बाजार में हाहाकार: सेंसेक्स 2000 अंक टूटा, क्या यह मंदी की दस्तक है?
शेयर बाजार में लगातार गिरावट और एफआईआई की भारी बिकवाली ने निवेशकों को गहरे नुकसान में डाल दिया है। विदेशी निवेशकों का पैसा चीन जैसे बाजारों की ओर शिफ्ट हो रहा है, जिससे भारतीय बाजार पर दबाव बना हुआ है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट शॉर्ट टर्म हो सकती है, और यह निवेशकों के लिए फंडामेंटली मजबूत स्टॉक्स को सस्ते में खरीदने का मौका भी हो सकता है।

बाजार में हाहाकार: निवेशकों के लिए मुश्किल वक्त
शेयर बाजार में भारी गिरावट से निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। सेंसेक्स ने सिर्फ फरवरी में 2,300 अंक गंवा दिए, और एफआईआई की बिकवाली ने बाजार को और कमजोर कर दिया है। स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जिससे कई निवेशक गहरे घाटे में हैं।
एफआईआई की बिकवाली: भारत के लिए चिंता की बात?
साल 2025 में अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 1 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। ग्लोबल अनिश्चितताओं और आकर्षक चीनी बाजार के कारण निवेशक भारत से पैसा निकालकर चीन की ओर रुख कर रहे हैं। इससे भारतीय इक्विटी मार्केट पर भारी दबाव बन गया है।
ग्लोबल फैक्टर: अमेरिका-चीन की चालों का असर
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी और चीन के हैंग सेंग इंडेक्स में उछाल के चलते एफआईआई चीन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित सख्त नीति भी निवेशकों को जोखिम से बचने के लिए उभरते बाजारों से बाहर निकलने पर मजबूर कर रही है।
स्मॉलकैप और मिडकैप में सबसे ज्यादा मार
बाजार की गिरावट से स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। ये स्टॉक्स अब भी लार्जकैप के मुकाबले 40-45% प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं, जिससे रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो अनुकूल नहीं दिख रहा। 2025 स्मॉलकैप निवेशकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण साल साबित हो सकता है।
तकनीकी संकेत: क्या और गिरावट होगी?
निफ्टी 500 इंडेक्स के सिर्फ 15 स्टॉक्स अपने 200-डे मूविंग एवरेज के ऊपर ट्रेड कर रहे हैं, जो मार्केट में कमजोरी का संकेत है। 2008, 2014 और कोविड क्रैश में भी इसी तरह की स्थिति बनी थी, जिससे बाजार को बॉटम आउट करने में लंबा समय लगा था।
क्या यह खरीदारी का मौका है?
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह गिरावट अल्पकालिक हो सकती है। निफ्टी निचले स्तर पर पहुंच सकता है, और निवेशकों के लिए यह सस्ते वैल्यूएशन पर मजबूत स्टॉक्स खरीदने का अच्छा मौका हो सकता है। लॉन्ग-टर्म निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है।
डॉलर इंडेक्स में बदलाव से भारत को फायदा?
अमेरिकी डॉलर इंडेक्स अपने ऊपरी स्तर पर पहुंच रहा है, जिससे उभरते बाजारों में फिर से निवेश आ सकता है। भारत को इसका बड़ा लाभ मिलने की संभावना है, क्योंकि वैश्विक उभरते बाजारों में भारत की हिस्सेदारी 18-20% है।
निवेशकों के लिए आगे की राह
बाजार की मौजूदा गिरावट चिंता का कारण है, लेकिन इतिहास बताता है कि ऐसी करेक्शन के बाद तेज रिकवरी भी संभव होती है। निवेशकों को धैर्य रखना चाहिए और फंडामेंटली मजबूत स्टॉक्स पर ध्यान देना चाहिए। यही गिरावट भविष्य में बड़ा मुनाफा दिलाने का आधार बन सकती है।
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