अमेरिका-चीन टैरिफ युद्ध: ट्रंप के नए टैरिफ के बाद चीन और कनाडा का अमेरिकी आयात पर जोरदार पलटवार
संक्षेप:-
अमेरिका द्वारा चीन और कनाडा पर नए टैरिफ लागू करने के तुरंत बाद, दोनों देशों ने अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिशोधी शुल्क बढ़ाने की घोषणा की। चीन ने कृषि और खाद्य उत्पादों पर 10%-15% तक के नए टैरिफ लगाए और 25 अमेरिकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया। कनाडा ने भी 25% शुल्क के साथ अमेरिकी उत्पादों को निशाना बनाया, जिसमें कार, स्टील और एल्युमीनियम शामिल हैं। यह व्यापार युद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।

चीन की प्रतिक्रिया
बीजिंग ने अमेरिकी कृषि और खाद्य उत्पादों पर 10% से 15% तक के नए टैरिफ लगा दिए हैं। इसके अलावा, चीन ने 25 अमेरिकी कंपनियों को निर्यात और निवेश प्रतिबंधों के दायरे में डाल दिया है, जिनमें से 10 कंपनियां ताइवान को हथियार बेचने में शामिल थीं। हालांकि, चीन ने इस बार किसी बड़ी अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी को निशाना नहीं बनाया, जैसा कि उसने ट्रंप प्रशासन के फरवरी 4 के टैरिफ के जवाब में किया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पिछले हफ्ते चीन पर अतिरिक्त 10% शुल्क लगाने की घोषणा के बाद, यह नया टैरिफ 4 मार्च को लागू हो गया। इसके चलते कुछ चीनी उत्पादों पर अब कुल 20% शुल्क लग चुका है। अमेरिका ने यह कार्रवाई चीन पर नशीली दवाओं की आपूर्ति रोकने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए की थी, जबकि चीन ने इसे “फेंटानिल ब्लैकमेल” करार दिया और दावा किया कि उसके देश में पहले से ही दुनिया के सबसे सख्त नशीली दवाओं के कानून लागू हैं।
कनाडा का जवाब
कनाडा ने भी अमेरिका के खिलाफ कड़े प्रतिशोधी टैरिफ की घोषणा की। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बताया कि पहले चरण में 25% शुल्क लगाकर 30 अरब कनाडाई डॉलर (20.6 अरब अमेरिकी डॉलर) के अमेरिकी उत्पादों को निशाना बनाया जाएगा। यदि अमेरिका अपने टैरिफ नहीं हटाता है, तो तीन हफ्तों में दूसरे चरण में 125 अरब कनाडाई डॉलर के सामान पर भी यही शुल्क लगाया जाएगा। इस सूची में प्रमुख वस्तुएं जैसे कार, ट्रक, स्टील और एल्युमीनियम शामिल होंगे।
अमेरिकी उत्पादों पर बढ़ते टैरिफ का असर
अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ का असर कई उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर भी पड़ा है। स्मार्टफोन, लैपटॉप, वीडियो गेम कंसोल, स्मार्टवॉच, स्पीकर और ब्लूटूथ डिवाइस जैसी कई वस्तुओं पर 20% शुल्क लगाया गया है, जो पहले इससे मुक्त थे।
इसके जवाब में चीन ने 10 मार्च से अमेरिकी चिकन, गेहूं, मक्का और कपास पर अतिरिक्त 15% टैरिफ और सोयाबीन, ज्वार, सूअर का मांस, बीफ, जलीय उत्पाद, फल-सब्जियां और डेयरी उत्पादों पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की है।
वैश्विक व्यापार के लिए खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि बीजिंग अब भी ट्रंप प्रशासन के साथ किसी समझौते की उम्मीद कर रहा है, लेकिन लगातार हो रही टैरिफ बढ़ोतरी दोनों देशों को एक बड़े व्यापार युद्ध की ओर धकेल सकती है।
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका के इस कदम को “विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का गंभीर उल्लंघन” बताया और कहा कि यह चीन-अमेरिका व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचाने वाला कदम है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि चीन अपने अधिकारों और हितों की सुरक्षा के लिए मजबूती से खड़ा रहेगा।
आगे की संभावनाएं
इस व्यापार युद्ध के आगे बढ़ने से वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। यदि अमेरिका, चीन और कनाडा के बीच टकराव और बढ़ता है, तो यह न केवल इन देशों के व्यापार को बाधित करेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अस्थिरता ला सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बातचीत से कोई समाधान निकलता है या यह व्यापार युद्ध और भड़कता है।

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