FIIs ने 3,450 करोड़ के शेयर बेचे, DIIs ने 2,885 करोड़ की खरीदारी की – किस सेक्टर पर नहीं पड़ा असर?

21 फरवरी को FIIs ने 3,450 करोड़ की बिकवाली, जबकि DIIs ने 2,885 करोड़ की खरीदारी की। पूरे सत्र में DIIs ने 12,889 करोड़ के शेयर खरीदे और 10,004 करोड़ के बेचे, वहीं FIIs ने 10,144 करोड़ की खरीदारी और 13,593 करोड़ की बिकवाली की। यह दिखाता है कि विदेशी निवेशक मुनाफावसूली कर रहे हैं, जबकि घरेलू संस्थान बाजार में भरोसा दिखा रहे हैं!

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शुक्रवार 21 फरवरी को शेयर बाजार में जबरदस्त हलचल देखने को मिली, जहां विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने 3,450 करोड़ रुपये की बिकवाली कर बाजार पर दबाव बनाया, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने 2,885 करोड़ रुपये की दमदार खरीदारी कर संतुलन बनाने की कोशिश की। यह ट्रेंड बाजार की मौजूदा दिशा को दर्शाता है, जहां विदेशी निवेशक लगातार मुनाफावसूली कर रहे हैं और घरेलू निवेशक इन गिरावटों को खरीदारी के अवसर के रूप में देख रहे हैं।

दिनभर के कारोबार में DIIs ने कुल 12,889 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 10,004 करोड़ के बेचे, जबकि FIIs की तरफ से 10,144 करोड़ रुपये की खरीदारी और 13,593 करोड़ की बिकवाली हुई। अगर पूरे साल की तस्वीर देखें तो अब तक FIIs ने 1,24,262 करोड़ के शेयर बेच दिए हैं, वहीं DIIs ने 1,29,290 करोड़ के शेयर खरीदे हैं। यह साफ दिखाता है कि घरेलू निवेशकों का भरोसा बाजार में बना हुआ है, जबकि विदेशी निवेशक अस्थायी रूप से रुख बदल रहे हैं।

निफ्टी और सेंसेक्स के लिए शुक्रवार का दिन कमजोर साबित हुआ, जहां दोनों इंडेक्स करीब 0.65% की गिरावट के साथ लाल निशान में बंद हुए। सेंसेक्स 75,247.39 के स्तर पर पहुंचा, जबकि निफ्टी 22,763.20 पर बंद हुआ। सेक्टोरल परफॉर्मेंस की बात करें तो निफ्टी मेटल अकेला इंडेक्स था जो हरे निशान में रहा, जबकि निफ्टी ऑटो सबसे ज्यादा दबाव में दिखा। यह गिरावट वैश्विक और घरेलू संकेतों से प्रभावित रही।

Geojit Financial Services के वी के विजयकुमार ने इस गिरावट को डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ चेतावनियों से जोड़ते हुए कहा कि बाजार ऑटो और फार्मास्यूटिकल्स जैसे संभावित टैरिफ टारगेट्स पर निगेटिव प्रतिक्रिया दे रहा है। हालांकि, उनका मानना है कि यह एक शॉर्ट-टर्म ट्रेंड हो सकता है, क्योंकि ट्रंप की रणनीति हमेशा टैरिफ की धमकी देकर बाद में बातचीत के जरिए अमेरिकी निर्यात के लिए बेहतर सौदे हासिल करने की होती है। इस अनिश्चितता के बावजूद, कुछ सेक्टर ऐसे हैं जो इस खतरे से अछूते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि मौजूदा परिदृश्य में बाजार डोमेस्टिक कंजम्प्शन से जुड़े अवसरों को तलाश रहा है, क्योंकि ये सेक्टर अंतरराष्ट्रीय टैरिफ फैसलों से प्रभावित नहीं होते। भारत की ग्रोथ स्टोरी को देखते हुए घरेलू कंजम्प्शन और डिफेंस सेक्टर में निवेश का आकर्षण बढ़ सकता है। इस वजह से, इन क्षेत्रों में निवेश करना लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स के लिए एक शानदार अवसर हो सकता है।

इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि FIIs की बिकवाली का एक बड़ा कारण उनकी चीन में बढ़ती दिलचस्पी हो सकती है। वर्तमान में चीनी शेयर सस्ते हैं और वहां एक स्मार्ट रिकवरी देखने को मिल रही है, जिससे विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से आंशिक रूप से निकलकर चीन में निवेश बढ़ा रहे हैं। हालांकि, यह ट्रेंड पूरी तरह स्थायी नहीं हो सकता, क्योंकि भारतीय बाजार की मजबूत ग्रोथ और स्थिरता लंबे समय में फिर से FIIs का ध्यान खींच सकती है।

डिफेंस सेक्टर को लेकर उनका कहना है कि यह क्षेत्र हाल ही में करेक्शन के दौर से गुजरा है और अब अच्छे दाम पर निवेश के लिए तैयार है। डिफेंस क्षेत्र में सरकार की मजबूत नीतियों और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने की वजह से इसमें आगे अच्छा ग्रोथ देखने को मिल सकता है। इसके अलावा, इस सेक्टर में FIIs की बिकवाली का खतरा भी नहीं है, जिससे यह निवेशकों के लिए अधिक सुरक्षित दांव बन सकता है।

अंत में, बाजार में गिरावट के बावजूद कुछ सेक्टर्स में शानदार अवसर उभर रहे हैं। डिफेंस और डोमेस्टिक कंजम्प्शन स्टॉक्स इस समय निवेशकों के लिए आकर्षक बने हुए हैं, जबकि ऑटो और फार्मा सेक्टर पर टैरिफ के दबाव का खतरा बरकरार है। लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए यह समय ध्यान से स्टॉक्स चुनने और सही रणनीति अपनाने का है, क्योंकि बाजार में अस्थिरता के बावजूद, मजबूत सेक्टर्स में ग्रोथ की संभावना बनी हुई है।

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