उन्नति लाने और सेवाओं का विस्तार करने का अवसर मिलेगा। इससे रेलवे क्षेत्र को नई ऊंचाइयां छूने का मौका मिलेगा और यात्रियों को बेहतर सेवाएं प्राप्त होंगी।
IRCTC भारतीय रेलवे की कैटरिंग, पर्यटन और ऑनलाइन टिकट बुकिंग सेवाओं से जुड़ी एक अग्रणी कंपनी है। यह रेलवे के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा प्रदान करता है और हर दिन लाखों लोग इसकी सेवाओं का उपयोग करते हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में IRCTC का वार्षिक टर्नओवर ₹4,270.18 करोड़ और शुद्ध लाभ ₹1,111.26 करोड़ रहा, जबकि इसकी कुल नेटवर्थ ₹3,229.97 करोड़ आंकी गई। IRCTC हाल के वर्षों में प्राइवेट ट्रेनों के संचालन, विशेष पर्यटन योजनाओं और कैटरिंग सेवाओं में विस्तार कर रहा है, जिससे रेलवे की सेवाओं में गुणवत्ता और आधुनिकता आई है।
IRFC भारतीय रेलवे की वित्तीय रीढ़ है, जो रेलवे की नई परियोजनाओं, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और नई ट्रेनों की खरीद के लिए फंड उपलब्ध कराता है। इसे भारतीय रेलवे के लिए फाइनेंशियल बैकबोन भी कहा जाता है, क्योंकि यह रेलवे के पूंजीगत व्यय का एक बड़ा हिस्सा वहन करता है। वित्त वर्ष 2023-24 में IRFC का वार्षिक टर्नओवर ₹26,644 करोड़ और शुद्ध लाभ ₹6,412 करोड़ रहा, जबकि इसकी कुल नेटवर्थ ₹49,178 करोड़ आंकी गई। इस नवरत्न दर्जे के बाद IRFC को रेलवे के बड़े प्रोजेक्ट्स में निवेश की अधिक स्वतंत्रता मिलेगी, जिससे भारतीय रेलवे को विश्वस्तरीय बनाने में मदद मिलेगी।
नवरत्न का दर्जा मिलने से इन दोनों कंपनियों को कई फायदे होंगे। अब इन्हें अपने वित्तीय निर्णयों में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी, जिससे निवेश और विस्तार की गति तेज होगी। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी इनकी पहचान मजबूत होगी, जिससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। साथ ही, शेयरधारकों के लिए भी यह सकारात्मक खबर है, क्योंकि इससे इन कंपनियों के शेयरों की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना है।
IRCTC और IRFC के लिए यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। यह कदम रेलवे क्षेत्र को और मजबूत बनाएगा और भविष्य में अधिक अवसर खोलेगा। आने वाले वर्षों में, इन दोनों कंपनियों के पास अपनी सेवाओं का विस्तार करने और देश की परिवहन व्यवस्था को और बेहतर बनाने का शानदार अवसर होगा।

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