Edtech IPOs की बढ़ती भीड़ पर रॉनी स्क्रूवाला की चिंता – निवेशकों के लिए खतरा या मौका?

इनवेस्टर और आंत्रप्रेन्योर रॉनी स्क्रूवाला का मानना है कि एडटेक स्टार्टअप्स में IPO लाने की होड़ बढ़ती जा रही है, जो चिंता का विषय है। उनका कहना है कि कई कंपनियां इसे सिर्फ आसान फंडिंग का जरिया मान रही हैं, जबकि ग्रोथ और प्रॉफिटेबिलिटी पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है। स्क्रूवाला, जो अपग्रेड (upGrad) के को-फाउंडर और चेयरमैन हैं, मानते हैं कि बिना मजबूत फाउंडेशन के IPO लाना निवेशकों के लिए जोखिम भरा साबित हो सकता है।

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रॉनी स्क्रूवाला का मानना है कि एडटेक स्टार्टअप्स में IPO की लहर तेजी से बढ़ रही है, लेकिन यह लहर ज्यादा लंबी नहीं टिकेगी। उनका कहना है कि कई कंपनियां इसे सिर्फ एक आसान फंडिंग मॉडल के रूप में देख रही हैं, बिना यह समझे कि सार्वजनिक लिस्टिंग के बाद कंपनियों को निवेशकों की उम्मीदों पर खरा उतरना पड़ता है। उनका साफ कहना है कि सिर्फ पैसा जुटाने के लिए IPO लाना कोई समझदारी नहीं है, खासकर तब जब कंपनी का बुनियादी ढांचा मजबूत न हो।

स्क्रूवाला, जो अपग्रेड (upGrad) के को-फाउंडर और चेयरमैन हैं, एडटेक सेक्टर को करीब से समझते हैं। मनीकंट्रोल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि कई कंपनियां छोटे पैमाने पर भी लिस्ट होने की जल्दी में हैं, जबकि यह उनके लिए सही समय नहीं होता। एडटेक सेक्टर अभी परिपक्वता की ओर बढ़ रहा है, और इस समय जल्दबाजी में किए गए फैसले बाद में नुकसानदायक साबित हो सकते हैं।

फिजिक्सवाला (PhysicsWallah) और इरूडिट्स (Eruditus) जैसी बड़ी एडटेक कंपनियां अब पब्लिक लिस्टिंग के विकल्प तलाश रही हैं। फिजिक्सवाला इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है, जबकि इरूडिट्स ने भी अपने मुख्यालय को सिंगापुर से भारत लाने का फैसला किया है, जो IPO लाने की तरफ संकेत करता है। हालांकि, इरूडिट्स ने अभी तक इसके लिए कोई ठोस समयसीमा तय नहीं की है।

स्क्रूवाला का मानना है कि आने वाले समय में कई एडटेक स्टार्टअप्स को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि न्यू इकोनॉमी से जुड़ी कम से कम 50% कंपनियां, जो पिछले साल लिस्ट हुई हैं या अगले 1-1.5 साल में लिस्ट होंगी, वे अपने IPO प्राइस से नीचे ट्रेड करेंगी। यानी निवेशकों को इस सेगमेंट में बहुत सोच-समझकर कदम रखने की जरूरत है।

एडटेक सेक्टर की छवि भी अभी बहुत मजबूत नहीं है, क्योंकि कुछ बड़े खिलाड़ियों को लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है। बिजनेस मॉडल, रेवेन्यू ग्रोथ और प्रॉफिटेबिलिटी जैसी चुनौतियों का समाधान किए बिना, सिर्फ मार्केट सेंटिमेंट के भरोसे IPO लाना सही रणनीति नहीं हो सकती। यही वजह है कि स्क्रूवाला इस ट्रेंड को लेकर सतर्क रहने की सलाह देते हैं।

हालांकि, लंबी अवधि में उन्हें इस सेक्टर की ग्रोथ पर पूरा भरोसा है। उनका मानना है कि मजबूत बिजनेस मॉडल और सही रणनीति के साथ एडटेक कंपनियां निवेशकों का भरोसा जीत सकती हैं। अपग्रेड (upGrad) की ही बात करें तो कंपनी ने अगले दशक में 35-40% CAGR ग्रोथ का लक्ष्य तय किया है। फिलहाल, इसका सालाना रेवेन्यू 2,400 करोड़ रुपये है, और इसे लगातार बढ़ाने की योजना पर काम किया जा रहा है।

IPO की भीड़ और शॉर्ट-टर्म मुनाफे की दौड़ में एडटेक कंपनियों को यह समझने की जरूरत है कि लॉन्ग-टर्म सक्सेस सिर्फ मजबूत फाउंडेशन और सही बिजनेस प्लानिंग से ही संभव है। स्क्रूवाला की चेतावनी एडटेक इंडस्ट्री के लिए एक जरूरी रियलिटी चेक की तरह है, जिसे नजरअंदाज करना कंपनियों और निवेशकों दोनों के लिए महंगा पड़ सकता है।

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